_बेवुज़ू अज़ान नहीं पढ़ना चाहिए। लेकिन अगर कोई पढ़ दे तो अज़ान दुरूस्त हो जाती है और उस अज़ान के बाद जो नमाज़ पढ़ी जायेगी वह भी दुरूस्त है। लेकिन बेवुज़ू अज़ान पढ़ने की आदत डाल लेना मुनासिब नहीं है।_
*आला हज़रत फरमाते हैं।*
_“बेवज़ू अज़ान पढ़ना जाइज़ है,बई माना कि अज़ान हो जायेगी लेकिन चाहिए नहीं ।_
📚 *(फतावा रज़विया,जि.5,स.373 )*
*_खुलासा यह कि कभी बे वुज़ू भी अज़ान पढ़ी जा सकती है। लेकिन बेहतर और अच्छा तरीका यही है कि अज़ान बावुज़ू पढ़ी जाये।_*
📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा,179*
*आला हज़रत फरमाते हैं।*
_“बेवज़ू अज़ान पढ़ना जाइज़ है,बई माना कि अज़ान हो जायेगी लेकिन चाहिए नहीं ।_
📚 *(फतावा रज़विया,जि.5,स.373 )*
*_खुलासा यह कि कभी बे वुज़ू भी अज़ान पढ़ी जा सकती है। लेकिन बेहतर और अच्छा तरीका यही है कि अज़ान बावुज़ू पढ़ी जाये।_*
📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा,179*
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