*आलाहज़रत सरकार के मशहुर फतवे !!* *जिनकी वज़ह से वहाबीयों की नी़द हराम हो गयी थी*



       *फ़तावा-ए-रज़विया*
📝आ़ला ह़ज़रत इमाम अह़मद रज़ा ख़ां फ़ाज़िल-ए-बरेलवी
1. सुन्नी और वहाबी को बराबर जानने और मानने वाला काफ़िर है
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 6, सफ़ा: 638.*
2. वहीबी देवबंदी से दोसती करना ह़राम है और उनसे दिली दोसती और क़लबी मोह़ब्बत कुफ़्र है
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 6, सफ़ा: 91, 92.*
3. दीनी इ़ल्म रखने वाला अगर बदमज़हबों के रद्द की नियत से अंग्रेजी ज़ुबान भी पढ़े तो सवाब मिलेगा
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 23, सफ़ा: 533.*
4. बदअक़ीदा वहाबी देवबंदी वग़ैह की नमाज़ हो रही हो तो सुन्नी तनहा पढ़े
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 7, सफ़ा: 53.*
5. सुन्नी सय्यद 'सुन्नी ही सय्यद होता है' इसकी ताज़ीम ज़रूरी है अगरचे उसके आ़माल कैसे भी हों और सय्यद बदअक़ीदा देवबंदी, वहाबी, राफ़ज़ी, सुलह कुल्ली वग़ैरह हो जाए तो उसकी ताज़ीम हराम है
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 23, सफ़ा: 423.*
6. बिना इ़ल्म के क़ुरआन-ए-मुक़द्दस का तर्जुमा देखकर समझ लेना मुमकिन नहीं बल्कि उसके नफ़ा से ज़्यादा नुक्सान है, जब तक किसी सुन्नी सहीउल अक़ीदा आ़लिम-ए-दीन से न पढ़े
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 23 सफ़ा, 382.*
7. सिर्फ़ मुसलमान ही आपस में भाई-भाई होते हैं कोई काफ़िर किसी मुसलमान का भाई नहीं हो सकता
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 14, सफ़ा: 489.*
8. मुसलमान नज़र और नियाज़ ईसाल-ए-सवाब की नीयत से करता है, इ़बादत की नीयत से नहीं
*📓(फ़तावा-ए-रज़विया) जिल्द: 21, सफ़ा: 132*

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