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_तस्बीहे फातिमा यानि 33 बार *सुब्हान अल्लाही سبحان الله* 33 बार *अल्हम्दु लिल्लाही الحمد الله* 34 बार *अल्लाहु अकबर الله اكبر* और एक बार *ला इलाहा इल्लल्लाहु वहदहू ला शरीका लहू लहुल मुल्कु वलाहुल हम्दु वहुवा अला कुल्ली शैईन क़दीर لا اله الا الله وحده لاشيك له له الملك وله الحمد وهو على كل شىء قدير* इसकी फज़ीलत का ये आलम है कि उस दिन किसी का भी अमल इसके बराबर बुलंद ना किया जायेगा या ये कि कोई दूसरा भी पढ़ ले_
*📚 वज़ायफे रज़वियह,सफह 235*
*कभी मुसीबत में गिरफ्तार ना होंगे* -
_जो किसी मुसीबत ज़दा को देखकर ये दुआ *अलहम्दु लिल्लाहिल लज़ी आअफ़ानी मिम्मब तलाका बिही वफ'द्दलानी अला कसीरिम मिम्मन खलाक़ा तफदी'ला الحمد لله اللذي عافاني مما ابتلاك به وفضلني على كثير ممن خلق تفضيلا* पढ़ लेगा तो इन शा अल्लाह खुद कभी उस मुसीबत में गिरफ्तार ना होगा मगर बुखार ज़ुकाम खुजली और आंखों के दर्द में ना पढ़ी जाए कि इन अमराज़ की हदीस मे बड़ी तारीफ आई है_
*📚 अलमलफूज़,हिस्सा 1,सफह 14*
*6 लाख दुरूदे पाक का सवाब* -
_जो कोई एक बार दुरूदे सआदत *अल्लाहुम्मा सल्लि अला सय्यदना व मौलाना मुहम्मदिन अदादा माफी इलमिल लाहि सलातन दा---इमातम बिदावामी मुल्किल लाह اللهم صلى على سيدنا محمّد عدد مافى علم الله صلوة دآيمةً بداوام ملك الله* पढ़ता है तो 6 लाख दुरूदे पाक का सवाब उसके नामये आमाल में लिखा जाता है_
*📚 खज़ीनये दुरूद शरीफ,सफह 234*
*दिनों रात इबादत करने वाले का सवाब* -
_जो कोई सुबह और शाम को ये दुआ *अल्लाहुम्मा लकल हम्दु हम्दन दा--एमन मअ दवामिका व लकल हम्दु हम्दन खा-लिदन मअ खुलूदिका व लकल हम्दु हम्दल लामुन्तहा लहु दूना मशीय्यतिका व लकल हम्दु हम्दन इन्दा कुल्लि तरफति अैनिवं व तनफ्फुसी कुल्लि नफ्स اللهم لك الحمد ححمدا دا~ىما مع دوامك ولك الحمد حمدا خالدا مع خلودك ولك الحمد حمدا اللآمنتهى له دون مشىتك ولك الحمد حمدا عند كل طرفة عين وتنفس كل نفس* सिर्फ 1 बार पढ़ लेगा तो फज़ले रब्बी से दिनों रात इबादत करने वाले को जितना सवाब मिलता है इस दुआ के पढ़ लेने वाले को उतना सवाब मिल जायेगा इन शा अल्लाह,याद रखें कि आधी रात ढलने के बाद से सूरज निकलने तक सुबह है और दोपहर ढलने से ग़ुरूब आफताब तक शाम है_
*📚 वज़ायफे रज़वियह,सफह 234*
*तमाम गुनाह मुआफ* -
_जो शख्स सोते वक़्त ये दुआ *अस्तग़फ़िरुल लाहल लज़ी लाइलाहा इल्ला हुवल हय्युल क़य्यूमू व आतूबू इलैहि استغفر الله الذى لااله الا هو الحى القيوم واتوب اليه* 3 बार पढ़ लेगा तो अगर उसके गुनाह दरख्तों के पत्तों या ज़मीन की रेत से भी ज़्यादा होंगे तब भी मौला तआला उसे बख्श देगा_
*📚 इस्लामी अखलाक़ो आदाब,सफह 257*
*70000 फरिश्ते क़यामत तक सवाब लिखेंगे* -
