अमीर मुआविया

*_सवाल------ अमीर मुआविया जिनहोंने ह़ज़रते मौला अली से जंग की थी इस बिना पर उनकी तारीफ की जाए या उनकी बुराई की जाए,_*

*_जवाब------ सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि ह़ज़रते अमीर मुआविया रज़ियल्लाहु तआला अन्हु कौन हैं और उनका मरतबा किया है,_*

*_1. उनकी बहन ह़ज़रते उम्मे ह़बीबा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की बीवी हैं,_*

*_2.खुद हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने उनके लिए हिदायत याफ्ता होने और हिदायत देने वाला होने की दुआ की,_*

*_3. उनको हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने वह़ी किताबत का काम सौंपा,_*

*_4. ह़ज़रते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु जो कि पहली सदी हिजरी के मुजद्दिद और खिलाफते राशिदा के 5 वें इमाम हैं उनको इमामुल हुदा भी कहा जाता है और उनकी ज़ियारत करने को खुद ह़ज़रते खिज्र अलैहिस्सलाम अक्सर तशरीफ लाया करते थे,ऐसा अज़ीम पेशवा खुद फरमाता है कि हज़रते अमीर मुआविया रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के घोड़े की नाल में जो गरदो गुबार रहता है मेरा मरतबा उस गुबार तक नहीं पहूंचता अल्लाहू अकबर, तो फिर अन्दाज़ा लगायें कि ह़ज़रते अमीर मुआविया रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का किया मरतबा होगा,_*

*_5. ह़ज़रते अल्लामा शहाबुद्दीन खफ्फाजी अपनी किताब नसीमुर रियाज़ में लिखते हैं कि जो कोई ह़ज़रते अमीर मुआविया पर लअन तअन करे वो जहन्नम के कुत्तों में से एक कुत्ता है,_*

*_6. रईसुल मुफस्सिरीन ह़ज़रते अब्दुल्ला इबने अब्बास रज़ियल्लाहु तआला अन्हु खुद उनको मुजतहिद जानते थे,_*

*_7. बड़े बड़े सहाबीये इकराम ने उनसे ह़दीसें रिवायत की हैं_*

*_8. ह़ज़रते उमर फारुक़े आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने आपको दमिश्क में ह़ाकिम बनाया और आखिरी उमर तक उनको माज़ूल ना फरमाया जबकि आप ज़रा ज़रा सी बात पर लोगों को उनके मनसब से हटा दिया करते थे यहाँ तक कि ह़ज़रते खालिद बिन वलीद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु जैसी ज़ात को भी आपने नहीं बखशा और माज़ूल फरमाया,इससे साफ पता चलता है कि आपसे कभी कोई लगज़िश नहीं हुई वरना आप अपने मनसब पर ना रहते,_*

*_9. आप हमैशा अहले बैते अतहर पर दिल खोलकर खर्च किया करते थे, एक मरतबा आपने 4,00000 दरहम ह़ज़रते इमाम हसन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को पेश किया जिसे उन्होंने क़ुबूल फरमाया,_*

*_10. आप एक बा करामत सहाबी हुए हैं,_*

*_अब रही बात सहाबी ऐ इकराम के आपसी तअल्लुक़ात की तो अगर चेह किसी की किसी से ना बनती रही हो फिर भी हमें उनके बीच बोलने का कोई हक़ नहीं पहुंचता,हम और आप उनके मुआमले में बोलने वाले होते कौन हैं हमारी औक़ात किया है,अरे जब अल्लाह तआला खुद क़ुरआन में फरमा चुका है कि'',,मैं उन सबसे राज़ी हूँ,, तो क्या इस आयत से हजरते अमीर मुआविया रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को अलग कर देंगे,मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मुहब्बत रखें ज़रूर रखें मगर यूँ नहीं कि उनकी मुहब्बत में दूसरे सहाबी को गाली देने लगें अगर कोई ऐसा करेगा तो यक़ीनन यक़ीनन अपना ठीकाना जहन्नम में बनायेगा,और आखिरी बात अगर सवाल यही है कि ह़ज़रते अमीर मुआविया ने मौला अली से जंग की तो अब ह़ज़रते अमीर मुआविया को बुरा कहा जाऐ,माज़ अल्लाह तब तो यही हुक्म खुद मौला अली पर भी आयद हो रहा है कि आप भी महबूबये महबूब रब्बुल आलमीन उम्मुल मोमीनीन ह़ज़रत सय्यदना आईशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु त आला अन्हा के खिलाफ हो गये थे,और उन से जंग पर आमादा हो गये थे अगर चेह खता किसी की भी रही हो मगर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का क़ौल तो यही की मेरी बीवीयां तुम्हारी माँ ऐं हैं तो जो औलाद अपनी माँ के खिलाफ तलवार उठा ले उसे क्या कहेंगे,इसीलिए कहता हूँ कि बड़ो के आपसी मुआमलात में बोलने का हक़ हम जैसों को हरगिज़ नहीं है खामोश रहेंगे तो निजात पायेंगे,_*

*📚खुतबाते मुहर्रम सफह 329/364*

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