بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
सवाल- इन्सान की पैदाइश का तरीक़ा क्या है?
जवाब- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम और वनी आदम(औलादे आदम) दोनों की पैदाइश के तरीक़े अलग-अलग हैं,
हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश का तरीक़ा यह है कि पहले मिट्टी का ख़मीर हुआ फिर सूरत बनी फिर उसमें रूह डाली गई,
और औलादे आदम का तरीक़ा यह है कि पहले नुतफ़ा था फिर वह खून की बूँद बना फिर गोश्त का टुकड़ा हुआ फिर अअज़ा(अंग/हिस्से) की कलियाँ फूटीं फिर सूरत बनी फिर उसमें रूहे डाली गई।
(अलहिदाया अलमुबारक सफ़्हा 2)
सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश में कितना वक़्त लगा?
जवाब- एक सौ बीस साल तफ़सीर यह है कि हज़रत इज़राईल अलैहिस्सलाम पूरी रूऐ ज़मीन से एक मुठ्ठी ख़ाक उठाकर ले गऐ फ़रिश्तों ने बहुक्म खुदा वन्दी उस मुठ्ठी ख़ाक में पानी मिलाकर गारा बनाया वह गारा चालीस साल तक यूँही रहा फिर वह बदबूदार काला हो गया और चालीस साल तक ऐसा ही रहा उसके बाद खुदा वन्दे कुद्दुस ने अपने दस्ते कुदरत से हज़रत आदम के जिस्म को तैयार किया और उनकी सूरत बनाई यहाँ तक कि वह खुश्क होकर खनखनाने लगी फिर उसपर उन्तालीस साल ग़म की बारिश और एक साल राहत व सुरूर की बारिश हुई उसके बाद उसमें रूह डाली गई तो वह एक इन्सान हो गऐ।
(रूहुल बयान जिल्द 1 सफ़्हा 68/तफ़सीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 146/ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 7 सफ़्हा 157)
सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश कहाँ हुई?
जवाब- अकसर मुफ़ास्सिरीन फ़रमाते हैं कि जन्नते अद्न में हुई।
(रूहुल बयान जिल्द 1 सफ़्हा 68)
और कुछ हज़रात फ़रमाते हैं कि मक्का मुअज़्ज़मा और ताईफ के बीच वादिऐ नोमान में हुई।
(तफ़सीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 146/अशिअअतुल लमआत जिल्द 4 सफ़्हा 445)
सवाल- हज़रत हव्वा कैसे और कहाँ पैदा हुई?
जवाब- इस बारे में दो रिवायतें है एक दुनिया में ही हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की बाई पसली से पैदा हुई दूसरी रिवायत यह है कि जन्नते अद्न में पैदा हुई।
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 78/तफ़सीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 158)
सवाल- माँ के पेट में नुतफ़ा(पानी की बूँद) ठहरने के कितने दिन बाद उसमें रूह फूंकी जाती है?
जवाब- चार महीने बाद हदीस शरीफ में है कि पैदाइश का माद्दा माँ के पेट में चालीस दिन तक नुतफ़ा ही रहता है उतनी ही मुद्ददत जमे खून की तरह फिर इतनी ही मुद्दत गोश्त के लोथड़े की तरह फिर उसमें रूह डाली जाती है।
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 75)
सवाल- क्या बच्चे की पैदाइश मर्द औरत दोनों की नुत्फ़े से होती है?
जवाब- हाँ बच्चे की पैदाइश में मर्द और औरत दोनों के नुत्फ़े शामिल होते हैं।
(ख़ाज़िन जिल्द 7 सफ़्हा 157)
सवाल- फिर बच्चा कभी माँ के और कभी बाप की तरह क्यो होता है?
जवाब- माँ-बाप में से जिसकी नुत्फ़ा(मनी) ताक़तवर हो या नत्फ़ा पेट में पहले पहुँचे बच्चा उसकी तरह होगा यानी यह दोनों बातें अगर मर्द के नुत्फ़े में पाई जाऐं तो बच्चा बाप या बाप के खानदान की तरह होगा और अगर यह दोनों बातें औरत के नुत्फ़े में पाई जाऐं तो बच्चा औरत या औरत के खानदान की तरह होगा।
(बुखारी शरीफ जिल्द 1 सफ़्हा 469/तफ़सीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 302)
सवाल- क्या औलादे आदम की पैदाइश में मिट्टी मिलावट होती है?
