*_वतन की मोहब्बत ईमान से है।जाबेह बकर और कातेअ शजर वाली हदीस यानी जिस हदीस में गायेज़िबह करने वाले या पेड़ काटने वाले की बख्शिश नहीं बयान किया जाता है।_*
📖 *_आला हजरत फरमाते है:_*
*_वतन की मोहब्बत ईमान का हिस्सा है न हदीस से साबित है न हर गिज़ उस के यह मअना_*
📚 *(फतावा रज़विया जदीद जि.15 स292)*
📖 *और फरमाते हैं:*
*_जिबह का पेशा शरअन मम्नूअ नहीं न उस पर कुछ मुवाखिज़ा है वह जो हदीस लोगों ने दरबार-ए-जाबेह बकर व कातिअए शजर बना रखी है महज़ बातिल व मोज़ूअ है।_*
📚 *(फतावा रज़विया जदीद जि.20स.250)*
📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा,199*
📖 *_आला हजरत फरमाते है:_*
*_वतन की मोहब्बत ईमान का हिस्सा है न हदीस से साबित है न हर गिज़ उस के यह मअना_*
📚 *(फतावा रज़विया जदीद जि.15 स292)*
📖 *और फरमाते हैं:*
*_जिबह का पेशा शरअन मम्नूअ नहीं न उस पर कुछ मुवाखिज़ा है वह जो हदीस लोगों ने दरबार-ए-जाबेह बकर व कातिअए शजर बना रखी है महज़ बातिल व मोज़ूअ है।_*
📚 *(फतावा रज़विया जदीद जि.20स.250)*
📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा,199*
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