*【POST 04】फिल्मी गानो मे कुफ्रियात*

आज कल हिन्दुस्तान मे फिल्मी मनाजिर और उनके गानो के जरिए भी मुसलमानो को काफिर बनाने और उनके इमान व अकीदे को तबाह करने की मुनज्जम साजिश चल रही है फिल्म की मजेदारियो और उसकी लज़्ज़त और गानो की लुत्फ़ अन्दोजी के सहारे ऐसे कड़वे घूंट मुस्लिम नस्लो की घाटी उतारे जा रहे हैं।जिनसे कभी बह बहुत दूर भागते थे और मुसलमान उन्हे बड़ी आसानी से अब हजम करते चले जा रहे हैं। बल्की सही बात यह है।कि आजकल फिल्मों टेलीवीजनो के जरिए काफिर अपने धर्मो का प्रचार कर रहे है। आगे हम चन्द गानो के वह शेर लिख रहे है। जिन का कुफ्र होना इतना जाहिर है। कि उसके लिए किसी आलिम मोलाना से पूछने की कतई जरूरत नही है बल्कि हर आदमी जान सकता है। कि यह खालिस काफिराना बकवासे है।

*खुदा भी आसमां से जब जमीन पर देखता होगा।*
*मेरे महबूब को किसने बनाया सोचता होगा।*

अब आगे जो भी हो अन्जाम देखा जाएगा
खुदा तराश लिया और बन्दगी करली

*रबने मुझ पर सितम किया है।*
*सारे जहा का गम मुझे दे दिया है।*       
*(अस्तगफिरूल्लाह)*
       
एसे बहुत से गाने है। जिसमे कुफ्र के अलावा कुछ बया नही होता है। इन गानो का जायजा लिजिए और देखिए अल्लाह तआला के बारे मे यह अकीदा रखना कि वह आसमान से जब देखता होंगा हालांकि मुसलमानो का अकीदा यह है की अल्लाह रब्बुल इज्जत हर चीज को हमेशा से देखता है।और हमेशा देखेगा खुदाए तआला के बारे मे यह बकवास या मेरे महबूब को बनाने वाले के बारे वह सोचता होगा हालाकि हर चीज का बनाने बाला सिर्फ खुदाए तआला ही है। और उस परबर दिगारे आलम के बारें मे यह बकना कि बह सोचता होगा हालाकि उसका इल्म सोचने से पाक है। यह सब खुले कुफ्र है। इसी तरह दूसरे गाने खुदा तराश लिया और बन्दगी करली कितना बड़ा कुफ्र है। इस्लाम से मजाक और कुर्आन कलीम से ठट्ठा  किया गया है। जिसके खुले कुफ्र होने मे जाहिल को भी शक नही है।

*तीसरे गाने परबरदिगार आलम को सितम गर बताना उससे सिकवा करना उसकी नाशुक्री करना कि ऊसने सारे जहान का गम मुझे दे दिया है। यह सब वह कुफ्रियात हैं।  जो कितने मूसलमानो से बुलवा कर कहला कर गानो के जरिए उनके ईमान खराब कर दिये हैं और इसालामी हदो से बाहर लाकर खड़ा कर दिया गया है।*

अल्लाह के रसूल ने जिसका देखना और सुनना दोनो हराम करदिया हो उसको त कयामत कोई अदना जायज नही कर सकता है। चाहे वो किसी भी ख़ानक़ाह से क्यूँ न हो लेकिन आजके टी वी बाले बाबा कहते है। आज के दोर के हिसाब से टी वी देखना जायज है। और बायसे बरकत भी है। जिससे जन्नत मिलेगी *अस्तगफिरूल्लाह* एसे अकीदा रखने बालो पर अल्लाह की लानत होगी जो नबी की सुन्नत को तर्क करके उसे जायज करदे अरे जो नबी की सुन्नत पर अमल नही कर सकता बो हमे जन्नत कहा से दिलायगा जन्नत जिसको दिलानी है। बो मदीने के ताजदार हे। कोई बप्पा बहरूपिया नही है। जो खुद अपनी बात पर अचल न रह पाए बो हमे क्या जन्नत दिलाएगा जन्नत अगर खरीदनी है। तो गौस पाक के सच्चे दिवाने हो जाओ सरकार अजमेरी के सच्चे दिवाने हो जाओ इनके दिवाने तब होगे जब सरकार आला हजरत के सच्चे वफादार हो जाओ तबही जन्नत के हकदार हो जाओगे इन्शा अल्लाह अज्जबल

📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा, 15 16*

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