*_✭ﺑِﺴْــــــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ✭_*
*_★الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ★_*
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📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-7⃣8⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
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🔵 *_औरत का औरत से मिलाप_* 🔵 *______________________________________*
📚 *_हदीस : रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फर्माया_*
💫 *_"कोई मर्द किसी ना महरम औरत की तरफ़, और कोई औरत किसी ना महरम मर्द की तरफ़ न देखे और, एक मर्द दूसरे मर्द के साथ और, एक औरत दूसरी औरत के साथ एक कपड़ा ओढ़ कर न लेटे"_*
*_📕 [मिश्क़ात शरीफ जिल्द नं 2, हदीस नं 2966, सफा नं 73]_*
*___________________________________*
👉🏻 *_क़ुर्बान जाईये इस तबीबे उम्मत नबी-ए-रहमत ﷺ_* _के जिन्होंने औरत को औरत के साथ एक बिस्तर पर एक चादर ओढे आराम करने से मना फ़र्माया! मर्दों में जिस तरह इस हरकत से क़ौमे लूत अलैह हिस्सलीम के नापाक अमल का ख़तरा है, औरतों में भी इस फ़ित्ने का डर है! और जो नुक़्सान दुनियावी व दीनी मर्दों की इस नापाक हरकत से पैदा होते हैं वही औरतों की औरत से शरारत व ख़बासत से होगें।_
👉 _औरत का औरत से मिलाप यह एक ऐसी खबासत है के जो अपने हाथो की हर गैर मामुली हरकत जिस्म को हर हाल मे तबाह करने वाली है! और उम्र भर के लिए जिन्दगी बेकार बनाने वाली, और मर्ज मे मुब्तला करने वाली है !जैसे घबराहट, बेचैनी व पागल पन के आसार पैदा होना दिल का कमज़ोर होना, बेहोशी के दौरे पड़ना आखिरकार मेदा, जिगर, गुरदा, सब के काम ख़राब करेगा, आँखों में गड्डे, चेहरे पर बेरौनकी, हर वक्त़ कमर में दर्द, बदन का कमज़ोर होना, जरा सा काम से सर चकराना, दिल घबराना, बात बात में चिड़चिड़ा पन और फिर इन सब के बाद तपेदिक (Chronic fever) की बीमारी में गिरफ्तार हो कर मौत का शिकार होना है। और फिर मौत के बाद भी सुकून नही ज़हन्नम का अज़ाब़ बाकी।_
👉 *_शायद औरतों ने यह ख़्याल कर रखा है कि यह कोई गुनाह नही या है भी तो मामूली सा, सुनो अल्लाह के रूसूल ﷺ क्या इर्शाद फ़र्माते है........_*
📚 *_हदीस : "न औरत, औरत के साथ नज़्दीकी करे, न औरत अपने हाथों अपने आप को खराब करे, जो औरत अपने हाथों अपने आपको खराब करती है वह भी यक़ीनन ज़ानिया (ज़िना करने वाली) है।_*
👉🏻 _इस गुनाह के लिए दुनिया का कोई बदतरीन अज़ाब़ भी काफी नही हो सकता इसके लिए ज़हन्नम के वह दहकते हुए अंगारे और दोज़ख के वह ड़रावने जहरीले साँप और बिच्छू ही सज़ा हो सकते हैं जिनकी तकलीफ़ ना काबीले बर्दाश्त और इतिहाई तकलिफ पहुचाने वाली है!_
📕 *_[बहवाला :- जवानी की हिफ़ाज़त, सफा नं 76, 77, 78]_*
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🔵 *_अपने हाथों अपनी बर्बादी_* 🔵