जवाब- हाँ नुतफ़ा जब माँ के पेट में जगह पाता है तो जो फ़रिश्ता रहम(हम्ल)पर मुवक्किल है उसकी क़ब्र की मिट्टी(यानी जहाँ उसको दफ़न होना है) लाकर नुत्फ़ा पर छिड़कता है फिर उस नुत्फ़े और मिट्टी से इन्सान की पैदाइश होती है हदीस शरीफ में है कि कोई बच्चा पैदा नहीं होता जिनकी नाफ़ में वहाँ की मिट्टी न हो जहाँ वह मरेगा।
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 4 सफ़्हा 220/फ़तावा अफीका सफ़्हा 85)
सवाल- क्या अम्बियाऐ किराम की पैदाइश उसी नापाक नुत्फ़े से हुई?
जवाब- नहीं अंबियाऐ किराम की पैदाइश जिन नुत्फ़ों से हुई वह नुत्फ़ा पाक है और खुद अम्बियाऐ किराम के नुत्फ़े और पेशाब बल्कि तमाम फुज़लात(जिस्म से निकलने वाली चीजे) पाक हैं।
(फ़तावा रिज़विया जिल्द 2 सफ़्हा 161)
सवाल- क्या हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम भी हज़रत मरयम के नुत्फ़े से पैदा हुऐ?
जवाब- नहीं आप सिर्फ कलमऐ कुन से पैदा हुऐ यानी हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम के हज़रत मरयम के गिरेबान या बग़ल में फूँक मारने से पैदा हुऐ।
(ख़ाज़िन जिल्द 1 सफ़्हा 301)
सवाल- हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम हज़रत मरयम के नुत्फ़े से नहीं तो फिर इब्ने मरयम क्यों कहते हैं?
जवाब- सिर्फ़ इसलिए कहते है कि उनके पेट से पैदा हुऐ और उनके उनके हमशक्ल थे न आप की पैदाइश उनके नुत्फ़े से हुई न ही माँ के पेट में माहवारी के खून की परवरिश हुई।
(तफ़सीर नईमी पारा 3 सफ़्हा 563)
सवाल- हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम माँ के पेट में कितने दिन रहे?
जवाब- आठ महीने।
(तफ़सीर जुमल जिल्द 3 सफ़्हा 57)
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
सवाल- इन्सान की पैदाइश का तरीक़ा क्या है?
जवाब- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम और वनी आदम(औलादे आदम) दोनों की पैदाइश के तरीक़े अलग-अलग हैं,
हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश का तरीक़ा यह है कि पहले मिट्टी का ख़मीर हुआ फिर सूरत बनी फिर उसमें रूह डाली गई,
और औलादे आदम का तरीक़ा यह है कि पहले नुतफ़ा था फिर वह खून की बूँद बना फिर गोश्त का टुकड़ा हुआ फिर अअज़ा(अंग/हिस्से) की कलियाँ फूटीं फिर सूरत बनी फिर उसमें रूहे डाली गई।
(अलहिदाया अलमुबारक सफ़्हा 2)
सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश में कितना वक़्त लगा?
जवाब- एक सौ बीस साल तफ़सीर यह है कि हज़रत इज़राईल अलैहिस्सलाम पूरी रूऐ ज़मीन से एक मुठ्ठी ख़ाक उठाकर ले गऐ फ़रिश्तों ने बहुक्म खुदा वन्दी उस मुठ्ठी ख़ाक में पानी मिलाकर गारा बनाया वह गारा चालीस साल तक यूँही रहा फिर वह बदबूदार काला हो गया और चालीस साल तक ऐसा ही रहा उसके बाद खुदा वन्दे कुद्दुस ने अपने दस्ते कुदरत से हज़रत आदम के जिस्म को तैयार किया और उनकी सूरत बनाई यहाँ तक कि वह खुश्क होकर खनखनाने लगी फिर उसपर उन्तालीस साल ग़म की बारिश और एक साल राहत व सुरूर की बारिश हुई उसके बाद उसमें रूह डाली गई तो वह एक इन्सान हो गऐ।
(रूहुल बयान जिल्द 1 सफ़्हा 68/तफ़सीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 146/ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 7 सफ़्हा 157)
सवाल- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश कहाँ हुई?
जवाब- अकसर मुफ़ास्सिरीन फ़रमाते हैं कि जन्नते अद्न में हुई।
(रूहुल बयान जिल्द 1 सफ़्हा 68)
और कुछ हज़रात फ़रमाते हैं कि मक्का मुअज़्ज़मा और ताईफ के बीच वादिऐ नोमान में हुई।
(तफ़सीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 146/अशिअअतुल लमआत जिल्द 4 सफ़्हा 445)
सवाल- हज़रत हव्वा कैसे और कहाँ पैदा हुई?
