*_मुताफर्रिक़ात_* *पोस्ट-2*

*वैसे तो नमाज़े जनाज़ा की इब्तिदा हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के ज़माने से है जैसा कि रिवायत में है कि आपकी नमाज़े जनाज़ा फरिश्तों ने पढ़ी और इमाम हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम हुए मगर इस्लाम में इसकी मशरूईयत हिजरत के तक़रीबन 9 महीने बाद हुई और सबसे पहला जनाज़ा सहाबिये रसूल हज़रत असद बिन जुरारह का पढ़ा गया जिसको खुद हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने पढ़ाया*

📚 फतावा रज़विया,जिल्द 2,सफह 467

*मौत व हयात दोनों वुजूदी हैं जब सारे जन्नती जन्नत में और सारे जहन्नमी जहन्नम में जा चुके होंगे कि अब कोई जहन्नम से बाहर निकलने वाला ना होगा तो मौत को मेंढे की शक्ल में जन्नत व दोज़ख के दरमियान लाया जायेगा और उसे हज़रत यहया अलैहिस्सलाम अपने हाथों से ज़िबह फरमायेंगे फिर उसके बाद कोई भी नहीं मरेगा*

📚 शराहुस्सुदूर,सफह 15

*अज़ान के बाद तसवीब यानि सलात पढ़ना 781 हिजरी से रायज हुआ*

📚 दुर्रे मुख्तार,जिल्द 1,सफह 273

*ज़मीन का वो हिस्सा जो मेरे आक़ा सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के जिस्म से मिला हुआ है यानि रौज़ए अनवर वो काबा मुअज़्ज़मा बल्कि अर्शे आज़म से भी अफज़ल है*

📚 ज़रक़ानी,जिल्द 1,सफह 324

*रिवायत में आता है कि हिसाब किताब शुरू होने से पहले मौला निदा करवायेगा कि वो लोग अलग हो जायें जो रातों को अपनी करवटें बिस्तर से अलग रखते थे यानि तहज्जुद पढ़ने वाले,जब वो लोग अलग हो जायेंगे तो उनसे कहा जायेगा कि तुम लोग जन्नत में चले जाओ फिर उसके बाद सबका हिसाब किताब शुरू होगा,ये तादाद में 4 अरब 90 करोड़ लोग होंगे उनके साथ मौला 3 जमाअत और भेजेगा जिसकी तदाद अल्लाह और उसका रसूल सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ही जाने*

📚 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 39

*चांद ज़मीन से 4 गुना छोटा है और 3.5 लाख किलोमीटर से भी ज़्यादा दूरी पर है और सूरज ज़मीन से तकरीबन 13 लाख गुना बड़ा है और 15 करोड़ किलोमीटर से भी ज़्यादा दूरी पर है*

📚 इस्लाम और चांद का सफर,सफह 51-55

*समंदल नाम का एक कीड़ा है जो कि आग में ही पैदा होता है तुर्की में उसके ऊन की तौलिया वगैरह बनाई जाती है जो कि गन्दी होने पर आग में डाल कर ही साफ की जाती है*

📚 खज़ाएनुल इरफान,पारा 15,6

*हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि दुनिया मोमिन के लिए कैदखाना और काफिर के लिए जन्नत है*

📚 अनवारुल हदीस,सफह 432

*हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया कि ग़ीबत ज़िना से बदतर है और इसका कफ्फारह ये है कि जिसकी ग़ीबत की उसके लिए युं अस्तग्फ़ार करे 'अल्लाहुम्मग़ फिर लना वलाहु' اللهم اغفر لنا وله*

📚 बहारे शरियत,हिस्सा 16,सफ़ह 145

*जो शख्स नमाज़ ना पढ़े और अलग अलग कामों के लिये वज़ीफा पढ़ता रहे तो क़यामत के दिन उसका वज़ीफा उसके मुंह पर मार दिया जायेगा*

📚 फतावा रज़वियह,जिल्द 3,सफ़ह 82

*किसी ने छिपकर गुनाह किया लोगों ने उससे पूछा तो वो इनकार कर सकता है,कि गुनाह को ज़ाहिर करना भी गुनाह है,इसी तरह ये किसी मुसलमान का ऐब जानता है अगर कोई पूछे तो इंकार कर सकता है ये झूट नहीं होगा*

📚 बहारे शरियत,हिस्सा 16,सफ़ह 137

*बन्दा जब कोई नेकी करता है तो नेकी लिखने वाला फ़रिशता उसे फौरन लिख लेता है मगर जब बन्दा गुनाह करता है उसे 6 घंटो तक नही लिखा जाता कि शायद वो अपने गुनाह से तौबा करले या कोई नेकी ही करले जो उसके गुनाह को मिटा दे मगर जब 6 घंटो तक बन्दा न तो कोई नेकी ही करता है और ना ही तौबा,तब फ़रिश्ते उस गुनाह को लिख देते है मगर जब कभी भी बन्दा उस गुनाह से तौबा कर लेता है तो वो गुनाह मिटा दिया जाता है*

📚 तफ़सीरे अज़ीज़ी,पारा 30,सफ़ह 88

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