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👉🏻 _यह इंसानी आदत व फितरत का तकाजा है की वह अपने कमाल का इज्हार करना चाहता है! यही जज्बा इस खास दौलत व मख्सुस कुव्वत के पैदा होने और कमाल की सुरत अख्तियार करने के बाद उसके इज्हार की तरफ माइल करता है! और ख्वाह म ख्वाह दिल मे वसवसा समाता है की इस दौलत को इस्तेमाल करने की लज्जत उठाए! कभी-कभी यह लज्जत उठाने का जज्बा इंसान को इस कद्र मजबुर कर देता है बल्की ऐसा अज खुद रफ्ता बना देता है की, अगर इस हालत को जुनुन से ताबीर किया जाए तो बेजा न होंगा! *अश्शबाबु सअ्बतुन मिनल जुनुन!* जवानी दिवानी के इस अरबी मकुले (कहावत) के मुताबीक आजका *हमारा नौजवान* अपनी जवानी को दिवानगी की इस बुलंद चोटी पर ले जा चुका है की जहॉं पहुंचने के बाद शहवत और हवस के सिवा उसे कुछ दिखाई नही देता! और फिर जब वह इस चोटी से फिसल कर गिरता है तो उसकी *मस्खशुदा मर्दानगी* की लाश की शिनाख्त कर पाना भी मुश्कील हो जाता है!_
👉🏻 _बताईये इस दौर मे जिस कद्र बुराईयॉं फैल रही है इसकी सबसे बडी वजह क्या है? *फिल्मे* जी हॉं! आज समाज का और मुसलमानो का तक्रीबन हर मकान एक *सिनेमा घर* बन चुका है! जब एक बच्चा होश की मंजील को छुता है तो वह अपने घर मे TV के जरीये वह सब कुछ देखता और जान लेता है जो उसे इस उम्र मे नहीं जानना चाहीये! *TV ही क्या कम था जो कुछ कसर बाकी थी तो उस बची कुची कसर को इस जमाने के समार्ट फोन (Mobile) ने पुरी कर दी! TV पर तो कम अज कम घर के बडो और बुजुर्गो का काफी हद तक Control होता था! मगर इस मोबाईल मे उसे कोई रोक-टोक नही! खुली आजादी!*_
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📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-7⃣8⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
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🔵 *_औरत का औरत से मिलाप_* 🔵 *______________________________________*
📚 *_हदीस : रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फर्माया_*
💫 *_"कोई मर्द किसी ना महरम औरत की तरफ़, और कोई औरत किसी ना महरम मर्द की तरफ़ न देखे और, एक मर्द दूसरे मर्द के साथ और, एक औरत दूसरी औरत के साथ एक कपड़ा ओढ़ कर न लेटे"_*
*_📕 [मिश्क़ात शरीफ जिल्द नं 2, हदीस नं 2966, सफा नं 73]_*
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👉🏻 *_क़ुर्बान जाईये इस तबीबे उम्मत नबी-ए-रहमत ﷺ_* _के जिन्होंने औरत को औरत के साथ एक बिस्तर पर एक चादर ओढे आराम करने से मना फ़र्माया! मर्दों में जिस तरह इस हरकत से क़ौमे लूत अलैह हिस्सलीम के नापाक अमल का ख़तरा है, औरतों में भी इस फ़ित्ने का डर है! और जो नुक़्सान दुनियावी व दीनी मर्दों की इस नापाक हरकत से पैदा होते हैं वही औरतों की औरत से शरारत व ख़बासत से होगें।_
