*【POST 185】दो बे सनद हदीसे*

*_वतन की मोहब्बत ईमान से है।जाबेह बकर और कातेअ शजर वाली हदीस यानी जिस हदीस में गायेज़िबह  करने वाले या पेड़ काटने वाले की बख्शिश नहीं बयान किया जाता है।_*

📖 *_आला हजरत फरमाते है:_*

*_वतन की मोहब्बत ईमान का हिस्सा है न हदीस से साबित है न हर गिज़ उस के यह मअना_*

📚 *(फतावा रज़विया जदीद जि.15 स292)*

📖 *और फरमाते हैं:*

*_जिबह का पेशा शरअन मम्नूअ नहीं न उस पर कुछ मुवाखिज़ा है वह जो हदीस लोगों ने दरबार-ए-जाबेह बकर व कातिअए  शजर बना रखी है महज़ बातिल व मोज़ूअ है।_*

📚 *(फतावा रज़विया जदीद जि.20स.250)*
📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा,199*

No comments:

Post a Comment

Our Social Sites