*अगर मुक़तदी सर पर इमामा जिसे साफ़ा और पगड़ी भी कहते हैं। बाँध कर नमाज़ पढें और इमाम के सर पर पगड़ी न हो तो इसको कुछ लोग बहुत बुरा जानते हैं। बल्कि कुछ यह समझते है कि इस सूरत मे मुक़तदी की नमाज दुरूस्त नही हुई यह ग़लत बात है।*
अगर इमाम के सर पर पगड़ी न हो और मुक़तदी के सर पर हो तो मुक़तदी की नमाज़ दुरूस्त और सही हो जायेगी *आला हजरत इमाम अहमद रजा खांन रदीअल्लाहो ताला अनहु* से यह मसअला मालूम किया गया तो आपने फरमाया बिला तकल्लुफ दुरूस्त है।
📗 *फ़तावा रज़विया जिल्द 3 सफ़ा 273 इरफ़ाने शरीअत शफा 4*
📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा, 40*
अगर इमाम के सर पर पगड़ी न हो और मुक़तदी के सर पर हो तो मुक़तदी की नमाज़ दुरूस्त और सही हो जायेगी *आला हजरत इमाम अहमद रजा खांन रदीअल्लाहो ताला अनहु* से यह मसअला मालूम किया गया तो आपने फरमाया बिला तकल्लुफ दुरूस्त है।
📗 *फ़तावा रज़विया जिल्द 3 सफ़ा 273 इरफ़ाने शरीअत शफा 4*
📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा, 40*
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