POST 14

*_﷽-الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ_*
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 《[इस्लामी हैरत अंगेज़ मालूमात पोस्ट(67)]》
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    *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (14)》*
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सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने हज़्जतुल विदा के मौके पर कितने ऊंट जिबह फरमाए थे?
*जवाब- हज़्ज़तुल विदा के मौके पर कुल सौ ऊंट कुर्बान किए तिरेसट ऊंट अपने हाथों से जिब्ह फरमाए जो आपकी उम्र शरीफ़ के सालों कि अदद पर है और सैंतीस ऊंटों के लिए हज़रत अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु को हुक्म फरमाया कि वह जिब्ह करे और एक जगह कुछ इस तरह है कि हुदैबिया वाले दिन सत्तर ऊंट ज़िब्ह किए थे बीस ऊंटों को हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने अपने दस्ते मुबारक से जिब्ह फरमाए और बाकी को नाहिया बिन जुंदब को दिया कि वह जिब्ह करे।*
(मदारिज़ नबुव्वत 2/672व2/371/इब्ने कसीर)

सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने नमाज़ में कितनी बार सज़्दा-ए-सहव किया?
*जवाब- साहिब सफ़र स‌आदत फरमाते है कि पांच मुक़ामात ऐसे है जहां तमाम उम्र हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम को नमाज़ में सहव से मुत्तसिफ फ़रमाया गया इनके सिवा कहीं साबित नहीं{1}जोहर की नमाज़ में में हुआ कि अव्वल तशह्हुद में बैठे और फिर हो ग‌ए जब नमाज़ पूरी कर ली तो दो सज़्दे किए फिर सलाम फेरा{2}दुसरा मुकाम एक और ऐसा ही मौका है जोहर की दुसरी रकात के बाद क़ादा फ़रमाया और सलाम फेरा फिर याद आया तो नमाज़ को पूरा फ़रमाया और दो सज़्दे किए और फिर सलाम फेरा{3}तीसरा मौका यह है कि एक रोज़ नमाज़ पढ़ी और बहार तशरीफ़ ले आए एक रकात बाकी रह गई थी हज़रत तल्हा बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु आपके पिछे बाहर आए और अर्ज किया या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम एक रकात अपने फरामोश कर दी उसके बाद हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम मस्जिद में तशरीफ़ लाए और हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहु त‌आला अन्हु को इकामत को कहा और एक रकात जो फ़रामोश की थी अदा की{4}चौथा मौका यह है कि नमाज़-ए-जोहर अदा की और एक रकात हो गई सहाबा किराम ने अर्ज किया या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम एक रकात ज़्यादा हो ग‌ई पांच रकात नमाज़ पढ़ी है तो हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने उससी वक़्त दो सज्दे किए और सलाम फेरा और उस्सी पर इख़्तिसार किया{5} पांचवा मौका यह है कि असर की नमाज़ की तीन रकात पढ़ी काशाना अक़्दस में तशरीफ़ ले गए सहाबा किराम ने बाद में बताया तो आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने मस्जिद में तशरीफ़ लाए और एक रकात नमाज़ अदा करके दो सज्दे किए फिर दोबारा सलाम फेरा यही पांच मुक़ामात है जहां आप हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम ने सज़्दा-ए-सहव फ़रमाया है लेकिन खबरदार रहना चाहिए कि हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम का हरकाम  उम्मते मुहम्मदिया को अहक़ाम व शरीअत के करीब ले जाता है और हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम की इक़्तिदा की स‌आदत नसीब होती है।*
(मदारिज़ नबुव्वत 1/646,647)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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