بسم الله الرحمن الرحيم
*बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम*
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
*अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह वसल्लम*
+_____🕋🕋____________+
*निक़ाह का बयान पोस्ट(3)आखिरी*
+_____📖📖____________+
सवाल- औरतों के निक़ाह की कितनी सूरते हैं?
जवाब- *छह सूरते हैं,(1)मकरूह(2)हराम(3)वाजिब(4)फ़र्ज़(5)सुन्नत(6)मुबाह,*
*(1)जिस औरत को अपने नफ़्स से ख़ौफ़ हो कि ग़ालिबन उससे शौहर की इताअत और उसके वाजिब हुक़ुक़ अदा न हो सकेंगे तो उसे निक़ाह करना ममनू व नाजाइज़ है,*
*(2)अगर यह ख़ौफ़ यकीन में बदल जाए तो इस सूरत में निक़ाह करना हराम है,*
*(3)जिस औरत को अपने नफ़्स से ऐसा ख़ौफ़ न हो लेकिन निक़ाह की जरुरत सख्त है कि बे निक़ाह किये माज़अल्लाह गुनाह में मुब्तला होने का गुमान है तो ऐसा सूरत में निक़ाह करना वाजिब है,*
*(4)जिस औरत को बे निक़ाह किये माज़अल्लाह हराम काम होने का यकीन हो तो उस हालत में निक़ाह करना फ़र्ज़ है यानी जब की ज्यादा रोज़े रखने और इलाज बगैरह से भी तस्कीन की उम्मीद न हो,*
*(5)अगर औरत हालत एतेदाल पर हो यानी न निक़ाह से बिलकुल बे परवाही न इस शिद्दत का शौक की बे निक़ाह गुनाह होने का गुमान यकीनी है ऐसी हालत में निक़ाह करना सुन्नत है मगर शर्त यह है कि औरत अपने पर इत्मिनान काफी रखती हो की उससे के उससे इताअत और हक़ूक़ु शौहर की अदाऐगी न छूटेगी,*
*(6)अगर औरत को जरा भी इसका अंदेशा हो तो उसके हक़ में निक़ाह सुन्नत न रहेगा सिर्फ जाइज़ होगा बशर्ते के अंदेशा गुमान की हद तक न पहुँचे वरना इबादत तो दूर की बात सिरे से निकाह ममनूअ व नाजाइज़ होगा।*
(फ़तवा रिज़विया जिल्द5 सफ़्हा389)
सवाल- जो औरत निक़ाह से पहले मर जाहे तो क्या आख़िरत में उसका निक़ाह होगा?
*जवाब- हाँ किसी जन्नती आदमी से उसका निक़ाह कर दिया जाहेगा।*
(तफ़्सीर नईमी पारा3 सफ़्हा356)
सवाल- क्या हर मोमिन को जन्नत में उसकी दुनयवी बीवी मिलेगी?
*जवाब- हाँ बल्कि दुनयवी बीवी हूरों गिलमान से भी ज्यादा हसीनो जमील होगी।*
(सावी जिल्द1 सफ़्हा17)
सवाल- जन्नत में हूर अफ़ज़ल होगी या दुनिया भी औरत?
*जवाब- दुनियावी औरत अफ़ज़ल होगी।*
(सावी जिल्द4 सफ़्हा56)
सवाल- जिस औरत को शौहर ने तलाक़ दे दी तो क़यामत के दिन किसके निक़ाह में रहेगी?
*जवाब- अगर वह औरत दूसरा निक़ाह न करे तो क़यामत के दिन अपने शौहर को मिलेगी जबकि दोनों ईमान पर वफ़ात पाए हों और अगर दूसरा शौहर करले और उसी के निक़ाह में मर जाऐ तो दूसरा शौहर की ब्रशते ईमान मिलेगी और अगर उससे भी बेवा होगई किसी निक़ाह में न मरी तो उसे क़यामत के दिन इख़्तियार दिया जाएगा कि उन शौहरों में जिसे चाहे पसन्द करले।*
(फ़तावा रिज़विया ज़िल्द10 निस्फ अव्वल सफ़्हा10)
सवाल- क्या हज़रत मरयम का भी आख़िरत में किसी से निकाह होगा?
*जवाब- हाँ हज़रत मरयम बिन्त इमरान, कुलसुम हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की बहन आसिया फिरऔन की बीवी हुज़ूर सल्लाल्लाहु अलैहि वसल्लम की अजवाजे मुतहहरात में दाखिल होंगी।*
(नुरुल अबसार सफ़्हा13)
+_____📚📚____________+
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
*बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम*
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
*अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह वसल्लम*
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*निक़ाह का बयान पोस्ट(3)आखिरी*
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सवाल- औरतों के निक़ाह की कितनी सूरते हैं?
