*【POST 42】नमाज़ मे लंगोट बांधने का मसअला*

*कुछ लोग समझते है कि पाजामा या तहबन्द के अन्दर लंगोट बाँध कर नमाज़ नही होती है। हालाँकि यह उनकी ग़लतफहमी है। लंगोट बाँध कर नमाज़ पढ़ने मे कोई कमी नही आती। अलबत्ता यह ध्यान रखें कि वह इतना कसा हुआ टाइट न हो कि नमाज़ मे रूकूअ और सज्दे और बैठने मे दिक्कत हो।*

📗 *(फ़तावा फ़ैजुर्रसूल जिल्द 1 सफ़ा 252 इरफ़ाने शरीअत सफ़ा 4)*
📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा, 45*

*आज आप हजरात को एक जरूरी नसीहत करना चाह रहा हू। अगर अच्छी लगे तो इस नाचीज को अपनी हर दुआओं मे साथ रखना और मेरे हक मे भी दुआ करना।*

रमजान मुबारक का महीना आने बाला है। हमारी जिन्दगी से कई रमजान गुजर गए है। पर हमने कभी भी रमजान की सही अहिमयत नही जानी और अपने मन मुताबिक कामो को अन्जाम देते है। अल्लाह रब्बुल इज्जत ने यह महीना अपने *प्यारे महबूब सल्लल्लाहो तआला अलह वसल्लम* के सदके मे हम गुनहगार उम्मतीयो को अता किया है। और इस महीनो को *उम्मते रसूल सल्लल्लाहो तआला अलह वसल्लम* का कहा है। क़ुर्बान जाओ उस लब पर जिसने हमे इतना नएमत भरा महीना हम गुनहगारो को दिया है।

_बस हमे उसका अदब व अहितराम करना है। आज कल कुछ विडियो और ओडियो चल रही है। जिसमे अफ्तार और शहरी का मजाक बनाया जा रहा ऐसा करने बालो सुनलो अल्लाह अज्जबल के सामने इसकी भी पकड़ होगी जो तूने अपने नफ्श़ की थोड़ी सी ख़ुशी के खातिर इस पाक महीना का मजाक बनाया है। अगर अदब नही कर सकते तो तो मजाक न बनाओ रमजान मुबारक मे अल्लाह ने हर नेक काम का बदला कई नेकियो मे बदल दिया है। रोजे दार को चाहिए अपने रोजे की हिफाज़त करे नेक काम मे मुब्बतला रहें। नमाज़ पड़े तिलाबते कुर्आन करे तसबीहात पढ़े कलिमात पढ़े रोजे की हालत मे अल्लाह के जिक्र मे मसगूल रहे। न ही रोज़े की हालत मे गन्दे कामो मे मसगूल रहो अपनी निगाहों कि हिफाजत करो रोज़े की हालत मे सब्र से काम लो  अल्लाह की रजा मे राज़ी हो जाओ अपनें रोजे कि ख़ुद ही हिफाजत करनी होगी बरना तुम्हारा रोजा रोजा नही फांका है। ऐसे रोजे तुम्हारे मुँह पर मार दिए जाएगे। और बे रोज़ेदार को चाहिए रोज़दारो का अहितराम करे उनके सामने न ही कुछ खाए न ही पिए ऐसा करने बालो तुम्हारी भी अल्लाह अज्जबल की बारगाह में पकड़ होगी इसलिए रोजेदार का अदब करो।_

*दुआ है। रब्बुल आलमीन से हम सबको इस माहे मुबारक का अदब और सदका नसीब फरमाऐ और हर गुनाह से बचने की तोफीक अता फरमाए*
*आमीन सुम्मा आमीन या रब्बुल आलमीन*

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