*【POST 41】बगैर रूमाली के पाजामे या जांघिये को पहन कर नमाज़ पढ़ना*

*यह भी कुछ लोगो मे एक आम ख़्याल है। जिसकी कोई हकीक़त नही। पाजामे या जांघिये मे रूमाली होना नमाज़ की दुरूस्तगी के लिए बिल्कुल ज़रूरी नही है। बगैर रूमाली के पाजामे और जांघिये से नमाज़ बिला कराहत जाएज़ है। हां जो लिबास और कपड़े गैर मुस्लिमों के लिए मखसूस है। उनको पहनना गुनाह है। और उनमें नमाज़ मकरूह है। अंग्रेजी पैन्ट और शर्ट मे इस ज़माने मे उलमाए किराम ने नमाज़ मकरूहे तनजीही होने का फतवा दिया है। जैसे की बरेली शरीफ से छपी हुई फ़तावा मरकजी दारूल इफ्ता सफ़ा 207 पर इसकी तफसील मौजूद है। यह इसलिए नही कि पैन्ट मे रूमाली नही होती बल्कि इसलिए है। कि अंग्रेजों का ख़ास कौमी लिबास रह चुका है। और अब भी दीनदार मुसलमान इस लिबास को अच्छा नही समझते।*

*लिहाजा अब भी अंग्रेजी पैन्ट और शर्ट में नमाज़ अदा करना मुनासिब और बहतर नही और इस लिबास से बचना ही बहतर है। लेकिन अगर पढ़ ली तो हो जाएगी।*

📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा, 44*

*अल्लाह रब्बुल इज्जत हम गुनहगारो को इस्लाम का सही मायनो मे जानने मानने बाला बना दे रिया कारी से बचने बाला बना दे गुनाहो से तोबा करने बाला बना दे अल्लाह की राह मे कामजन रहने बाला बना दे हर मुसीबत पे अल्लाह का शक्र करने बाला बना दे*
*आमीन सुम्मा आमीन या रब्बुल*

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