*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* *पोस्ट नंबर 9⃣*


*🌪जिन्नों का सलामो पैग़ाम🌪*

📜इब्ने साद ने जाद बिन क़ैस मुरादी से रिवायत की है की हम चार आदमी हज का इरादा करके अपने वतन से रवाना हुए ! यमन के एक जंगल में हम लोग चल रहे की नागहाँ अशआर पढ़ने की आवाज़ आई ! हमने उन अशआर  को गौर से सुना तो उनका मज़्मून ये था की ए सवारों! जब तुम लोग ज़मज़म और हतिम पर पहुचों तो हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमते अक़दस में हमारा सलाम अर्ज़ कर देना ! जिनको अल्लाह ने अपना रसूल बना कर भेजा है !

❄और हमारा ये पैगाम भी पंहुचा देना की हम आपके दीन के फरमाबरदार है ! क्योंकि हज़रते मसीह बिन मरयम अलैहिस्सलाम ने हम लोगों को इस बात की वसीयत फ़रमाई थी ! (यक़ीनन ये यमन के जंगल में रहने वाले जिन्नों की आवाज़ थी !)
*📚(अल कलामुल मुबीन, सफा 93, बहवाला इब्ने साद)*

🖋आला हज़रत फरमाते है~

*जिन्नों बशर सलाम को हाजिर है अस्सलाम,*
*यह बारगाह मालिको जिन्नों बशर की है !*
*➡जारी•

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