بسم الله الرحمن الرحيم
*बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम*
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
*अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह वसल्लम*
____🕋🕋____________
सवाल- हैज़ और निफ़ास किसे कहते हैं?
*जवाब- वालीग औरत के आगे के मक़ाम से जो खून आदी तोर पर निकलता है और बीमारी या बच्चा पैदा होने के सब्ब से न हो तो उससे हैज़ कहते हैं, उसकी उद्दत कम से कम तीन दिन और ज्यादा से ज्यादा दस दिन है इससे कम या ज्यादा हो तो बीमारी यानी इसतिहाज़ा है और बच्चा पैदा होने के बाद जो जो खून आता है उससे निफ़ास कहते हैं निफ़ास में कामी की जानिब कोही मुद्दत मुक़र्रर नही, और ज्यादा से ज्यादा चालीस दिन है चालीस दिन के बाद जो खून आए वह इसतिहाज़ा है।*
(अनवारे शरीअत सफ़्हा40)
सवाल- हैज़ व निफ़ास का क्या हुक़्म है?
*जवाब- हैज़ व निफ़ास की हालत में रोज़ा रखना और नमाज़ पढ़ना हराम है उन दिनों में नमाज़े मुआफ़ हैं उनकी क़ज़ा भी नही मगर रोज़ो की क़ज़ा और दिनों में रखना फ़र्ज़ है और हैज़ व निफ़ास वाली औरत को क़ुरान मजीद पढ़ना हराम है देख कर पढ़े या जुवानी उसका छूना अगरचे उसकी ज़िल्द या हाशिया को हाथ या उनली की नोक या बदन का कोई हिस्सा लगे सब हराम है हां जुजदान में क़ुरान मजीद हो तो उससे जुजदान के छूने में हर्ज़ नहीं,किसी औरत को हर महीने सात दिन हैज़ आता हो इस बार दस दिन आया तो ये हैज़ है और अगर बारह दिन खून आया तो दिन हैज़ के और पाँच दिन इस्तिहाज़ा के हुए।*
(अनवारे शरीअत सफ़्हा41)
सवाल- जिसे एहतिलाम हुआ और ऐसे मर्द व औरत की जिन पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ है उनके लिये क्या हुक़्म है?
*जवाब- ऐसे लोगो को ग़ुस्ल किए बगैर नमाज़ पढ़ना क़ुरान मजीद देख कर या जुबानी पढ़ना उसका छूना और मस्जिद में जाना हराम(उस हिस्से में जाना हराम है जिसमे नमाज़ी नमाज़ अदा करते हों यानी वहा नमाज़ी नमाज़ अदा करते हो उस जगह जाना हराम है)है।*
(अनवारे शरीअत सफ़्हा41)
सवाल- दो हैज़ों या निफ़ास के दरमियान कम से कम कितने दिनों का फ़ासिला जरुरी है?
*जवाब- पन्दरह दिन का फ़ासिला जरुरी है हैज़ व निफ़ास ख़त्म होने के बाद अगर पन्दरह दिन पुरे ना हुऐ थे खून आ गया तो यह हैज़ व निफ़ास नही बल्कि इस्तिहाज़ा है।*
(जन्नती ज़ेवर सफ़्हा248)
सवाल- रोज़े की हालत में अगर हैज़ व निफ़ास शुरू हो गया तो क्या हुक़्म है?
*जवाब- रोज़े की हालत में अगर हैज़ व निफ़ास शुरू हो गया तो रोज़ा जाता रहा अगर रोज़ा फ़र्ज़ था तो उसकी क़ज़ा फ़र्ज़ है और अगर रोज़ा नफ्ली था तो उसकी क़ज़ा वाज़िब।*
(जन्नती ज़ेवर सफ़्हा251)
सवाल- हैज़ के कितने रंग होते हैं?
*जवाब- छह रंग होते हैं,(1)सियाह(2)सुर्ख़(3)सब्ज़(4)ज़र्द(5)गदला(6)मटियाला, खालिस सफ़ेद रंग की रुतुबत हैज़ नही है।*
(जन्नती ज़ेवर सफ़्हा249)
____📚📚____________
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
*बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम*
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
*अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह वसल्लम*
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सवाल- हैज़ और निफ़ास किसे कहते हैं?
