*_﷽-الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ_*

 *(फिक़्ह हनफी) पोस्ट-1*

*ये टॉपिक भी काफी लम्बा चलने वाला है लिहाज़ा मैसेज को सेव करते चलें ताकि आगे चलकर कोई बात अगर ना समझ में आये तो पिछले हिस्से को उठाकर देख सकें,तो चलिये शुरू से शुरू करता हूं*

*हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम पर क़ुर्आन व हदीस वही की सूरत में उतरा करता जिसे आप सहाबये किराम को बताते और वो अपने इज्तिहाद यानि अपनी अक्ल से उस पर अमल करते,अमल करने का तरीका कभी कभार सबका अलग अलग हो जाया करता मगर चुंकि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम सबके दर्मियान थे और वो सब मुजतहिद थे तो सब हक़ पर ही रहे,फिर जब उनका ज़माना गुज़रने लगा तो बाद वालों को किसी की पैरवी करने की ज़रूरत पड़ी क्योंकि अब ना तो हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की ज़ाहिरी हयात थी और ना सहाबये किराम का दौर,तो ऐसे में बाद वालों ने सहाबये किराम से तल्मीज़ इमामों की इत्तेबा शुरू की,दूसरी सदी हिजरी से पहले मसायल के बहुत से इमाम गुज़रे मगर उनका मज़हब कुछ ही आगे बढ़कर खत्म हो गया और दूसरी सदी के बाद पूरी उम्मते मुस्लिमा ने 4 इमाम पर ही इक़्तिफा कर लिया 1.इमामे आज़म जिनके मानने वाले हनफी 2.इमामे शाफई जिनके मानने वाले शाफई 3.इमाम मालिक जिनके मानने वाले मालिकी 4.इमाम अहमद बिन हम्बल जिनके मानने वाले हंबली कहलाते हैं*

*📚फतावा रज़वियह,जिल्द 3,सफह 321*

*अक़ायद यानि जिन बातों का ज़बान से इकरार करना और दिल से मानना ज़रूरी है उसको अक़ीदा कहते हैं,अक़ायद के 2 इमाम हैं पहले हज़रत सय्यदना अबू मंसूर मातुरीदी रहमतुल्लाहि तआला अलैहि इनके मानने वालों को मातुरीदिया और दूसरे हज़रत अबुल हसन अशअरी रहमतुल्लाहि तआला अलैहि और इनके मानने वालो को अशअरी कहते हैं,ये दोनों ही हक़ पर हैं अलबत्ता इख्तिलाफ फुरू यानि अस्ल से निकली हुई बातो में है अहले सुन्नत व जमाअत अक़ायद में इन्हीं दोनों की पैरवी करते हैं तो अब जो इनके खिलाफ कोई अक़ीदा रखेगा अगर वो कुफ्र की हद तक पहुंच गया तो काफिर है वरना गुमराह है*

*📚मज़हबे इस्लाम,सफह 4*
*📚निबरास,सफह 229*

*हनफी-शाफई-मालिकी व हंबली अब दीन इन्ही चारों में से किसी एक की पैरवी करने का नाम है,अगर चे इनके आपस में फुरुई इख्तिलाफ बहुत हैं मगर अक़ायद में सब एक हैं इसीलिए ये चारों ही हक़ पर हैं,सो इस वक़्त इन 4 के सिवा किसी की पैरवी जायज़ नहीं यानि आदमी अब या तो हनफी होगा या शाफई या मालिकी होगा या हंबली और जो इन चारों से खारिज है वो गुमराह व बे दीन है जैसे कि ग़ैर मुक़ल्लिद यानि बराये नाम अहले हदीस*

*📚तहतावी,जिल्द 4,सफह 153*
*📚तफसीरे सावी,जिल्द 3,सफह 9*

*अब इख्तिलाफ होने के बाद भी चारों हक़ पर कैसे हैं तो इसको युं समझिये कि शरीयत एक बाग़ है और बाग़ हर तरह के फूलों से बनता है कहीं गुलाब है तो कहीं जूही कहीं चंपा है तो कहीं चमेली,उसी तरह इमामों का इख्तिलाफ भी बाग़ के फूलों की तरह है और इसी इख्तिलाफ को मेरे आक़ा सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम "इख़्तिलाफु उम्मती रहमतुन" फरमाते हैं यानि मेरी उम्मत का इख्तिलाफ रहमत है,फरुई इख्तिलाफ में रास्ते अगर चे मुक्तलिफ यानि अलग अलग होते हैं मगर मक़सद सबका एक ही होता है,ये हदीसे पाक पढ़िये इन शा अल्लाह समझ में आ जायेगा*

*बनी क़ुरैज़ा पर जल्द पहुंचने की गर्ज़ से हुज़ूर सल्लललाहो अलैहि वसल्लम ने अपने सहाबियों में ये ऐलान करवाया कि हम अस्र की नमाज़ बनी क़ुरैज़ा पहुंचकर पढेंगे,सभी हज़रात ज़ुहर पढ़कर निकले और सफर करते रहे यहां तक कि अस्र का वक़्त बहुत थोड़ा सा रह गया,तो कुछ सहाबये किराम ने नमाज़ पढ़नी चाही तो कुछ सहाबा ने मना किया कि हुज़ूर का कहना था कि नमाज़ हम बनी क़ुरैज़ा पहुंचकर पढ़ेंगे तो रास्ते में नमाज़ ना पढ़ी जाये,इस पर वो सहाबा कहने लगे कि हुज़ूर का कहना बिल्कुल हक़ है मगर उन्होंने ये भी तो नहीं कहा था कि नमाज़ क़ज़ा कर देना तो उन सहाबये किराम ने नमाज़ पढ़ी और कुछ ने नहीं पढ़ी,जब हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम बनी क़ुरैज़ा पहुंच गए तो नमाज़े अस्र क़ज़ा जमाअत से पढ़ी गई,फिर हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के सामने उन सहाबियों का तज़किरा हुआ तो आपने दोनो को हक़ फरमाया*

*📚 बुखारी,जिल्द 1,सफह 119*

*देखिये यहां नमाज़ अदा करने पर भी सवाब मिल रहा है और क़ज़ा करने पर भी सवाब मिल रहा है क्यों,क्योंकि मक़सद सबका एक ही है हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की इताअत करना मगर मसअला समझने में अपने इज्तिहाद के मुआफिक़ जिसने जैसा फैसला किया उसे वैसा सवाब मिला मगर गुनाह नहीं मिला,तो बस इसी तरह चारों इमाम मुज्तहिद थे उन सबके सामने हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की हदीस थी अब जिसने सही मसअला अपने हिसाब से निकाला तो उसे दो गुना सवाब मिलेगा और जिसने मसअला समझने में खता की तो उस खता पर भी उसे एक गुना सवाब ही मिलना है गुनाह नहीं होगा क्योंकि मुज्तहिद की खता मुआफ है*

जारी रहेगा....

No comments:

Post a Comment

Our Social Sites