*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* *पोस्ट नंबर 1⃣3⃣*


 *🌹मदीना की आबो हवा अच्छी हो गयी*

💫पहले मदीना की आबो हवा अच्छी नही थी ! वहाँ किस्म किस्म की वबाओं का असर था ! चुनाँचे हिजरत के बाद अक्सर मुहजीरिन बीमार पढ़ गए ! और बिमारी की हालत में अपने वतन मक्का को याद करके पुरदर्द लहज़े में अशआर पढ़ा करते थे ! आपने उन लोगो के ये हाल देख कर दुआ फ़रमाई की-
*इलाही!  मदीना को हमारे लिए वैसा ही महबूब कर दे जैसा की मक्का महबूब है बल्कि उससे भी ज़्यादा महबूब बना दे ! इलाही!  हमारे साअ और मुद में बरकत दे और मदीना को हमारे लिए सेहत बख़्श बना दे ! और यहाँ के बुखार को हज़फा में मुन्तकिल कर दे !*

💐आपकी दुआ हर्फ़ ब हर्फ़ मक़बूल हुई ! और हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को अल्लाह तआला ने ख्वाब में ये दिखला दिया की मदिना की वबाऐं मदीना से दफ़ा हो गयी और मदीना की आबो हवा सिहत बख़्श हो गयी !
*📚(बुखारी, जिल्द 1, सफा 558, बाब मुक़द्दमुन्नबी)*
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🖋आला हज़रत फरमाते है~

*माहे मदीना अपनी तजल्ली अता करे,*
*ये ढलती चांदनी पहर दो पहर की है!*

*भीनी सुहानी सुबह में ठंडक जिगर की है,*
*कलियाँ खिली दिलो की ये हवा किधर की है!*
*➡जारी•••*

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