*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* *पोस्ट नंबर 8⃣*


*💦अंगुश्ते मुबारक की नहरें💦*

अहादीस की तलाशो ज़ुस्तज़ु से पता चलता है की आपकी मुबारक ऊँगलीयों से तकरीबन तेरह मोके पर पानी की नहरें जारी हुईं ! उनमे से सिर्फ़ एक मोके का ज़िक़्र यहाँ तहरीर किया जा रहा है !

*📆6 हिजरी* में रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उमरा का इरादा करके मदीना मुनव्वरा से मक्कए मुकर्रमा के लिए रवाना हुए और हुदैबिया के मैदान में उतार पड़े ! आदमियों की कसरत की वजह से हुदैबिया का कुँआ ख़ुश्क हो गया और हाजिरिन पानी के एक एक कतरे के लिए मुहताज हो गए उस वक़्त रहमते आलम के दरियाये रहमत में जोश आ गया और आपने एक बड़े प्याले में अपना दस्ते मुबारक रख दिया ! तो आपकी मुबारक उंगलियों से इस तरह पानी की नहरें जारी हो गयी की पन्द्रह सौ का लश्कर सैराब हो गया !

🔹लोगों ने वज़ू व गुस्ल भी किया ! जानवरो को भी पिलाया और अपने मस्को और बर्तनों को भी भर लिया ! फिर आपने प्याला में से दस्ते मुबारक को उठा लिया और पानी ख़त्म हो गया !

⚜हज़रत जाबिर से लोगों ने पूछा की उस वक़्त तुम लोग कितने आदमी थे तो उन्होंने फ़रमाया की हम लोग 1500 की तादाद थी ! मगर पानी इस क़दर ज़्यादा था की हम लोग एक लाख भी होते तो सबको काफ़ी हो जाता !
*📚(मिश्कात शरीफ़, जिल्द 2, सफा 532)*
*📚(बुखारी शरीफ, जिल्द1, सफा 504/505)*

🖋सुभानल्लाह! इसी हसीन मंज़र की तसवीर कशी करते हुए आला हज़रत फरमाते है~

*उंगलिया हैं फ़ैज़ पर, टूटे हैं प्यासे झूम कर !*
*नदियां पंजात रहमत की हैं जारी वाह वाह !*
*➡जारी•••*

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