_जो बुध की रात जैसे कि आज बाद नमाजे इशा 2 रकात नमाज़ नफ़्ल पढ़े इस तरह कि पहली में सूरह फातिहा के बाद 10 बार सूरह फलक़ और दूसरी रकात में सूरह फातिहा के बाद 10 बार सूरह नास,तो 70000 फरिश्ते हर आसमान से उतरेंगे और क़यामत तक उसका सवाब लिखते रहेंगे_
*📚 ग़ुनियतुत तालेबीन,जिल्द 2,सफह 143*
*नमाज़ की मुहब्बत पैदा होगी* -
_बहुत से लोग नमाज़ पढ़ते हैं मगर फिर उनसे छूट जाती है क्योंकि नमाज़ की मुहब्बत दिल में नहीं होती लिहाज़ा ऐसा अमल पढ़ा जाए कि नमाज़ की मुहब्बत दिल में पैदा हो,ये वज़ीफा मेरी अम्मी ने मुझे बचपन में बताया था जिसकी बदौलत मैने अपने दिल में नमाज़ के लिए बहुत मुहब्बत पाई इसका हवाला तो मुझे नहीं मिला मगर चुंकि ये मेरे अमल में रहा है और मैंने इसे बहुत फैज़ पाया है इसलिए बता रहा हूं,सबसे पहले तो करें कि जब भी जिस वक़्त की भी नमाज़ पढ़ने को मिल जाये पढ़ लीजिये कल पर बिल्कुल मत डालिए कि ये शैतानी वस्वसा होता है कि कल फज्र से शुरू करूंगा जुमा से शुरू करूंगा नहीं बल्कि इशा में ही ख्याल आया कि नमाज़ पढ़ ली जाए तो इशा ही पढ़ लीजिये कि बिल्कुल ना पढ़ने से तो एक वक़्त की पढ़ना बेहतर है,फिर जिस वक़्त की नमाज़ पढ़िए पूरी नमाज़ के बाद *या अल्लाहु या रहमानु या रहीमु يا اللهُ يا رحمٰنُ يا رحيمُ* ये पूरा एक हुआ इसको 21 बार पढ़ना है,अगर इसकी आदत डाल ली तो यक़ीन जानिये कि आपको सोचना नहीं पड़ेगा कि मुझको नमाज़ पढ़नी है बल्कि खुद ही आपका दिल नमाज़ की तरफ लगा रहेगा,हां बस हुरूफ की अदायगी सही रखें_
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*📚 खज़ीनये दुरूद शरीफ,सफह 234*
*दिनों रात इबादत करने वाले का सवाब* -
_जो कोई सुबह और शाम को ये दुआ *अल्लाहुम्मा लकल हम्दु हम्दन दा--एमन मअ दवामिका व लकल हम्दु हम्दन खा-लिदन मअ खुलूदिका व लकल हम्दु हम्दल लामुन्तहा लहु दूना मशीय्यतिका व लकल हम्दु हम्दन इन्दा कुल्लि तरफति अैनिवं व तनफ्फुसी कुल्लि नफ्स اللهم لك الحمد ححمدا دا~ىما مع دوامك ولك الحمد حمدا خالدا مع خلودك ولك الحمد حمدا اللآمنتهى له دون مشىتك ولك الحمد حمدا عند كل طرفة عين وتنفس كل نفس* सिर्फ 1 बार पढ़ लेगा तो फज़ले रब्बी से दिनों रात इबादत करने वाले को जितना सवाब मिलता है इस दुआ के पढ़ लेने वाले को उतना सवाब मिल जायेगा इन शा अल्लाह,याद रखें कि आधी रात ढलने के बाद से सूरज निकलने तक सुबह है और दोपहर ढलने से ग़ुरूब आफताब तक शाम है_
*📚 वज़ायफे रज़वियह,सफह 234*
*तमाम गुनाह मुआफ* -
_जो शख्स सोते वक़्त ये दुआ *अस्तग़फ़िरुल लाहल लज़ी लाइलाहा इल्ला हुवल हय्युल क़य्यूमू व आतूबू इलैहि استغفر الله الذى لااله الا هو الحى القيوم واتوب اليه* 3 बार पढ़ लेगा तो अगर उसके गुनाह दरख्तों के पत्तों या ज़मीन की रेत से भी ज़्यादा होंगे तब भी मौला तआला उसे बख्श देगा_
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