*_औरत का पीर बनना मुरीद करना जाइज़ नहीं न मर्दों को न औरतों को। आज कल तो यह तक सुनने में आया है कि औरतें पीर बन कर मुरीदों में दौरे तक करने लगी हैं।_*
_यह सब गलत बातें और औरतों का पीरी मुरीदी करना सही नहीं।_
*_इमाम अब्दुलवहाब शोअरानी अपनी मशहूर किताब मीज़ानुश्शरीअतुल कुबरा में तहरीर फरमाते हैं:_*
*قد اجمع اهل الكشف على اشتراط الذكورة فى كل داع الى الله*
_बुज़ुर्गों का इस बाबत पर इत्तिफ़ाक है कि दाई इलल्लाह होने के लिए मर्द होना शर्त है ।_
📙 *(मीज़ानुश्शरीअतुल कुबरा बाबुल अक़्ज़िया जि.2,स.189)*
*_आज कल औरतों के जलसे हो रहे हैं और औरतों को मुबल्लेगा और मुकर्रिरा बना कर जगह जगह घुमाया जा रहा है यह भी सब मेरी समझ में नहीं आता।_*
_और इमाम अब्दुलवहाब शोअरानी का जो कौल हमने नकल किया उससे भी हमारे ख्याल की ताईद होती है।_
*वल्लाहु तआला अअलमु*
*_आला हज़रत फरमाते हैं:_*
_सलफ़ सालेहीन से ले कर आज तक कोई औरत न पीर बनी न बैअत किया_
📗 *(फतावा रज़विया जदीद,जि.21,स.494)*
📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा,187*
_यह सब गलत बातें और औरतों का पीरी मुरीदी करना सही नहीं।_
*_इमाम अब्दुलवहाब शोअरानी अपनी मशहूर किताब मीज़ानुश्शरीअतुल कुबरा में तहरीर फरमाते हैं:_*
*قد اجمع اهل الكشف على اشتراط الذكورة فى كل داع الى الله*
_बुज़ुर्गों का इस बाबत पर इत्तिफ़ाक है कि दाई इलल्लाह होने के लिए मर्द होना शर्त है ।_
📙 *(मीज़ानुश्शरीअतुल कुबरा बाबुल अक़्ज़िया जि.2,स.189)*
*_आज कल औरतों के जलसे हो रहे हैं और औरतों को मुबल्लेगा और मुकर्रिरा बना कर जगह जगह घुमाया जा रहा है यह भी सब मेरी समझ में नहीं आता।_*
_और इमाम अब्दुलवहाब शोअरानी का जो कौल हमने नकल किया उससे भी हमारे ख्याल की ताईद होती है।_
*वल्लाहु तआला अअलमु*
*_आला हज़रत फरमाते हैं:_*
_सलफ़ सालेहीन से ले कर आज तक कोई औरत न पीर बनी न बैअत किया_
📗 *(फतावा रज़विया जदीद,जि.21,स.494)*
📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा,187*
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