*【POST 157】क्या बुराई और भलाई का तअल्लुक सितारों से भी है*

*_कुछ लोग समझते हैं कि बुराई भलाई और नफा नुकसान का तअल्लुक सितारों से है हालाँकि ऐसा कुछ नहीं है।_*

*आलाहज़रत फ़रमाते हैं :-*
_मुसलमान मुतीअ पर कोई चीज़ नहस (मनहूस) नहीं और काफिरों के लिए कुछ सअद (भलाई) नहीं। बाकी कवाकिब (सितारों) में कोई सआदत व नहूसत नहीं अगर उनको खुद मुअस्सिर जाने मुश्रिक (काफिर) है और उनसे मदद माँगे तो हराम है और उनकी रिआयत जरूर ख़िलाफे तवक्कुल है।_

📗 *(फतावा रज़विया, जिल्द 10, किस्त 2 ,सफा 265)*

*_बाज़ नुकूश व तावीजात के बारे में सितारों का हिसाब लगा कर कुछ औकात को खास किया जाता है तो उसके बारे में मुसलमान को यह अक़ीदा खना चाहिए कि खुदाए तआला ने बाज़ औकात को बाज़ कामों के लिए बाज़ दूसरे औकात के मुकाबले में पसन्द फरमाया है और किसी साअत और घड़ी को किसी दूसरे से किसी खास काम के लिए अफ़ज़ल व बेहतर बनाया है। लेकिन मनहूस किसी वक़्त को नहीं समझना चाहिए और होता वही है जो अल्लाह तआला चाहता है और खुदाए तआला व रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम  पर ईमान और उनकी इताअत से बढ़कर कोई सआदत व बरकत, नफा और भलाई नहीं और उनकी नाफरमानी और कुफ़ से बढकर कोई नहूसत नहीं ---- और ऐसे ही बाज़ कामों के लिए बाज़ दिनों की फजीलत आई है जैसे सफर के लिए जुमेरात या पीर का दिन और नाखुन तरशवाने और बाल कटवाने के लिए जुमे का दिन। इसका मतलब यह नहीं कि और दिन मनहूस हैं या उनमें वह काम नाजाइज़ व गुनाह है बल्कि किसी दिन भी सफ़र करना और किसी दिन नाखून और बाल कटवाना नाजाइज़ व गुनाह नहीं है, हर दिन जाइज़ है। हाँ मखसूस और वो दिन जो ऊपर जिक्र हुए उनमें ये काम दूसरे दिनों से ज्यादा बेहतर व अफज़ल व पसन्दीदा हैं।_*

_बाज़ जगह औरतें बुध के दिन घर से निकलने और सफ़र करने को मना करती हैं। यह उनकी जहालत है। बुध के दिन की तो खास तौर पर हदीस में फजीलत आई है। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशाद है :-_

*"जो काम बुध के दिन शुरू किया जाता है, पूरा होता है।"*
_यह हदीस आलाहज़रत इमामे अहले सुन्नत ने फतावा रज़विया जिल्द 12 सफा 160 पर नकल फ़रमाई है।_

*सदरुश्शरी हज़रत मौलाना अमजद अली साहब अलैहिर्रहमह फ़रमाते हैं :-*

_नजूम की इस किस्म की बातें जिनमें सितारों की तासीरात बताई जाती हैं कि फलाँ सितारा तुलू होगा तो फलॉ बात होगी, यह भी बेशरअ है। इसी तरह नक्षत्रों का हिसाब कि फलाँ नक्षत्र से बारिश होगी, यह भी गलत है। हदीस में इस पर सख्ती से इन्कार फरमाया है।_

📗 *(बहारे शरीअत ,हिस्सा 16 सफा 257)*

*_बहुत से लोग मंगल के दिन कोई नया काम शुरू करने को बुरा जानते हैं और औरतें इस दिन नहाने को बुरा जानती हैं,ये सब भी उनकी गैर इस्लामी और जाहिलाना बातें हैं।_*

📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा,170 171*

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