بسم الله الرحمن الرحيم
*बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम*
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
*अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह वसल्लम*
सवाल- हदीस शरीफ है कि हज़रते अबु हुरैरा रज़ियल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की जब रमजान का महीना शुरू होता है तो आसमान के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और एक रिवायत में है कि जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और जहन्नम में दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं और शैतान ज़ंजीरो में जकड़ दिए जाते हैं और एक रिवायत में है कि रहमत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं,(बुख़ारी/मुस्लिम)इस हदीस की तफ़्सीर बताए?
*जवाब- हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी रहमतुल्लाह तआला अलैहि इस हदीस की शरह में लिखते हैं कि आसमान के दरवाज़े खोल दिए जाने का मतलब है लगातार रहमत का भेजा जाना और बगैर किसी रुकावट के अल्लाह की बारगाह में अम्ल का पहुँचना और दुआ क़बूल होना और,जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाने का मतलब है अच्छे अमल की तौफ़ीक़ और हुस्ने कबूल अता फरमाना,और दोज़ख़ के दरवाजे बंद किए जाने का मतलब है रोज़ा दारों के नुफुस को बुरी बातो की आलूदगी से पाक करना और गुनाहों पर उभारने वाली चीज़ो से नजात पाना और दिल से लज़्ज़तों के हासिल होने की ख़्वाहिशों को तोड़ना,और शैतानों को ज़ंजीरों में जकड़ दिए जाने का मतलब है बुरे ख्यालों के रास्तों का बंद हो जाना।*
(अशिअतुल्लम्आत जिल्द2 सफ़्हा62)
सवाल- रोज़ा रख़ कर गुनाह करने वाले के वारे में हदीस मे क्या आया है?
*जवाब- हदीश शरीफ में है कि हज़रते अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायात है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की जो रोज़ा रख़ कर बुरी बात कहना और उस पर अमल करना न छोड़े तो अल्लाह तआला को इस की परवा नही उसने खाना पीना छोड़ दिया है(यानी रोज़ा क़बूल ना होगा)।*
(अनवारे हदीस सफ़्हा148/बुख़ारी शरीफ)
____📚📚____________
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
*बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम*
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
*अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह वसल्लम*
सवाल- हदीस शरीफ है कि हज़रते अबु हुरैरा रज़ियल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की जब रमजान का महीना शुरू होता है तो आसमान के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और एक रिवायत में है कि जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और जहन्नम में दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं और शैतान ज़ंजीरो में जकड़ दिए जाते हैं और एक रिवायत में है कि रहमत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं,(बुख़ारी/मुस्लिम)इस हदीस की तफ़्सीर बताए?
*जवाब- हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी रहमतुल्लाह तआला अलैहि इस हदीस की शरह में लिखते हैं कि आसमान के दरवाज़े खोल दिए जाने का मतलब है लगातार रहमत का भेजा जाना और बगैर किसी रुकावट के अल्लाह की बारगाह में अम्ल का पहुँचना और दुआ क़बूल होना और,जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाने का मतलब है अच्छे अमल की तौफ़ीक़ और हुस्ने कबूल अता फरमाना,और दोज़ख़ के दरवाजे बंद किए जाने का मतलब है रोज़ा दारों के नुफुस को बुरी बातो की आलूदगी से पाक करना और गुनाहों पर उभारने वाली चीज़ो से नजात पाना और दिल से लज़्ज़तों के हासिल होने की ख़्वाहिशों को तोड़ना,और शैतानों को ज़ंजीरों में जकड़ दिए जाने का मतलब है बुरे ख्यालों के रास्तों का बंद हो जाना।*
(अशिअतुल्लम्आत जिल्द2 सफ़्हा62)
सवाल- रोज़ा रख़ कर गुनाह करने वाले के वारे में हदीस मे क्या आया है?
*जवाब- हदीश शरीफ में है कि हज़रते अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायात है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की जो रोज़ा रख़ कर बुरी बात कहना और उस पर अमल करना न छोड़े तो अल्लाह तआला को इस की परवा नही उसने खाना पीना छोड़ दिया है(यानी रोज़ा क़बूल ना होगा)।*
(अनवारे हदीस सफ़्हा148/बुख़ारी शरीफ)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
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