*🗻पहाड़ों का सलाम करना🗻*
💫हज़रते अली रदियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते है की एक मर्तबा में *हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* के साथ मक्कए मुकर्रमा को एक तरफ निकला ! तो मैंने देखा की जो दरख्त और पहाड़ भी सामने आता है उससे *"अस्सलामु अलैका या रसूलुल्लाह"* की आवाज़ आती है ! और मै खुद उस आवाज़ को अपने कानों से सुन रहा था !
*📚(तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द 2, सफा 203)*
🖋आलाहज़रत फरमाते है~
*उनपर दरूद जिनको हजर तक करें सलाम,*
*उन पर सलाम जिनको तहिय्यत शजर की है !*
*➡जारी•••*
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