بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
सवाल- क़ब्र का अज़ाब किन लोगों के लिये हैं?
जवाब- तमाम काफिरों और कुछ गुनहगार मुसलमानों के लिये हैं।
(शरहुस्सुदूर पेज 76)
सवाल- क्या फिर मोमिन गुनहगार मुसलमान से अज़ाब क़ब्र उठा लिया जाता हैं?
जवाब- बाज़ से नहीं उठाया जाता हैं और बाज़ से उनके गुनाहों के मुताबिक अज़ाब होने के बाद उठा लिया जाता हैं और बाज़ से मुक़र्ररा अज़ाब से पहले ही किसी की दुआ या ईसाले सबाब या सदक़ऐ जारिया वग़ैरा की वजह से उठा लिया जाता हैं और एक रिवायत मैं यह भी हैं की मोमिन गुनहगार पर अज़ाबे क़र्ब जुमे की रात आने तक रहता हैं उसके आंते ही उठा लिया जाता हैं?
(शरहुस्सुदूर सफ़्हा 76/बहारे शरीअत जिल्द 1 सफ़्हा 27)
सवाल- वह कौनसा दिन या कौनसा महीना हैं जिसमें मरने के बाद गुनहगार बन्दा भी क़ब्र के अज़ाब से महफूज़ रहता हैं?
जवाब- जुमा या जुमे की रात या रमज़ान शरीफ़ का महीना हैं।
(शरहुस्सुदूर सफ़्हा 62/फ़तावा रिज़विया जिल्द 4 सफ़्हा 124)
सवाल- तो क्या फिर मोमिन गुनहगार पर जुमा या जुमे की रात या रमज़ान शरीफ़ के महीने के गुज़रने के बाद अज़ाबे क़र्ब लौट जाता हैं?
जवाब- नहीं लौटता और न क़यामत तक लौटेगा इन्शाअल्लाह तआला अल्लाह की रहमत से यही यहीं उम्मीद हैं
(शरह इश्बाह वन्नजाइर सफ़्हा 565/शरहुस्सुदूर सफ़्हा 76)
सवाल- क्या किसी दिन काफिर से भी अज़ाबे क़ब्र उठा लिया जाता हैं?
जवाब- हाँ जुमा और जुमे की रात और रमज़ान शरीफ़ के महीने मैं उससे अज़ाबे क़ब्र उठा लिया जाता हैं यह सदका है नबी सल्ललाहो अलैह वसल्लम का फिर जुमा व जुमे रात या रमज़ान शरीफ़ के महीने के गुज़रने के बाद दोबारा अज़ाब उस पर लौट जाता हैं।
(शरह इश्बाह वन्न ज़ाइर सफ़्हा 564/शरहुस्सुदूर सफ़्हा 76)
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
सवाल- क़ब्र का अज़ाब किन लोगों के लिये हैं?
जवाब- तमाम काफिरों और कुछ गुनहगार मुसलमानों के लिये हैं।
(शरहुस्सुदूर पेज 76)
सवाल- क्या फिर मोमिन गुनहगार मुसलमान से अज़ाब क़ब्र उठा लिया जाता हैं?
जवाब- बाज़ से नहीं उठाया जाता हैं और बाज़ से उनके गुनाहों के मुताबिक अज़ाब होने के बाद उठा लिया जाता हैं और बाज़ से मुक़र्ररा अज़ाब से पहले ही किसी की दुआ या ईसाले सबाब या सदक़ऐ जारिया वग़ैरा की वजह से उठा लिया जाता हैं और एक रिवायत मैं यह भी हैं की मोमिन गुनहगार पर अज़ाबे क़र्ब जुमे की रात आने तक रहता हैं उसके आंते ही उठा लिया जाता हैं?
(शरहुस्सुदूर सफ़्हा 76/बहारे शरीअत जिल्द 1 सफ़्हा 27)
सवाल- वह कौनसा दिन या कौनसा महीना हैं जिसमें मरने के बाद गुनहगार बन्दा भी क़ब्र के अज़ाब से महफूज़ रहता हैं?
जवाब- जुमा या जुमे की रात या रमज़ान शरीफ़ का महीना हैं।
(शरहुस्सुदूर सफ़्हा 62/फ़तावा रिज़विया जिल्द 4 सफ़्हा 124)
सवाल- तो क्या फिर मोमिन गुनहगार पर जुमा या जुमे की रात या रमज़ान शरीफ़ के महीने के गुज़रने के बाद अज़ाबे क़र्ब लौट जाता हैं?
जवाब- नहीं लौटता और न क़यामत तक लौटेगा इन्शाअल्लाह तआला अल्लाह की रहमत से यही यहीं उम्मीद हैं
(शरह इश्बाह वन्नजाइर सफ़्हा 565/शरहुस्सुदूर सफ़्हा 76)
सवाल- क्या किसी दिन काफिर से भी अज़ाबे क़ब्र उठा लिया जाता हैं?
जवाब- हाँ जुमा और जुमे की रात और रमज़ान शरीफ़ के महीने मैं उससे अज़ाबे क़ब्र उठा लिया जाता हैं यह सदका है नबी सल्ललाहो अलैह वसल्लम का फिर जुमा व जुमे रात या रमज़ान शरीफ़ के महीने के गुज़रने के बाद दोबारा अज़ाब उस पर लौट जाता हैं।
(शरह इश्बाह वन्न ज़ाइर सफ़्हा 564/शरहुस्सुदूर सफ़्हा 76)
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