*【POST 146】क्या औरतों को जानवर ज़ुबह करना नाजाइज़ है*

_औरत भी जानवर ज़ुबह(ज़िबह) कर सकती है और उसके हाथ का ज़ुबह किया हुआ जानवर हलाल है। मर्द और औरत सब उसे खा सकते हैं। *मिश्कात शरीफ़ किताबुस्सैद वलज़िबाह सफ़ा 357 पर बुख़ारी शरीफ के हवाले से इसके जाइज़ होने की साफ़ हदीस मौजूद है* जिसमें यह है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने एक लड़की के हाथ की जुबह की हुई बकरी का गोश्त खाने की इजाज़त दी।_

_मजीद तफसील के लिए देखिए सय्यिदी मुफ्ती आज़म हिन्द अलैहिर्रहमह का फतावा मस्तफ़विया जिल्द सोम सफ़ा 153 और फतावा रज़विया जिल्द 8 सफ़ा 328 और सफ़ा 332, -- खुलासा यह कि औरतों के लिए भी मर्दों की तरह हलाल जानवरों और परिन्दों को ज़ुबह करना जाइज़ है जो इसे ग़लत कहे वह खुद गलत और निरा जाहिल बल्कि शरीअत पर इफ्त्तिरा करने वाला है।_

*_समझदार बच्चे का जुबह किया हुआ जानवर भी हलाल है। और मुसलमान अगर बदकार और हरामकार हो तो ज़बीहा उसका भी जाइज़ है, नमाज़, रोज़े का पाबन्द न हो, उसके हाथ का भी ज़ुबह किया हुआ जानवर हलाल है। हाँ नमाज़ छोड़ना और हराम काम करना इस्लाम में बहुत बुरा है।_*

_दुर्रेमुख्तार में है:-ज़िबह करने वाले के लिए मुसलमान और आसमानी किताबों पर ईमान रखने वाला होना काफी है अगरचे औरत ही हो।_

📕 *(दुर्रेमुख्तार, किताबुज़्ज़बाएह , जिल्द 2,सफहा,228,मतबअ मुजतबाई)*

_आलाहज़रत मौलाना शाह अहमद रजा खाँ अलैहिर्रहमह।फरमाते हैं।:-जुबह के लिए दीने समावी (आसमानी दीन) शर्त है, आमाल शर्त नहीं।_

📗 *(फतावा रज़विया, जिल्द 8 सफ़ा 333)*

*_हाँ जो लोग काफ़िर गैर मुस्लिम हों या उनके अक़ीदे की ख़राबी या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की शान में गुस्ताखी की वजह से उन्हें इस्लाम से ख़ारिज व मुरतद क़रार दिया गया है उनके का ज़बीहा हराम व मुरदार है।_*

📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा,160 161*

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