रूहों का बयान

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सवाल- रूह क्या चीज है?
*जवाब- उसकी पूरी हकीकत तो अल्लाह तआला को मालूम अलबत्ता किताबों मे रूह एक लतीफ जिस्म है जो कसीफ जिस्मों के साथ इस तरह मिली हुई है जैसे हरी लकड़ी में पानी।*
(शरहुस्सुदूर सफ़्हा 133)

सवाल- रूहें कब पैदा की गई?
*जवाब- मुखतलिफ रिवायते हैं जिस्म से दो हजार साल पहले,*
(फ़तावा रिज़विया जिल्द 9 पेज 65)
*चार हजार साल पहले,*
(ख़ाज़िन 1 पेज 277)
*पाँच हजार साल पहले।*
(शरह फिक़हे अकबर बहरूल उलूम सफ़्हा 25)

सवाल- क्या नफ़्स और रूह दोनो एक ही चीज है?
*जवाब- नही अस्ल मे तीनो चीजे अलहदा-अलहदा हैं।(1)नफ्स,(2)रूह,(3)क़ल्ब यानी दिल, रूह बादशाह की जगह है और नफ्स और दिल उसके दो वजीर हैं, नफ्स का मर्कज है और नाफ के नीचे है और कल्ब का मर्कज वह गोश्त का टुकड़ा है जो सिने के बाई तरफ है।*
(अलमलफूज जिल्द 3 सफ़्हा 63)

सवाल- माँ के पेट में नुतफा ठहरने के कितने दिन बाद उसमें रूह फूँकी जाती है?
*जवाब- चार महीने के बाद ही रूह फूँक दी जाती है।*
(सावी जिल्द 3 सफ़्हा 78)

सवाल- इन्सान के जिस्मो मे कितनी बार रूह दाखिल हुई और होगी?
*जवाब- 6 बार,(1)मीसाक के दिन में दाखिल हुई जब अल्लाह तआला ने हजरत आदम अलैहिस्सलाम की पुश्त मे उनकी जुरियत निकाली और सब से अपनी रूबूबियत का इकरार लिया,(2)जब हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने खानऐ काबा की तामीर की तो रब्बुल इज्जत ने हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम से फरमाया कि ऐ इब्राहिम(अलैहिस्सलाम)मकामे इब्राहिम में खड़े होकर आवाज दो कि तुम्हारे रब का घर तैयार हो गया है इस घर की जियारत और तवाफ के लिए चले आओ हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने आवाज दी तो अल्लाह तआला ने हजरत इब्राहिम की उस आवाज को सारे के लोगो तक पहुचा दिया। और जो माँ के पेटों और बाप की पुश्तो मे थे उनमें भी रूह डाल कर ये आवाज पहुँचाई गई,(3)जब हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने तौरेत शरीफ मे उम्मते मोहम्मदिया सल्ललाहो अलैह वसल्लम की फजीलत और कमाल का जिक्र पाया तो हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह तआला से ख़्वाहिश जाहिर की तो कि मुझे उम्मते मोहम्मदिया सल्ललाहो अलैह वसल्लम का दीदार और उनकी आवाज सुनवाई जाऐ तो अल्लाह तआला ने उम्मते मोहम्मदिया की आवाज को उनके बापो की पुस्त में रूह डाल कर सुनवाया,(4) माँ के पेट में दाखिल होती है फिर मौत के वक़्त निकाली जाती है,(5)कब्र में मुनकर नकीर के सवालात जवाबात के वक़्त दाखिल होती है,(6)मैदाने महशर मे जमा करने के लिए हजरत इसराफील अलैहिस्सलाम के सूर फूक ने के बाद दाखिल की जाऐगी।*
(फ़तावा हदीसीया सफ़्हा 89/ तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 407/ तफसीर नईमी पारा 9 सफ़्हा 386)

सवाल- क्या हालते नींद में रूह निकाली जाती है?
*जवाब- इस बारे मे मुखतलिफ कौल हैं,(1)हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास से मरवी है कि इन्सान में नफ्स और रूह दोनों है और उनका ताल्लुक आपस मे ऐसा है जैसे आफताब और सूरज का अपनी किरनो से नींद मे अल्लाह तआला पाक नफ्स को कब्ज कर लेता है और रूह को छोड़ देता है फिर जब अल्लाह तआला उसकी मौत का इरादा करता है तो नफ्स के साथ रूह को भी कब्ज फरमा लेता है,(2)बाज हजरात फरमाते है कि हर इन्सान मे दो रूहें होती है एक रूह यक्जा यानी वह कि जब वह जिस्म मे होती है तो आदतन इन्सान बेदार रहता है जब वह निकल जाती है तो इन्सान सो जाता है और ख्वाब देखने लगता है दूसरी रूह हयात कि जब वह जिस्म मे होती है तो इन्सान जिन्दा रहता है जब वह निकाल ली जाती है तो इन्सान मर जाता है बस नींद मे रूह यक्जा निकाल ली जाती है और मौत के वक़्त दोनो निकाल ली जाती है।*
(शरहुस्सुदूर सफ़्हा 133/सावी जिल्द 2 सफ़्हा 18)

सवाल- क्या सब की रूह हजरत इजराईल अलैहिस्सलाम कब्ज फरमाते है?
*जवाब- हक़ीकते हाल तो खुदा को मालूम अलबत्ता कुछ लोगों के बारे में है कि उनकी रूह खुद रब तआला कब्ज फरमाया है।*
(शरहुस्सुदूर सफ़्हा 21)

सवाल- वह कौन लोग है जिनकी रुह खुद अल्लाह तआला अपने दस्ते कुदरत से कब्ज फरमाता है?
*जवाब- शुहदाऐ बहर है जिनकी रुह खुद अल्लाह तआला अपने दस्ते कुदरत से कब्ज फरमाता है।*
(शरहुस्सुदूर सफ़्हा 21/कुनूजुलहकाइक जिल्द 1 सफ़्हा 18)

सवाल- क्या इनके अलावा भी कोई शख्स है जिसकी रूह खुद अल्लाह तआला ने कब्ज फरमाई?
*जवाब- हजरत फातिमा जोहरा रदियल्लाहु अनहा है कि खुद अल्लाह तआला ने उनकी रूह निकाली उनकी तरफ कोई फ़रिश्ता नही भेजा गया ।*
(तफसीर नईमी जिल्द 7 सफ़्हा 537)

सवाल- मरने के बाद रूहे कहा रहती है?
*जवाब-मुसलमानो मे कुछ की रूह कब्र पर रहती है कुछ की चाहे जम-जम मे कुछ की रूह आसमान व ज़मीन के बीच लटकी रहती है और कुछ की आला इल्लिय्यीत में और  कुछ की सब्ज परिन्दो की शक़्ल मे अर्श के नीचे नूर की किन्दीलों में और कुछ की सब्ज परिन्दो की शक़्ल में जन्नत मे सैर करती है और कुछ की रूहे जन्नत में रहती है जैसे नबियों और शहीदो की रूह और मोमेनीन की रूह जन्नत मे हजरत इब्राहिम और हजरत सारा के साथरानी में है और काफिरो मे कुछ की रूह वादिये(बरहूत)के कुऐ में और कुछ की जमीन में अव्वल,दोम सातवीं तक और कुछ की सिज्जीन में और कुछ की हजर मौत मे।*
(शरहुस्सुदूर सफ़्हा 98से101/फ़तावा रिज़विया जिल्द 4 सफ़्हा 125)

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