*【POST 43】पैन्ट और पाजामे की मोरी चढ़ा कर नमाज़ पढ़ना*

*कुछ लोग टखनो से नीचा हुआ पाजामा और पैन्ट पहिनते है। अगर उन्होने इसकी आदत डाल रखी है।। और तकब्बुर व घमंड के तौर पर ऐसा करते है। तो यह नाजायज गुनाह है। और इस तरह नमाज़ मकरूह लेकिन अगर इत्तेफाक से हो या बेख़्याली और बेतबज्जोही से हो तो हर्ज नही और जो लोग इससे बचने के लिए और टखने खोलने के लिए मोरी पाजामे को चढ़ाते है। वह गुनाह को घटाते नही बल्कि बढ़ाते है। और नमाज़ मे खराबी को कम नही करते बल्कि ज़्यादा करते है। यह पैन्ट और पाजामे की मोरी पायेंचे को लपेट कर चढ़ाना नमाज़ मे मकरूहे तहरीमी है।*
     
हदीस मे है *रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलह वसल्लम* ने फरमाया कि मुझे हुक्म दिया गया कि मे साँत हड्डियो पर सज्दा करूँ पेशानी दोनो हाथ दोनो घुटने दोनो पन्जे और यह हुक्म दिया गया नमाज़ मे कपड़े और बाल न समेटू।
     
📚 *(बुखारी, मुस्लिम, मिश्कात सफ़ा 93)*
     
*इस हदीस की रोशनी मे कपड़ा समेटना चढ़ाना नमाज़ मे मना है। लिहाजा पैन्ट और पाजामे की मोरी लपेटने और  चढ़ाने बालो को इस हदीस से इबरत हासिल करनी चाहिए।*
     
*लेकिन इस्लाह करने वालो से भी गुजारिश है। कि नमाज़ मे इस किस्म की कोताहियाँ बरतने वालो को नरमी और मोहब्बत से समझायें मान जाए तो ठीक वरना उन्हे उनके हाल पर रहनें दे। यह और मुनासिब तरीके से इस्लाह करे। उनको डांटना झिड़कना और उनसे लड़ाई झगड़ा करना बहुत बुरा है। जिस का नतीजा यह भी हो सकता है। कि वह मस्जिद मे आना नमाज़ पड़ना ही छोड़ दे जिसका वबाल उन झिड़कने बालो पर है। क्यूंकि इसमे कोई सक नही कि बाज़ इस किस्म की खामियों के साथ नमाज़ पढ़ने बाले बेनमाजियो से हजारो दर्जा बेहतर है। और नमाज़ मे कोताहियाँ करने वालो को चाहिए अगर कोई उनकी इस्लाह करे तो बुरा मानने की बजाय उसकी बात पर अमल करे उस पर गुस्सा न करे क्यूंकि वह जो कुछ कह रहा है। आपकी भलाई के लिए कह रहा है। अगर वह तुर्शी और सख़्ती से भी कह रहा है। तो वह फेल है। आपका काम तो हक़ को सुनकर अमल करना है। झगड़ा करना नही।*

📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा, 45 46*
     
जो भी हो पर खुलासा यही है। नमाज़ किस भी हाल मे माफ नही है नमाज़ पढ़ना *नबी करीम सल्लल्लाहो तआला अलह वसल्लम* की आंखो की ठंडक है। *अल्लाह अज्जबल* के सबसे नजदीक नमाज़ है। जब बंदा सज्दे की हालत मे होता है। *अल्लाह अज्जबल* के सबसे ज़्यादा करीब होता है। नमाज़ पढ़ो इससे पहले हमारी नमाज़ पढ़ी जाए।

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