ज़कात का बयान

‎ بسم الله الرحمن الرحيم‎
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सवाल- ज़कात किसे कहते हैं?
जवाब- माल के एक मखसूस हिस्से का जो शरीअत ने मुक़र्रर किया हैं अल्लाह के लिये किसी मुसलमान फ़किर को मालिक बना देना बशरते के वह फ़किर हाशमी न हो जकात कहलाता है।
(दुर्रे मुख्तार मअ रददुल मुहतार जिल्द 2 सफ़्हा 3)

सवाल- ज़कात किस सन् में फ़र्ज़ हुई?
जवाब- सन् 2 हिजरी में फ़र्ज़ हुई।
(ताहतावी अला मराकियुल फ़लाह सफ़्हा 414/दुर्रे मुख्तार मअ रददुल मुहतार जिल्द 2 सफ़्हा 2)

सवाल- ज़कात किन पर फ़र्ज है?
जवाब- चन्द शतो के साथ मालदार मुसलमान पर फ़र्ज़ है।
(आम्मऐ कुतूब)

सवाल- वह चन्द शर्ते क्या हैं?
जवाब- (1)बालिग़ होना,(2)आक़िल होना,(3)आज़ाद होना
(4)निसाब का मालिक होना,(5)निसाब का कर्ज़ से फ़ारिग़ होना,
(6)निसाब का अपनी असली जरूरत से ज्यादा होना,
(7)माल का बढ़ने वाला होना (8)माल पर साल गुजरना।
(दुर्रे मुख्तार मअ रददुल मुहतार जिल्द 2 सफ़्हा 4से6)

सवाल- साहिबे निसाब कौन है?
जवाब- जौ आदमी साढ़े बावन तोला चाँदी या साढ़े सात तोला सोना या इन कि क़ीमत के बराबर रूपया पैसा या सामाने तिजारत का मालिक हो वह साहिबे निसाब है।
(दुर्रे मुख्तार मअ रददुल मुहतार जिल्द 2 सफ़्हा 29से31)

सवाल- क्या अम्बियाऐ किराम पर भी ज़कात फ़र्ज़ हैं?
जवाब- अम्बियाए किराम पर ज़कात बिलइजमाअ फ़र्ज़ नहीं।
(दुर्रे मुख्तार मअ रददुल मुहतार जिल्द 2 सफ़्हा 2)

सवाल- अम्बियाए किराम के माल पर ज़कात फ़र्ज़ क्यो नहीं?
जवाब- अम्बियाए किराम के पास जो कुछ होता है वह माल अमानत है और माले अमानत में ज़कात फ़र्ज़ नहीं दूसरी वजह यह है कि ज़कात के माना हैं साहिबे, इन्सानों का गुनाहों से पाक होना और अम्बियाए किराम गुनाहों से पाक होते हैं इसलिये उनपर ज़कात फ़र्ज़ नहीं।
(रददुल मुहतार जिल्द 2 सफ़्हा 2/ताहतावी सफ़्हा 414)

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