*भारत माता की जय बोलना कुफ्र है!*
*(📚 फ़तावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 598)*
*जय हिन्द बोलना भी जायज़ नहीं है कि शियारे हिनूद है, हिंदुस्तान जिंदाबाद कहें!*
*(📚 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 463)*
*वन्दे मातरम गाने वाला काफिर है!*
*(📚 फ़तावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 590)*
*गैर मुस्लिम यानी काफिरों को शहीद कहना कुफ्र है!*
*(📚 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 588)*
*जो ये कहे कि मौलवी से अच्छे तो पंडित हैं वो काफिर है!*
*(📚 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 587)*
*जिसने मज़ाक़ में भी ये कहा के सोचता हूं के मैं हिन्दू या ईसाई हो जाऊं या किसी भी काफिरो मुर्तद फिरके का नाम लिया तो फौरन काफिर हो गया!*
*(📚 अहकामे शरीयत, हिस्सा 2, सफह 24)*
*किसी काफिर को महातमा कहना कुफ्र है!*
*(📚 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 589)*
*मुसलमान अगर जय श्री राम, जय हनुमान,हर हर महादेव, जय श्री गणेश,जय भीम,हरे रामा हरे कृष्णा या मैरी क्रिस्मस या इस तरह का कोई भी मज़हबी नारा जो काफिरों में मशहूर है लगायेगा तो काफिर हो जायेगा!*
*(📚 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 550)*
*हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई जो ये नारा लगाये काफिर है!*
*(📚 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 552)*
*युंही नमस्ते नमस्कार प्रणाम वगैरह कहना भी नाजाइज़ और हराम है !*
*(📚 फ़तावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 598)*
*जय हिन्द बोलना भी जायज़ नहीं है कि शियारे हिनूद है, हिंदुस्तान जिंदाबाद कहें!*
*(📚 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 463)*
*वन्दे मातरम गाने वाला काफिर है!*
*(📚 फ़तावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 590)*
*गैर मुस्लिम यानी काफिरों को शहीद कहना कुफ्र है!*
*(📚 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 588)*
*जो ये कहे कि मौलवी से अच्छे तो पंडित हैं वो काफिर है!*
*(📚 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 587)*
*जिसने मज़ाक़ में भी ये कहा के सोचता हूं के मैं हिन्दू या ईसाई हो जाऊं या किसी भी काफिरो मुर्तद फिरके का नाम लिया तो फौरन काफिर हो गया!*
*(📚 अहकामे शरीयत, हिस्सा 2, सफह 24)*
*किसी काफिर को महातमा कहना कुफ्र है!*
*(📚 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 589)*
*मुसलमान अगर जय श्री राम, जय हनुमान,हर हर महादेव, जय श्री गणेश,जय भीम,हरे रामा हरे कृष्णा या मैरी क्रिस्मस या इस तरह का कोई भी मज़हबी नारा जो काफिरों में मशहूर है लगायेगा तो काफिर हो जायेगा!*
*(📚 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 550)*
*हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई जो ये नारा लगाये काफिर है!*
*(📚 फतावा शारेह बुखारी, जिल्द 2, सफह 552)*
*युंही नमस्ते नमस्कार प्रणाम वगैरह कहना भी नाजाइज़ और हराम है !*
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