जवाब- *छह सूरते हैं,(1)मकरूह(2)हराम(3)वाजिब(4)फ़र्ज़(5)सुन्नत(6)मुबाह,*
*(1)जिस औरत को अपने नफ़्स से ख़ौफ़ हो कि ग़ालिबन उससे शौहर की इताअत और उसके वाजिब हुक़ुक़ अदा न हो सकेंगे तो उसे निक़ाह करना ममनू व नाजाइज़ है,*
*(2)अगर यह ख़ौफ़ यकीन में बदल जाए तो इस सूरत में निक़ाह करना हराम है,*
*(3)जिस औरत को अपने नफ़्स से ऐसा ख़ौफ़ न हो लेकिन निक़ाह की जरुरत सख्त है कि बे निक़ाह किये माज़अल्लाह गुनाह में मुब्तला होने का गुमान है तो ऐसा सूरत में निक़ाह करना वाजिब है,*
*(4)जिस औरत को बे निक़ाह किये माज़अल्लाह हराम काम होने का यकीन हो तो उस हालत में निक़ाह करना फ़र्ज़ है यानी जब की ज्यादा रोज़े रखने और इलाज बगैरह से भी तस्कीन की उम्मीद न हो,*
*(5)अगर औरत हालत एतेदाल पर हो यानी न निक़ाह से बिलकुल बे परवाही न इस शिद्दत का शौक की बे निक़ाह गुनाह होने का गुमान यकीनी है ऐसी हालत में निक़ाह करना सुन्नत है मगर शर्त यह है कि औरत अपने पर इत्मिनान काफी रखती हो की उससे के उससे इताअत और हक़ूक़ु शौहर की अदाऐगी न छूटेगी,*
*(6)अगर औरत को जरा भी इसका अंदेशा हो तो उसके हक़ में निक़ाह सुन्नत न रहेगा सिर्फ जाइज़ होगा बशर्ते के अंदेशा गुमान की हद तक न पहुँचे वरना इबादत तो दूर की बात सिरे से निकाह ममनूअ व नाजाइज़ होगा।*
(फ़तवा रिज़विया जिल्द5 सफ़्हा389)
सवाल- जो औरत निक़ाह से पहले मर जाहे तो क्या आख़िरत में उसका निक़ाह होगा?
*जवाब- हाँ किसी जन्नती आदमी से उसका निक़ाह कर दिया जाहेगा।*
(तफ़्सीर नईमी पारा3 सफ़्हा356)
सवाल- क्या हर मोमिन को जन्नत में उसकी दुनयवी बीवी मिलेगी?
*जवाब- हाँ बल्कि दुनयवी बीवी हूरों गिलमान से भी ज्यादा हसीनो जमील होगी।*
(सावी जिल्द1 सफ़्हा17)
सवाल- जन्नत में हूर अफ़ज़ल होगी या दुनिया भी औरत?
*जवाब- दुनियावी औरत अफ़ज़ल होगी।*
(सावी जिल्द4 सफ़्हा56)
सवाल- जिस औरत को शौहर ने तलाक़ दे दी तो क़यामत के दिन किसके निक़ाह में रहेगी?
*जवाब- अगर वह औरत दूसरा निक़ाह न करे तो क़यामत के दिन अपने शौहर को मिलेगी जबकि दोनों ईमान पर वफ़ात पाए हों और अगर दूसरा शौहर करले और उसी के निक़ाह में मर जाऐ तो दूसरा शौहर की ब्रशते ईमान मिलेगी और अगर उससे भी बेवा होगई किसी निक़ाह में न मरी तो उसे क़यामत के दिन इख़्तियार दिया जाएगा कि उन शौहरों में जिसे चाहे पसन्द करले।*
(फ़तावा रिज़विया ज़िल्द10 निस्फ अव्वल सफ़्हा10)
सवाल- क्या हज़रत मरयम का भी आख़िरत में किसी से निकाह होगा?
*जवाब- हाँ हज़रत मरयम बिन्त इमरान, कुलसुम हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की बहन आसिया फिरऔन की बीवी हुज़ूर सल्लाल्लाहु अलैहि वसल्लम की अजवाजे मुतहहरात में दाखिल होंगी।*
(नुरुल अबसार सफ़्हा13)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
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