بسم الله الرحمن الرحيم
*तर्जुमा- अल्लाह के नाम से शुरू जो बड़ा महेरवान निहायत रहम वाला है।*
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
*{इस्लामी हैरत अंगेज़ मालूमात पोस्ट(5)}*
◆________________________________◆
*उम्मतों और कौमों का बयान पोस्ट(5)आखिरी*
◆________________________________◆
सवाल- आमाल में उम्मतें मोहम्मदिया की क्या क्या खुशुशियात हैं।
*जवाब- आमाल में उम्मतें मोहम्मदिया की बाज़ खुशुसियात हस्बे ज़ेल हैं।*
*(1)मुसीबत के वक़्त इस्तरज़अ(यानी इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन)कहना जो की परवरदिगारे आलम की तरफ से फ़ज़ल व रहमत को वाजिब करने वाला और उसके लिये सब्बे हिदायत है।*
*(2)इसरार व अगलाल का उठा लिया जाना जो की पिछली उम्मतों पर था।*
*(3)उनकी तकलीफों का दूर होना जो पिछली उम्मतों पर लाज़िम थीं मसलन कत्ले अमद व खता के दरमियान ताईन व कसास खताकार के आज़ा का काटना मोज़ा निजासत को काटना और तोबा में अपनी जान को हलाक़ करना बगैरह अगर बनी इसराइल में से रात को कोई गुनाह करता तो पिछली सुबह के वक़्त उसके दरवाज़े पर लिखा होता की इस गुनाह का कफ़्फ़ारा यह है कि यह अपनी दोनों आँखों को निकाले चुनाँचे वह दोनों आँखें निकाल देता।*
*(4)खता व निसयान और हर वह अमल जो जबर व कराह से सरज़द हो उन सबके मुवाखज़े से बरी होना।*
*(5)लोगों पर गवाह बनाना और रसूलों के मुक़ाम में उन्हें खड़ा फ़रमाया क्योंकि वह अपनी अपनी उम्मतों पर गवाह हैं।*
*(6)ज़लालत व गुमराही पर मुज़त्मा न होना।*
*(7)इख़्तिलाफ़ फरोई का रहमत होना।*
*(8)ताउन का उनके लिये शहादत व रहमत होना जबकि यह दूसरी उम्मतों पर अज़ाब था।*
*(9)जब किसी शख्स के लिए दो आदमी भलाई के साथ गवाही दे तो उसके लिये जन्नत वाजिब हो जाना पिछली उम्मतों में जब सौ आदमी गवाही देते थे तब जन्नत वाजिब होती थी।*
*(10)उमरे और आमाल का कम होना मगर उनका उज़्र व सवाब ज्यादा होना।*
*(11)असनाद हदीस का अता किया जाना।*
*(12)तबारीख व अन्साब की मारिफ़त होना।*
*(13)उनमें अकताव व अवताव व नजवा और के वजूद का होना बगैरह।*
(मदारिजुन्नबुववत ज़िल्द1सफ़्हा273से281)
सवाल- क़ब्र व हष्र में उम्मतें मोहम्मदिया के बाज़ खुशुसियात क्या हैं।
*जवाब- क़ब्र व हष्र में उम्मतें मोहम्मदिया की बाज़ खुशुशियात यह हैं।*
*(1)क़ब्रों में गुनाह में साथ दाखिल होना और बेगुनाह होकर बापस निकलना मुसलमानों के इस्तिगफार करने और इसाले सवाब की वजह से गुनाहों से पाक साफ कर दिया जाएगा।*
*(2)बरोज़े क़यामत सब उम्मतों में सबसे पहले उम्मतें मोहम्मदिया को उनकी क़ब्रों से उठाया जाएगा।*
*(3)अजाए वुज़ू का रोशन व ताबा होना।*
*(4)बरोज़े क़यामत मवक़्क़फ़ में बुलंद मुकाम पर होना।*
*(5)पेशानियों पर एक निशान का होना जो उनके सजदा रेज़ी का असर है।*
*(6)नामा-ए-आमाल का दाहिने हाथ में दिया जाना बगैरह।*
(मदारिजुन्नबुववत ज़िल्द1सफ़्हा281)
◆________________________________◆
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
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सवाल- आमाल में उम्मतें मोहम्मदिया की क्या क्या खुशुशियात हैं।
*जवाब- आमाल में उम्मतें मोहम्मदिया की बाज़ खुशुसियात हस्बे ज़ेल हैं।*
*(1)मुसीबत के वक़्त इस्तरज़अ(यानी इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन)कहना जो की परवरदिगारे आलम की तरफ से फ़ज़ल व रहमत को वाजिब करने वाला और उसके लिये सब्बे हिदायत है।*
*(2)इसरार व अगलाल का उठा लिया जाना जो की पिछली उम्मतों पर था।*
*(3)उनकी तकलीफों का दूर होना जो पिछली उम्मतों पर लाज़िम थीं मसलन कत्ले अमद व खता के दरमियान ताईन व कसास खताकार के आज़ा का काटना मोज़ा निजासत को काटना और तोबा में अपनी जान को हलाक़ करना बगैरह अगर बनी इसराइल में से रात को कोई गुनाह करता तो पिछली सुबह के वक़्त उसके दरवाज़े पर लिखा होता की इस गुनाह का कफ़्फ़ारा यह है कि यह अपनी दोनों आँखों को निकाले चुनाँचे वह दोनों आँखें निकाल देता।*
*(4)खता व निसयान और हर वह अमल जो जबर व कराह से सरज़द हो उन सबके मुवाखज़े से बरी होना।*
*(5)लोगों पर गवाह बनाना और रसूलों के मुक़ाम में उन्हें खड़ा फ़रमाया क्योंकि वह अपनी अपनी उम्मतों पर गवाह हैं।*
*(6)ज़लालत व गुमराही पर मुज़त्मा न होना।*
*(7)इख़्तिलाफ़ फरोई का रहमत होना।*
*(8)ताउन का उनके लिये शहादत व रहमत होना जबकि यह दूसरी उम्मतों पर अज़ाब था।*
*(9)जब किसी शख्स के लिए दो आदमी भलाई के साथ गवाही दे तो उसके लिये जन्नत वाजिब हो जाना पिछली उम्मतों में जब सौ आदमी गवाही देते थे तब जन्नत वाजिब होती थी।*
*(10)उमरे और आमाल का कम होना मगर उनका उज़्र व सवाब ज्यादा होना।*
*(11)असनाद हदीस का अता किया जाना।*
*(12)तबारीख व अन्साब की मारिफ़त होना।*
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सवाल- क़ब्र व हष्र में उम्मतें मोहम्मदिया के बाज़ खुशुसियात क्या हैं।
*जवाब- क़ब्र व हष्र में उम्मतें मोहम्मदिया की बाज़ खुशुशियात यह हैं।*
*(1)क़ब्रों में गुनाह में साथ दाखिल होना और बेगुनाह होकर बापस निकलना मुसलमानों के इस्तिगफार करने और इसाले सवाब की वजह से गुनाहों से पाक साफ कर दिया जाएगा।*
*(2)बरोज़े क़यामत सब उम्मतों में सबसे पहले उम्मतें मोहम्मदिया को उनकी क़ब्रों से उठाया जाएगा।*
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