*जुमे का बयान पोस्ट(2)*

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मसला◆ *जुमा पढ़ने के लिए छह शर्ते हैं कि अगर इनमे से कोही शर्त नही पाई गई तो जुमा होगा ही नही।*

*शराएत-ए-जुमा(1)मिस्र या फनाये मिस्र(2)बादशाह(3)वक़्ते जौहर(4)ख़ुत्बा(5)जमाअत(6)इज़ने आम।*

पहली शर्त:-  *_मिस्र या फनाये मिस्र का बयान मिस्र से वह जगह मुराद है जिसमे मुतअद्दिद कुचे और बाजार हों और वह जिला या परगना हो की उसके मुताल्लिक़ देहात गिने जाते हों और वहाँ कोई हाकिम हो की अपने दबदबाव के सब्ब से मज़लूम का इन्साफ ज़ालिम से ले सके यानी इन्साफ पर क़ुदरत रखता हो अगर नाइन्साफ़ी करता और बदला न लेता हो फनाये मिस्र से वह जगह मुराद नही जो मिस्र के आसपास मिस्र की मसलहतों के लिए हो जैसे क़ाब्रस्तान, घुड़दौड़ का मैदान, फ़ौज़ के रहने की जगह,कचहरी, स्टेशन की जगह से बहार हो तो फनाये मिस्र में इनका शुमार है और वहा जुमा जाइज़ है लेहाज़ा जुमा इस शहर में पढ़ा जाए या क़स्बा में या इनकी फना में और कोई गाँव में जाइज़ नही।_*

📚 *फ़तावा रज़विया, ज़िल्द 3, सफ़्हा 703*
📚 *क़ानूने शरीअत, सफ़्हा 158*

मसअला:-  *_गाँव का रहने वाला अगर शहर में आया और जुमे का दिन था और यही रहने का इरादा है तो उस पर जुमा फ़र्ज़ है।_*

📚 *क़ानूने शरीअत, सफ़्हा 158*

दोसरी शर्त:-  *_बादशाह का बयान  इससे मुराद सुल्ताने इस्लाम या इसका नाएब है जिसको सुल्तान ने जुमा काइम करने का हुक़्म दिया सुल्तान आदिल हो या ज़ालिम जुमा काइम कर सकता है यूंही अगर जबरदस्ती बादशाह बन बैठा यानी शरअन उसको हक़्के एमामत न हो मसलन करशी न हो या और कोई शर्त न हो तो यह भी जुमा काइम कर सकता है।_*

📚 *फ़तावा रज़विया, ज़िल्द 3, सफ़्हा 610. 611*
📚 *कानूने शरीअत, सफ़्हा 159*

तीसरी शर्त:-  *_वक़्त का बयान जुमा का वक़्त होना यानी वक़्ते जौहर होना जो वक़्त जौहर का है वही वक़्त जुमे का है इस ही वक़्त में जुमा होना चाहिये अगर जुमे की नमाज़ में अगर तशहहुद के बाद असर का वक़्त आ गया तो जुमा बातिल हो गया जौहर की क़ज़ा पढ़े।_*

📚 *क़ानूने शरीअत, सफ़्हा 159*

चौथी शर्त:-  *_ख़ुत्बा का बयान जुमे के ख़ुत्बे में यह शर्त है के वक़्त पर हो और नमाज़ से पहले हो और ऐसी जमाअत के सामने हो जो जुमा के लिये ज़रुरी है यानी कम से कम ख़तीब के सिवा तीन मर्द हो और इतनी आवाज़ से हो की आसपास वाले सुन सकें अगर कोई अम्र माने न हो तो अगर जवाल से पहले ख़ुत्बा पढ़ लिया या नमाज़ के बाद पढ़ा या तन्हा पढ़ा या औरतों बच्चों के सामने तो इन सब सूरतों में जुमा नही होगा।_*

📚 *क़ानूने शरीअत, सफ़्हा 159*

पाँचवी शर्त:-  *_जमाअत है यानी इमाम के अलावा कम से कम तीन मर्द होने चाहिये वरना जुमा नही होगा।_*

📚 *फ़तावा रज़विया, ज़िल्द 3, सफ़्हा 683*
📚 *क़ानूने शरीअत, सफ़्हा 160*

छठीं शर्त:-  *_इज़्ने आम इसका मतलब यह है कि मस्ज़िद का दरवाज़ा खोल दिया जाए ताकि जिस मुसलमान का जी चाहे आये किसी की रोक टोक न हो अगर जामा मस्जिद में जब लोग जमा हो गए दरवाज़ा बन्द कर के जुमा पढ़ा तो जुमा नही हुआ।_*

 📚 *आलमगीरी, क़ानूने शरीअत, सफ़्हा 160*

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