*वाक़्यात पढें की आला हज़रत की ज़िंदगी किस तरह हमें दर्स देती है ! वाक़्यात पढ़ कर गौर करें कि मसलके आला हज़रत आख़िर क्यों कहा जाता है ?*
*क़दम बोसी से नागवारी*
📄आला हज़रत एक साहब की तरफ़ मुतवज़्ज़ह होकर हुक़्म मसला इरशाद फ़रमा रहे थे एक और साहब ने यह मौका कदमबोसी से फ़ैज़ याब होने का अच्छा समझा, क़दम बोस हुए फौरन चेहरा ए मुबारक का रंग मुतगैयर हो गया और इरशाद फ़रमाया इस तरह मेरे क़ल्ब(दिल) को सख़्त अज़ीयत होती है यूँ तो हर वक़्त क़दम बोसी नागवार होती है मगर दो सूरतों में सख़्त तक़लीफ़ होती है !
*🌟एक तो उस वक़्त की मैं वज़ीफ़ा में हूँ !*
*🌟दूसरे जब मैं मशगूल हूँ और गफ़लत में कोई क़दम बोस हो उस वक़्त में बोल नही सकता !*
👑मैं डरता हूँ खुदा वह दिन न लाये की लोगों की कदमबोसी से मुझे राहत हो और जो क़दमबोस न हो तो तकलीफ़ हो कि यह हलाकत है !
*📚(फैज़ान ए आला हज़रत, सफा 299)*
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