*जवाब- वालीग औरत के आगे के मक़ाम से जो खून आदी तोर पर निकलता है और बीमारी या बच्चा पैदा होने के सब्ब से न हो तो उससे हैज़ कहते हैं, उसकी उद्दत कम से कम तीन दिन और ज्यादा से ज्यादा दस दिन है इससे कम या ज्यादा हो तो बीमारी यानी इसतिहाज़ा है और बच्चा पैदा होने के बाद जो जो खून आता है उससे निफ़ास कहते हैं निफ़ास में कामी की जानिब कोही मुद्दत मुक़र्रर नही, और ज्यादा से ज्यादा चालीस दिन है चालीस दिन के बाद जो खून आए वह इसतिहाज़ा है।*
(अनवारे शरीअत सफ़्हा40)
सवाल- हैज़ व निफ़ास का क्या हुक़्म है?
*जवाब- हैज़ व निफ़ास की हालत में रोज़ा रखना और नमाज़ पढ़ना हराम है उन दिनों में नमाज़े मुआफ़ हैं उनकी क़ज़ा भी नही मगर रोज़ो की क़ज़ा और दिनों में रखना फ़र्ज़ है और हैज़ व निफ़ास वाली औरत को क़ुरान मजीद पढ़ना हराम है देख कर पढ़े या जुवानी उसका छूना अगरचे उसकी ज़िल्द या हाशिया को हाथ या उनली की नोक या बदन का कोई हिस्सा लगे सब हराम है हां जुजदान में क़ुरान मजीद हो तो उससे जुजदान के छूने में हर्ज़ नहीं,किसी औरत को हर महीने सात दिन हैज़ आता हो इस बार दस दिन आया तो ये हैज़ है और अगर बारह दिन खून आया तो दिन हैज़ के और पाँच दिन इस्तिहाज़ा के हुए।*
(अनवारे शरीअत सफ़्हा41)
सवाल- जिसे एहतिलाम हुआ और ऐसे मर्द व औरत की जिन पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ है उनके लिये क्या हुक़्म है?
*जवाब- ऐसे लोगो को ग़ुस्ल किए बगैर नमाज़ पढ़ना क़ुरान मजीद देख कर या जुबानी पढ़ना उसका छूना और मस्जिद में जाना हराम(उस हिस्से में जाना हराम है जिसमे नमाज़ी नमाज़ अदा करते हों यानी वहा नमाज़ी नमाज़ अदा करते हो उस जगह जाना हराम है)है।*
(अनवारे शरीअत सफ़्हा41)
सवाल- दो हैज़ों या निफ़ास के दरमियान कम से कम कितने दिनों का फ़ासिला जरुरी है?
*जवाब- पन्दरह दिन का फ़ासिला जरुरी है हैज़ व निफ़ास ख़त्म होने के बाद अगर पन्दरह दिन पुरे ना हुऐ थे खून आ गया तो यह हैज़ व निफ़ास नही बल्कि इस्तिहाज़ा है।*
(जन्नती ज़ेवर सफ़्हा248)
सवाल- रोज़े की हालत में अगर हैज़ व निफ़ास शुरू हो गया तो क्या हुक़्म है?
*जवाब- रोज़े की हालत में अगर हैज़ व निफ़ास शुरू हो गया तो रोज़ा जाता रहा अगर रोज़ा फ़र्ज़ था तो उसकी क़ज़ा फ़र्ज़ है और अगर रोज़ा नफ्ली था तो उसकी क़ज़ा वाज़िब।*
(जन्नती ज़ेवर सफ़्हा251)
सवाल- हैज़ के कितने रंग होते हैं?
*जवाब- छह रंग होते हैं,(1)सियाह(2)सुर्ख़(3)सब्ज़(4)ज़र्द(5)गदला(6)मटियाला, खालिस सफ़ेद रंग की रुतुबत हैज़ नही है।*
(जन्नती ज़ेवर सफ़्हा249)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
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