जवाब- इस बारे में दो रिवायतें है एक दुनिया में ही हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की बाई पसली से पैदा हुई दूसरी रिवायत यह है कि जन्नते अद्न में पैदा हुई।
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 78/तफ़सीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 158)
सवाल- माँ के पेट में नुतफ़ा(पानी की बूँद) ठहरने के कितने दिन बाद उसमें रूह फूंकी जाती है?
जवाब- चार महीने बाद हदीस शरीफ में है कि पैदाइश का माद्दा माँ के पेट में चालीस दिन तक नुतफ़ा ही रहता है उतनी ही मुद्ददत जमे खून की तरह फिर इतनी ही मुद्दत गोश्त के लोथड़े की तरह फिर उसमें रूह डाली जाती है।
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 75)
सवाल- क्या बच्चे की पैदाइश मर्द औरत दोनों की नुत्फ़े से होती है?
जवाब- हाँ बच्चे की पैदाइश में मर्द और औरत दोनों के नुत्फ़े शामिल होते हैं।
(ख़ाज़िन जिल्द 7 सफ़्हा 157)
सवाल- फिर बच्चा कभी माँ के और कभी बाप की तरह क्यो होता है?
जवाब- माँ-बाप में से जिसकी नुत्फ़ा(मनी) ताक़तवर हो या नत्फ़ा पेट में पहले पहुँचे बच्चा उसकी तरह होगा यानी यह दोनों बातें अगर मर्द के नुत्फ़े में पाई जाऐं तो बच्चा बाप या बाप के खानदान की तरह होगा और अगर यह दोनों बातें औरत के नुत्फ़े में पाई जाऐं तो बच्चा औरत या औरत के खानदान की तरह होगा।
(बुखारी शरीफ जिल्द 1 सफ़्हा 469/तफ़सीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 302)
सवाल- क्या औलादे आदम की पैदाइश में मिट्टी मिलावट होती है?
जवाब- हाँ नुतफ़ा जब माँ के पेट में जगह पाता है तो जो फ़रिश्ता रहम(हम्ल)पर मुवक्किल है उसकी क़ब्र की मिट्टी(यानी जहाँ उसको दफ़न होना है) लाकर नुत्फ़ा पर छिड़कता है फिर उस नुत्फ़े और मिट्टी से इन्सान की पैदाइश होती है हदीस शरीफ में है कि कोई बच्चा पैदा नहीं होता जिनकी नाफ़ में वहाँ की मिट्टी न हो जहाँ वह मरेगा।
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 4 सफ़्हा 220/फ़तावा अफीका सफ़्हा 85)
सवाल- क्या अम्बियाऐ किराम की पैदाइश उसी नापाक नुत्फ़े से हुई?
जवाब- नहीं अंबियाऐ किराम की पैदाइश जिन नुत्फ़ों से हुई वह नुत्फ़ा पाक है और खुद अम्बियाऐ किराम के नुत्फ़े और पेशाब बल्कि तमाम फुज़लात(जिस्म से निकलने वाली चीजे) पाक हैं।
(फ़तावा रिज़विया जिल्द 2 सफ़्हा 161)
सवाल- क्या हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम भी हज़रत मरयम के नुत्फ़े से पैदा हुऐ?
जवाब- नहीं आप सिर्फ कलमऐ कुन से पैदा हुऐ यानी हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम के हज़रत मरयम के गिरेबान या बग़ल में फूँक मारने से पैदा हुऐ।
(ख़ाज़िन जिल्द 1 सफ़्हा 301)
सवाल- हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम हज़रत मरयम के नुत्फ़े से नहीं तो फिर इब्ने मरयम क्यों कहते हैं?
जवाब- सिर्फ़ इसलिए कहते है कि उनके पेट से पैदा हुऐ और उनके उनके हमशक्ल थे न आप की पैदाइश उनके नुत्फ़े से हुई न ही माँ के पेट में माहवारी के खून की परवरिश हुई।
(तफ़सीर नईमी पारा 3 सफ़्हा 563)
सवाल- हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम माँ के पेट में कितने दिन रहे?
जवाब- आठ महीने।
(तफ़सीर जुमल जिल्द 3 सफ़्हा 57)
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