*जुमआ फ़र्ज़ ऐन है इसकी फ़ज़ीलत जौहर से ज्यादा मोअक़्क़द है इसका मुनकिर काफिर है।*
*हदीस शरीफ में है जिसने तीन जुमे बराबर छोड़े उसने इस्लाम को पीठ के पीछे फेंक दिया वह मुनाफ़िक़ है वह अल्लाह तआला से बे एलाका है।*
(अल्मलफुज़ जिल्द1 सफ़्हा157)
*हदीस शरीफ है कि हज़रते सलमान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायात है कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की जो शख्स जुमआ के दिन नहाए और जिस कदर हो सके पाकी व सफाई करे और तेल लगाए या खुशबू मले जो घर में मयस्सर आए फिर घर से नमाज़ के लिए निकले दो आदमियों के दरमियान(अपने बेठने के लिए या आगे गुजरने के लिये)जगह न बनाए फिर नमाज़ पढ़े जो मुक़र्रर करदी गई हैं फिर जब इमाम ख़ुत्बा पढ़े तो चुपचाप बैठा रहे तो वह सब गुनाह जो उसने एक जुमे से दूसरे जुमे तक किये सब मआफ़ कर दिये जायेगे।*
(बुख़ारी शरीफ़/अनबारूल हदीस सफ़्हा106)
*हदीसे मुबारक़ है कि हज़रते अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायात है कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया के जुमआ के दिन फ़रिश्ते मस्ज़िद के दरवाजे पर खड़े होकर मस्ज़िद में आने बालों की हाज़री लिखते हैं जो लोग पहले आते हैं उनको पहले और जो लोग बाद में आते हैं उसको बादमे और जो शख्स जुमें की नमाज़ के लिये पहले गया उसकी मिसाल जिसने मक़्क़ा शरीफ में क़ुरबानी के लिये ऊँट भेजा फिर जो दूसरे नंम्बर पर आया उसकी मिसाल उस शख्स की तरह है जिसने गाय भेजी और जो उसके बाद उसकी मिसाल उस शख्स की तरह है जिसने दुम्बा भेजा फिर जो उस शख्स के बाद आए उसकी मिसाल उस शख्स की तरह है जिसने मुर्गी भेजी और जो इस के बाद आए वह उस शख्स की तरह है जिसने अंडा भेजा फिर जब इमाम ख़ुत्बे के लिये उठता है तो फ़रिश्ते अपने कागज़ लपेट लेते है और ख़ुत्बा सुनने में लग जाते हैं।*
(बुख़ारी शरीफ/मुस्लिम शरीफ/अनबारूल हदीस सफ़्हा107)
*हदीसे मुबारक़ हज़रते समुरा इब्ने जुनदब रादियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायात है कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की जिस शख्स ने बगैरह किसी सब्ब के जुमे की नमाज़ छोड़ दी तो उससे चाहिए की एक दिनार खैरात करे अगर इतना न हो सके तो आधा दिनार खैरात करे।*
(अबु दाऊद शरीफ/अनबारूल हदीस सफ़्हा107)
*हदीसे मुबारक़ हज़रते समुरा इब्ने जुनदब रादियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायात है कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया हाज़िर रहो ख़ुत्बा के वक़्त और इमाम से करीब रहो इसलिये की आदमी जिस कदर दूर रहेगा उसी कदर जन्नत में पीछे रहेगा अगरचे यह जन्नत में दाखिल जरूर होगा।*
(अबु दाऊद शरीफ/अनबारूल हदीस सफ़्हा107)
*हदीस शरीफ में है जिसने तीन जुमे बराबर छोड़े उसने इस्लाम को पीठ के पीछे फेंक दिया वह मुनाफ़िक़ है वह अल्लाह तआला से बे एलाका है।*
(अल्मलफुज़ जिल्द1 सफ़्हा157)
*हदीस शरीफ है कि हज़रते सलमान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायात है कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की जो शख्स जुमआ के दिन नहाए और जिस कदर हो सके पाकी व सफाई करे और तेल लगाए या खुशबू मले जो घर में मयस्सर आए फिर घर से नमाज़ के लिए निकले दो आदमियों के दरमियान(अपने बेठने के लिए या आगे गुजरने के लिये)जगह न बनाए फिर नमाज़ पढ़े जो मुक़र्रर करदी गई हैं फिर जब इमाम ख़ुत्बा पढ़े तो चुपचाप बैठा रहे तो वह सब गुनाह जो उसने एक जुमे से दूसरे जुमे तक किये सब मआफ़ कर दिये जायेगे।*
(बुख़ारी शरीफ़/अनबारूल हदीस सफ़्हा106)
*हदीसे मुबारक़ है कि हज़रते अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायात है कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया के जुमआ के दिन फ़रिश्ते मस्ज़िद के दरवाजे पर खड़े होकर मस्ज़िद में आने बालों की हाज़री लिखते हैं जो लोग पहले आते हैं उनको पहले और जो लोग बाद में आते हैं उसको बादमे और जो शख्स जुमें की नमाज़ के लिये पहले गया उसकी मिसाल जिसने मक़्क़ा शरीफ में क़ुरबानी के लिये ऊँट भेजा फिर जो दूसरे नंम्बर पर आया उसकी मिसाल उस शख्स की तरह है जिसने गाय भेजी और जो उसके बाद उसकी मिसाल उस शख्स की तरह है जिसने दुम्बा भेजा फिर जो उस शख्स के बाद आए उसकी मिसाल उस शख्स की तरह है जिसने मुर्गी भेजी और जो इस के बाद आए वह उस शख्स की तरह है जिसने अंडा भेजा फिर जब इमाम ख़ुत्बे के लिये उठता है तो फ़रिश्ते अपने कागज़ लपेट लेते है और ख़ुत्बा सुनने में लग जाते हैं।*
(बुख़ारी शरीफ/मुस्लिम शरीफ/अनबारूल हदीस सफ़्हा107)
*हदीसे मुबारक़ हज़रते समुरा इब्ने जुनदब रादियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायात है कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की जिस शख्स ने बगैरह किसी सब्ब के जुमे की नमाज़ छोड़ दी तो उससे चाहिए की एक दिनार खैरात करे अगर इतना न हो सके तो आधा दिनार खैरात करे।*
(अबु दाऊद शरीफ/अनबारूल हदीस सफ़्हा107)
*हदीसे मुबारक़ हज़रते समुरा इब्ने जुनदब रादियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायात है कि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया हाज़िर रहो ख़ुत्बा के वक़्त और इमाम से करीब रहो इसलिये की आदमी जिस कदर दूर रहेगा उसी कदर जन्नत में पीछे रहेगा अगरचे यह जन्नत में दाखिल जरूर होगा।*
(अबु दाऊद शरीफ/अनबारूल हदीस सफ़्हा107)
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