👉 _औरत का औरत से मिलाप यह एक ऐसी खबासत है के जो अपने हाथो की हर गैर मामुली हरकत जिस्म को हर हाल मे तबाह करने वाली है! और उम्र भर के लिए जिन्दगी बेकार बनाने वाली, और मर्ज मे मुब्तला करने वाली है !जैसे घबराहट, बेचैनी व पागल पन के आसार पैदा होना दिल का कमज़ोर होना, बेहोशी के दौरे पड़ना आखिरकार मेदा, जिगर, गुरदा, सब के काम ख़राब करेगा, आँखों में गड्डे, चेहरे पर बेरौनकी, हर वक्त़ कमर में दर्द, बदन का कमज़ोर होना, जरा सा काम से सर चकराना, दिल घबराना, बात बात में चिड़चिड़ा पन और फिर इन सब के बाद तपेदिक (Chronic fever) की बीमारी में गिरफ्तार हो कर मौत का शिकार होना है। और फिर मौत के बाद भी सुकून नही ज़हन्नम का अज़ाब़ बाकी।_
👉 *_शायद औरतों ने यह ख़्याल कर रखा है कि यह कोई गुनाह नही या है भी तो मामूली सा, सुनो अल्लाह के रूसूल ﷺ क्या इर्शाद फ़र्माते है........_*
📚 *_हदीस : "न औरत, औरत के साथ नज़्दीकी करे, न औरत अपने हाथों अपने आप को खराब करे, जो औरत अपने हाथों अपने आपको खराब करती है वह भी यक़ीनन ज़ानिया (ज़िना करने वाली) है।_*
👉🏻 _इस गुनाह के लिए दुनिया का कोई बदतरीन अज़ाब़ भी काफी नही हो सकता इसके लिए ज़हन्नम के वह दहकते हुए अंगारे और दोज़ख के वह ड़रावने जहरीले साँप और बिच्छू ही सज़ा हो सकते हैं जिनकी तकलीफ़ ना काबीले बर्दाश्त और इतिहाई तकलिफ पहुचाने वाली है!_
📕 *_[बहवाला :- जवानी की हिफ़ाज़त, सफा नं 76, 77, 78]_*
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🔵 *_अपने हाथों अपनी बर्बादी_* 🔵
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👉🏻 _यह इंसानी आदत व फितरत का तकाजा है की वह अपने कमाल का इज्हार करना चाहता है! यही जज्बा इस खास दौलत व मख्सुस कुव्वत के पैदा होने और कमाल की सुरत अख्तियार करने के बाद उसके इज्हार की तरफ माइल करता है! और ख्वाह म ख्वाह दिल मे वसवसा समाता है की इस दौलत को इस्तेमाल करने की लज्जत उठाए! कभी-कभी यह लज्जत उठाने का जज्बा इंसान को इस कद्र मजबुर कर देता है बल्की ऐसा अज खुद रफ्ता बना देता है की, अगर इस हालत को जुनुन से ताबीर किया जाए तो बेजा न होंगा! *अश्शबाबु सअ्बतुन मिनल जुनुन!* जवानी दिवानी के इस अरबी मकुले (कहावत) के मुताबीक आजका *हमारा नौजवान* अपनी जवानी को दिवानगी की इस बुलंद चोटी पर ले जा चुका है की जहॉं पहुंचने के बाद शहवत और हवस के सिवा उसे कुछ दिखाई नही देता! और फिर जब वह इस चोटी से फिसल कर गिरता है तो उसकी *मस्खशुदा मर्दानगी* की लाश की शिनाख्त कर पाना भी मुश्कील हो जाता है!_
👉🏻 _बताईये इस दौर मे जिस कद्र बुराईयॉं फैल रही है इसकी सबसे बडी वजह क्या है? *फिल्मे* जी हॉं! आज समाज का और मुसलमानो का तक्रीबन हर मकान एक *सिनेमा घर* बन चुका है! जब एक बच्चा होश की मंजील को छुता है तो वह अपने घर मे TV के जरीये वह सब कुछ देखता और जान लेता है जो उसे इस उम्र मे नहीं जानना चाहीये! *TV ही क्या कम था जो कुछ कसर बाकी थी तो उस बची कुची कसर को इस जमाने के समार्ट फोन (Mobile) ने पुरी कर दी! TV पर तो कम अज कम घर के बडो और बुजुर्गो का काफी हद तक Control होता था! मगर इस मोबाईल मे उसे कोई रोक-टोक नही! खुली आजादी!*_
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