*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* *पोस्ट नंबर 1⃣4⃣*


*हुज़ूर अपनी कब्र शरीफ़ में जिन्दा है*

👑हज़रत अमीरुल मोमिनीन अली मुर्तज़ा रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की वफ़ात अक़दस के तीन दिन बाद एक अराबी मुसलमान आया और कब्रे अनवर पर गिर कर लिपट गया ! फिर कुछ मिटटी अपने सर पर डाल कर यूँ अर्ज़ करने लगता है~

*💎या रसूलुल्लाह!* सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आपने जो कुछ फरमाया हम उस पे ईमान लाये ! अल्लाह तआला ने आप पर कुरान नाज़िल किया ! जिसमे उसने इरशाद फरमाया की *वलव अन्नहुम इज-ज़--ल-मू अनफु-सहुम*

💫रसूलुल्लाह! सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मेने अपनी जान पर जुल्म किया है(गुनाह किया है) इसलिए में आपके पास आया हूँ की आप मेरे लिए दुआ ए मगफिरत करें ! अराबी की इस बात पर कब्र अनवर से अवाज़ आई~ *ए अराबि! तू बख्श दिया गया !*
*📚(वफ़ा उल वफ़ा, जिल्द 2, साफ़ 412)*
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🖋आला हज़रत फरमाते है~

*तू जिन्दा है वल्लाह तू जिन्दा है वल्लाह,*
*मेरी चश्मे आलम से छिप जाने वाले !!*
*➡जारी••

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