بسم الله الرحمن الرحيم
*बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम*
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
*अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह वसल्लम*
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*अलग-अलग बातों का बयान पोस्ट(3)*
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सवाल- मक़्के में हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के ख़िलाफ़ किस घर में मीटिंग होती थीं उसका नाम क्या था?
*जवाब- दारुनन्दवा।*
(ज़रकानी जिल्द1 सफ्हा321)
सवाल- उसकी तामीर किसने की थी?
*जवाब- कुसई बिन किलाब ने।*
(सीरत हल्बी जिल्द1 सफ्हा14)
सवाल- बुत परस्ती की इब्तिदा कब से हुई?
*जवाब- हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के ज़माने से।*
(तफ़्सीर नईमी जिल्द12 सफ़्हा84)
सवाल- बुत परस्ती की शुरुआत किस चीज़ से हुई?
*जवाब- बुज़र्गों की तसवीर से हुई वाकिया यह हुआ की वद,सुवाअ,यगूस,यऊक,नसर जो हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की कौम के नेक व सालेह लोग थे जब उनका इन्तिक़ाल हुआ तो उनके रिश्तेदारों व दोस्तों और चाहने वालों को बहुत ज्यादा सदमा पहुँचा और वह इतने ग़मगीन हुए कि सब कारोबार छोड़कर उन्हें याद करने लगे तो एक दिन इबलीस लईन ने इन्सानी शक़्ल में आकर उनके मानने वालों से कहा कि तुम इन्सानी शक़्ल में आकर उसके मानने वालों से कहा कि तुम इनकी तसवीरें बनाकर उनकी मजलिसों में लगाओ और उन्हें उन्हीं के नाम से पुकारो ताकि तुम्हारा ग़म दूर हो पस इन लोगोंने ऐसा ही किया और यह मामला मुद्दती चलता रहा फिर जब उस जमाने के लोग वफ़ात कर गए और उनके बारे में कोई बताने वाला नही रहा तो इबलीस लइन ने मौक़ा ग़नीमत समझकर उनकी औलादों से कहा कि यह तुमहारे बाप-दादाओं के माबूद(खुदा)हैं तुम्हारे बाप-दादा इनकी इबादत करते थे यह सुनकर लोगों ने उन्हें माबूद समझ लिया और उनकी इबादत शुरू कर दी।*
(बुख़ारी शरीफ़ जिल्द2 सफ़्हा732/खाज़िन जिल्द7 सफ़्हा130/सीरत हलबी जिल्द1 सफ़्हा13/फफतावा रिज़विया जिल्द10 निस्फ अव्वल सफ़्हा145)
सवाल- सरजमीने अरब पर बुत परस्ती की रस्म किसने ईज़ाद की?
*जवाब- अमर बिन लुही ने।*
(ज़रकानी जिल्द1 सफ़्हा175/सीरत तहलबी जिल्द1 सफ़्हा12)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
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