*मोअजज़ा ए हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* *पोस्ट नंबर 7⃣*


*⚰लड़की क़ब्र से निकल पड़ी⚰*

💎रिवायत है *हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* ने एक शख्श को इस्लाम की दावत दी ! तो उसने कहा की मै उस वक़्त तक आप ईमान नही ला सकता जब तक की मेरी बच्ची ज़िंदा न हो जाये ! आपने फ़रमाया की तुम मुझे उसकी क़ब्र दिखाओ ? उसने अपनी लड़की की क़ब्र दिखा दी !

*✨हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* ने उस लड़की का नाम लेकर पुकारा ! तो उस लड़की ने क़ब्र से निकल कर जवाब दिया कि ए हुज़ूर! में आपके दरबार में हाजिर हूँ ! फिर आपने उस लड़की से फरमाया की "क्या तुम फिर दुनिया में लौट कर आना पसन्द करती हो !" लड़की ने जवाब दिया- "नही" या रसूलुल्लाह! मेने अल्लाह तआला को अपने माँ बाप से ज़्यादा मेहरबान और आख़िरत को दुनिया से बेहतर पाया !
*📚(शिफ़ा शरीफ़, जिल्द 1, सफा 211)*

🖋आला हज़रत फरमाते है~

*जब आ गयी है जोशे रहमत में उनकी आँखें!*
*जलते बुझा दिए है रोते हंसा दिए है !!*

*इक दिन हमारा क्या है आज़ार उसका कितना !*
*तुमने तो चलते फिरते मुर्दे ज़िला दिए है !!*
*➡जारी•••*

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