*【पोस्ट न.= 04】*

*_﷽-الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ_*
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      💫💫  _*【इस्लाम में हर नया काम गुमराही और गुनाह नहीं】*_💫💫
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हदीस:-  *_हज़रत साइब इब्ने यज़ीद से मरवी है कि जुमे के दिन एक अज़ान उस वक़्त होती थी जब इमाम मिम्बर पर तशरीफ लाते हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के ज़माने में और हज़रत अबू बक्र रदियल्लाहु तआला अन्हुमा के दौर में तो जब हज़रत उस्मान ग़नी रदियल्लाहु तआला अन्हु की खिलाफ़त का ज़माना आया और आबादी ज़्यादा हुई तो उन्होंने मुकामे ज़ौरा पर एक अज़ान का इज़ाफा फ़रमाया यानी अब दो दो अज़ाने होने लगी।_*

 *📚 बुख़ारी, जिल्द 1, बाबुल अज़ान यौमल जुमा, सफ़्हा 124*

 *_इस हदीस से भी मालूम हुआ कि किसी दीनी मसलहत या ज़रूरत से अगर कोई अमल ईजाद किया जाये तो वह गुमराही नहीं जैसे हज़रत उस्मान ग़नी रदियल्लाहु तआला अन्हु ने अवाम की ज़्यादती के पेशे नज़र जुमा में एक अज़ान का इज़ाफा किया जो आज तक सारी दुनिया में होती है वरना हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के ज़माने में नमाज़े जुमा में सिर्फ एक ही अजान होती थी।_*

 _➡ पोस्ट ज़ारी रहेगी..........._
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