*_बाज़ मजारात के मुजाविर और सज्जादानशीन लोग ज़ाइरीन के हाथों में सुर्ख या पीले रंग के डोरे बाँध देते हैं। ऐसे काम हिन्दुओं के बाबा और साधू लोग करते थे, वह तीरथ यात्रियों के हाथों में लाल पीले डोरे बॉध देते हैं अब मज़ारात के मुजाविर और सज्जादों में भी इसका रिवाज़ हो गया है। यह बात मुनासिब नहीं है और मुसलमानों को गैर मुस्लिमों की नकल और उनकी मुशाबहत से बचना चाहिए और हाथों में डोरे और कड़े न डालना चाहिए और न डलवाना चाहिए।_*
📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा,172*
📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा,172*
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