PART 2

بسم الله الرحمن الرحيم‎
*बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम*

الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ
*अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह वसल्लम*
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*निक़ाह का बयान पोस्ट(2)*
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सवाल- नबीये करीम सल्लाल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की शादियाँ एक ही वक़्त हुई या अलहदा-अलहदा?
*जवाब- अलहदा-अलहदा हुई सबसे पहले आप का निकाह उम्मुल्मोमिनीं हज़रत ख़दीजातूल कुबरा बिन्ते ख़ुवैदल से हुआ आपके विसाल के बाद आपका निक़ाह उम्मुल्मोमिनीं हज़रत सौदा बिन्ते जमआ से निकाह हुआ फिर सन् दो हिज़री में आपका निक़ाह उम्मुल्मोमिनीं हज़रत आयशा बिन्त अबु बक्र से रुखसत होकर खिदमते अक़दस में पहुँची फिर हिज़रत के तीसरे साल या चोथे साल में आपका उम्मुल्मोमिनीं हज़रत उम्मे सलमा बिन्त अबी उम्मिया से हुआ फिर उम्मुल्मोमिनीं हज़रत हफ़सा बिन्त उमर बिन खत्ताब से हुआ उम्मुल्मोमिनीं हज़रत जैनब बिन्त खुजैमा ने निक़ाह फ़रमाया,फिर पाँचमें साल में उम्मुल्मोमिनीं हज़रत जैनब बिन्त जहशा से निकाह फ़रमाया,फिर छ्टे साल में उम्मुल्मोमिनीं हज़रत जुवेरिया बिन्त हारिस खुजाइया से निकाह फ़रमाया, फिर सातवीं साल उम्मुल्मोमिनीं हज़रत सफिय्या से निकाह फ़रमाया फिर उम्मुल्मोमिनीं मैमूना बिन्त हारिस हिलालिया और हज़रत उम्मे हबीबा बिन्त अबी सुफयान से निकाह फ़रमाया।*
(मवाहिब लदुन्निया जिल्द1 सफ़्हा201/उम्दातुल क़ारी ज़िल्द2 सफ़्हा32)

सवाल- हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की वह कौनसी बीवी हैं जिनसे आपका निक़ाह आसमान पर हुआ और हज़रत जिब्राईल उसके गवाह बने?
*जवाब- हज़रत जैनब बिन्त जहश।*
(जुमल जिल्द3 सफ़्हा440/ज़रकानी जिल्द3 सफ़्हा242)

सवाल- मर्द के निक़ाह करने की कितनी हालतें हैं?
*जवाब- छह हालते हैं,(1)फ़र्ज़(2)वाजिब(3)सुन्नते मुआक्किदा(4)मुबाह(5)हराम(6)मकरूह।*
*(1)एक जो शख्स महर व नफ़क़ा की क़ुदरत रखता हो और उससे यह यक़ीन हो कि निक़ाह ना करने की हालत में ज़िना वाके हो जाएगा तो उस पर निक़ाह फ़र्ज़ है,*
*(2)एक जो शख्स महर व नफ़क़ा की क़ुदरत रखता हो और उसे शहवत का गलवा इतना हो की निक़ाह ना करने की सूरत में ज़िना का अंदेशा है तो उसपर निक़ाह करना वाज़िब है,*
*(3)जब एतेदाल की हालत हो यानी न शहवत का बहुत ज्यादा गलबा हो और वह महर अदा व नफ़क़ा पर क़ुदरत भी रखता हो तो ऐसी हालत में निक़ाह करना सुन्नते मुअक़्क़ीद है कि निक़ाह न करने पर मुसिर रहना गुनाह है इस सूरत में अगर हराम से बचने या सुन्नत की पैरवी या औलाद हासिल करने की नीयत करे हो सवाब भी पाएगा,*
*(4)जो शख्स सिर्फ लज़्ज़त हासिल करने की नीयत से शादी करे तो उसके लिये निक़ाह मुबाह है,*
*(5)जिस आदमी को यक़ीन हो की निक़ाह करेंगा तो नान व नाफ़क़ न दे सकेगा या जो जरुरी हुक़ुक़ हैं उनका पूरा न कर सकेगा तो निक़ाह करना उसके लिए हराम है,*
*(6)जिस आदमी को अंदेशा हो की निक़ाह करेंगा तो नान व नाफ़क़ न दे सकेगा या जो जरुरी हुक़ुक़ हैं उनका पूरा न कर सकेगा तो उस सूरत में निक़ाह करना मकरूह है।*
(दुर्रे मुख़्तार व रददुल मोहताज़ जिल्द2 सफ़्हा268)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)

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