✍🏻 ....उलमा-ए-किराम इन लोगों के बारे में फरमाते है।---


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📚 "जो इन [ वहाबियों ] के क़ाफ़िर होने मे और इनके अ़ज़ाब में शक करे वोह खुद भी क़ाफ़िर है"।---

📚 [ हस्सामुल हरमैन, ]

✍🏻 [ हदीस :-].... हज़रत अबूह़ुरैरा, हज़रत अनस बिन मालिक, हज़रत अब्दुल्लाह बिन ऊमर, व हज़रत जाबिर [रदिअल्लाहो तआला अन्हो ] रिवायत करते हैं। कि हुज़ूरे अक़दसﷺ  ने इरशाद फरमाया----
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👉🏻 "अगर बद़ मज़हब, बेदीन, मुनाफ़िक़ बीमार पड़े तो उनको पूछने  न जाओ, और अगर वोह मर जाए तो उनके ज़नाज़े पर न जाओ, उनको सलाम न करो, उनके पास न बैठो, उनके साथ न खाओ न पियो, --- न ही उनके साथ शादी करो--- न उनके साथ नमाज़ पढ़ो,"

📚 [ मुस्लिम शरीफ, अबूूदाऊद शरीफ, व इब्ने माज़ा शरीफ, मिश्क़ात शरीफ, ]

📚  [हदीस :-].... हज़रत इब्ने अ़दी [ रदिअल्लाहो तआला अन्हो ]  हज़रत मौला अली [रदिअल्लाहो तआला अन्हो] से रिवायत करते है कि हुज़ूर अकरम ﷺ ने इरशाद फरमाया------
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📚  जो मेरी इज़्ज़त न करे और मेरे अन्सारी सहाबा और अ़रब के मुसलमानो का हक़ न पहचाने वोह तीन हाल से खाली नहीं,
            (1)या तो मुनाफ़िक़ है,
            (2)या हराम की औलाद,
            (3) या हैज़ [ माहवारी ] की
                 हालत में जना हुआ।

📚 [  बयहक़ी शरीफ, बहवाला इसअ़तुल अ़दब लफ़ाज़िलिन्नसब, सफा नं 46, अज :- आला हज़रत, ]

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