*【POST 49】ईदगाह में नमाज़े जनाजा पढ़ने का मसअला*

_मस्जिद में जनाजे की नमाज़ पढ़ना मकरूह व नाजाइज़ है।_
📖 *_हदीस शरीफ़ में है_*

*हज़रत अबू हुरैरह रदियल्लाह तआला अन्हो* से मरवी है कि *रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलह वसल्लम* ने फरमाया जो मस्जिद में नमाज़े जनाज़ा पढ़े उसके लिए कुछ सवाब नहीं

📘 *(अबूदाऊदकिताबुल जनाइज़ बाबुस्सलात अलल जनाज़ा फ़िल मस्जिदसफ़हा 454)*

हाँ सख़्त बारिश आंधी तूफ़ान वगैरा किसी मजबूरी के वक्त मस्जिद में भी पढ़ना जाइज़ है जब कि ईदगाह मदरसा, मुसाफिर खाना वगैरा कोई और जगह न हो। *हज़रत अल्लामा सय्यिद अहमद तहतावी रहमतुल्लाह तआला अलैह* फरमाते हैं।
   
_''जो मस्जिद सिर्फ नमाजे जनाज़ा ही पढ़ने को लिए बनाई गई हो वहाँ यह नमाज मकरूह नही यानी जाइज़ है। यूही मदरसे और ईदगाह में नमाजे जनाज़ा पढ़ना जाइज है।_

📕 *(तहतावी अला मराक़िल फ्लाह मतबूआ कुतुन्तिया, सफ़हा 326)*

       और *मौलाना मुफ्ती जलालुद्दीन साहब अमजदी* फरमाते हैं। ‘नमाजे जनाज़ा ईदगाह के इहाते और मदरसे में भी पढ़ी जा सकती है।

📗 *(फतावा फैजुर्रसूल, जिल्द 1, सफ़हा 446)*

_लिहाज़ा जो लोग ईदगाह में नमाजे जनाज़ा पढ़ते हुए झिझक महसूस करते हैं वह बिला ख़ौफ़ बे झिझक वहाँ नमाजे जनाजा पढ़ा करें।_

📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा, 51*

📍 *Note :- आप हजरात जब भी किसी की मैय्यत की खबर सुने उसके जनाज़े मे शिर्कत जरूर करे*

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