अज़ान का बयान

بسم الله الرحمن الرحيم‎
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

सवाल- अज़ान की मशरूइयत कहाँ हुई?
जवाब- हिजरत के बाद मदीना मुनव्वरा में।
(रददुल मुहतार जिल्द 1 सफ़्हा 268)

सवाल- मशरूईयत किस तरह हुई?
जवाब- मशहूर यह है कि तअय्युन के सिलसिले में हुजूरे अनवर सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम ने सहाबए किराम से मशवरा फरमाया कि कोई सूरत इख्तियार की जाऐ कि लोग नमाज़ के लिये जमा हो जाऐ किसी ने कहा कि नाकूस बजाया जाऐ किसी ने कहा संख फूंका जाऐ किसी ने कहा बुलन्द जगह आग रौशन की जाऐ अभी सहाबए किराम किसी राए पर मुत्तफिक भी न होने पाये थे कि हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने जैद़ ने ख़्वाब में देखा कि एक मर्द आसमान से नीचे आया उसके हाथ में नाकूस है अब्दुल्लाह इब्ने जैद ने कहा कि ऐ बन्दऐ खुदा क्या तुम इस नाकूस को फरोख्त करोगे उसने कहा तुम ख़रीदकर क्या करोगे उन्होंने जवाब दिया इससे लोगों को नमाज़ के लिये बुलाऊँगा उसने कहा में तुमको इससे बेहतर चीज़ सिखाता हूँ कि जब नमाज़ का वक़्त हो जाऐ तो इन कलमात को अदा करो बस उसने आख़ीर तक अज़ान एक मखसूस कैफियत के साथ सिखाई फिर थोड़ी देर बाद इकामत का तरीका बताया जब सुबह हुई तो अब्दुल्लाह बिन ज़ैद ने अपना ख़्वाब हुजूरे अनवर सल्ललाहो तआला अलैह वसल्लम से बयान किया आपने सुनकर फरमाया यह ख्वाब हक है जाओ हज़रत बिलाल को बताओ हज़रत अब्दुल्लाह बिन ज़ैद कहते है कि हम हज़रत बिलाल को बता रहे थे और वह बुलन्द आवाज़ से अज़ान दे रहे थे हज़रत उमर फारुके आज़म रदियल्लाहु तआलाअन्हु ने जब अज़ान की आवाज़ सुनी तो फौरन अपनी चादर घसीटते हुऐ बारगाहे मुस्तफा में हाज़िर हुऐ और अर्ज किया या रसूलअल्लाह (सल्ललाहो तआला अलैह वसल्लम) मैंने भी यही ख्वाब देखा है  जो उन्होंने कहा उसपर हुजूरे अनवर सल्ललाहो तआला अलैह वसल्लम ने फरमाया फ़लिल्लाहिल हम्द, बाज़ रिवायत में है कि इस सिलसिले में आप पर वही भी आगई थी।
(मदरिजुन्नुबुव्वत जिल्द 1 सफ़्हा 397/अबु दाऊद शरीफ जिल्द 1 सफ़्हा 72)

सवाल- इस्लाम में सबसे पहले अज़ान किसने पढ़ी?
जवाब- हज़रत बिलाल हब्शी रदियल्लाहु तआला अन्हु ने।
(अलजवाहिरूल मुज़िय्या जिल्द 1 सफ़्हा 23)

सवाल- क्या इससे पहले भी किसी ने अज़ान पढ़ी?
जवाब- हाँ हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने पढ़ी हदीस शरीफ में है कि जब हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ज़मीने हिन्द में उतरे तो आप तन्हाई की वज़ह से वहशत तारी हुई तो अल्लाह तआला के हुक्म से हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम तशरीफ़ लाऐ और अज़ान पढ़ी जिससे आपकी वहशत दूर हो गई।
(मवाहिब लदुन्निया जिल्द 2 सफ़्हा 47/तफ़सीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 170)

सवाल- क्या हुजूर अनवर सल्ललाहो तआला अलैह वसल्लम ने भी कभी अज़ान पढ़ी?
जवाब- हाँ एक बार सफ़र की हालत में जुहर की अज़ान पढ़ी और आपने "अशहदु अनन मुहम्मदर्रसूलुल्लाह" की जगह "अश्हदु इन्नी रसूलुल्लाह" पढ़ा।
(दुर्रे मुख्तार मअ रददुल मुहतार जिल्द 1 सफ़्हा 280/जददुल मुम्तार अला रदिदल मोहतार जिल्द 1 सफ़्हा 212)

सवाल- अज़ान के लिये सबसे पहले मिनारह किसने बनवाया?
जवाब- हज़रत अमीर मआविया रदियल्लाहु तआला अन्हु ने।
(रददुल मोहतार जिल्द 1 सफ़्हा 271)

सवाल- मिनारह पर सबसे पहले अज़ान किसने दी?
जवाब- शुर हबील बिन हसना ने।
(रददुल मोहतार जिल्द 1 सफ़्हा 271)

सवाल- अज़ान के बाद तसवीब यानी अस्सलातु वस्सलाम अलैका या रसूलल्लाह पढ़ना कब से राइज़ हुआ?
जवाब- रबीउल अख़िर के महीने में 781 हिजरी से राइज हुआ।
(दुर्रे मुख्तार मअ रददुल मुहतार जिल्द 1 सफ़्हा 273)

सवाल- अज़ान देना कब सुन्नत है?
जवाब- नमाज़ पंजगाना व जुमे के लिये जब जमाअत मुस्तहब्बा के साथ मस्जिद में वक़्त पर अदा की जाऐ तो उनके लिये अज़ान देना सुन्नते मुअकिक़दा है।
(बहारे शरीअत जिल्द 3 सफ़्हा 31)

सवाल- किन सूरतों में अज़ान कहना मुस्तहब है?
जवाब- बच्चे और ग़म वाले के कान में और मिर्गी वाले और ग़ज़बनाक व  बदमिज़ाज़ आदमी या जानवर के कान में इसी तरह जंग करने के बाद और जिन्नों की सर्कशी के वक़्त मुसाफिर के पीछे और जंगल में जब रास्ता भूल जाऐ और कोई बताने वाला न हो इसी तरह वबा के ज़माने में अज़ान कहना मुस्तहब है।
(बहारे शरीअत जिल्द 3 सफ़्हा 31)

सवाल- नबी-ए-करीम सल्ललाहु तआला अलैह वसल्लम के मखसूस मुअज़्जिन कितने थे?
जवाब- चार थे। (1)हज़रत बिलाल हब्शी  (2)हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मकतूम मदीना मुनव्वरा में मस्जिदे नब्वी के मुअज़्जिन थे (3)हज़रत सअद बिन आइज़ मस्जिदे कुबा के  मुअज़्जिन (4)हज़रत अबु मह़जूरह मक्का मुकर्रमा में मस्जिदे हराम के मुअज़्जिन थे।
(ज़रक़ानी जिल्द 3 सफ़्हा 369से371/नुरूल अबसार सफ़्हा 49)

सवाल- क्या अज़ान व इक़ामत का हुक्म सिर्फ इसी उम्मत के साथ ख़ास है?
जवाब- हाँ इसी उम्मत के साथ ख़ास है।
(ज़रक़ानी जिल्द 5 सफ़्हा 370)

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