بسم الله الرحمن الرحيم
*बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम*
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
*अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह वसल्लम*
सवाल- वही किसे कहते हैं?
*जवाब- वही उस बात को कहते हैं जो किसी नबी पर अल्लाह की तरफ से आए।*
(उम्दातुल क़ारी जिल्द1 सफ़्हा47)
सवाल- वही किस जबान में नाज़िल होती थी?
*जवाब- अरबी जबान में नाज़िल होती थी,नबी कौम की जबान में तर्जुमा कर दिया करते थे।*
(अलइतकान जिल्द1 सफ़्हा45)
सवाल- हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर वही की इब्तिदा किस चीज़ से हुई?
*जवाब- सच्चे और अच्छे ख्वाबो से।*
(बुख़ारी शरीफ ज़िल्द1 सफ्हा2)
सवाल- आप पर वही की इब्तिदा किस तारीख से हुई?
*जवाब- बरोज़ पीर आठ या तीन रबीउलअव्वल से हुई।*
(मदारिजुन्नुव्वत जिल्द2 सफ़्हा38)
सवाल- क्या कुरान की तरह हदीस भी अल्लाह की वही है?
*जवाब- हाँ जिस तरह हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम क़ुरान लेकर नाज़िल होते थे इसी तरह हदीस भी लेकर उतरते थे।*
(मवाहिब लदुन्निया जिल्द2 सफ़्हा69)
सवाल- क्या दोनों वही में क्या फ़र्क़ है?
*जवाब- क़ुरान वाली वही,वही-ए-मतलू-व-जली यानी तिलावत किये जाने वाली वही है और हदीस वाली वही,वही-ए-गैर-मतलू-व ख़फ़ी है यानी न तिलावत की जाने वाली उससे कम दरजे की वही है।*
(मुफ़्ती हसन मन्जूर क़ादरी/बिहार)
सवाल- क्या गैर नबी की तरह भी वही हो सकती है?
*जवाब- हाँ वही इलहाम के माना और सूरत में हो सकती है,जैसा की क़ुरान मुक़द्दस में शहद की मक्खी और हज़रत मूसा अलैहिस्लाम की माँ के बारे में है कि अल्लाह तआला ने उनकी तरह वही की।*
(तक़मीलुल ईमान सफ़्हा41/उम्दातुल क़ारी ज़िल्द1 सफ़्हा47)
सवाल- वही लिखने वाले कातिब कितने हैं?
*जवाब- तेरह हैं,(1)हज़रत अबु बकर(2)हज़रत उमर खत्ताब(3)हज़रत उस्मान ग़नी(4)हज़रत अली-ए-क़रार(5)आमिर बिन फहिरा(6)अब्दुल्लाह बिन अरक़म(7)ओबय बिन कअब(8)साबित बिन कैस(9)खालिद बिन सईद(10)हन्जला बिन रबिअ(11)जैद बिन साबित(12)मआविया बिन सुफ़यान(13)शरजील बिन हसन, रादी अल्लाहु तआला अन्हो।*
(अन्नाहियह सफ़्हा15)
सवाल- वही की कितनी सूरते हैं?
*जवाब- नबियों के हक़ में वही की तीन सूरते हैं,(1)बिना फ़रिश्तो के वास्ते से बज़ात खुद अल्लाह तआला के कलाम को सुन्ना(2)फरिश्तो के वास्ते अल्लाह का कलाम आना(3)मुक़द्दस नबियों के दिलों में कलाम के माना का अल्लाह की तरफ़ से डाला जाना,फिर यह तीनों किस्मे सात सूरतों में मुनहसिर(यानी गेरा हुआ)हैं(1)वही ख्वाब में हो जैसा हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की क़ुबानी का हुक़्म हुआ(2)दिल में इलका हो(3)घन्टी की आवाज़ की सूरत में आए(4)फ़रिश्ता किसी इनसान मर्द की शक़्ल में आकर अल्लाह का कलाम पेश करे जैसा कि हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम हज़रत दहय्या कलबी की शक़्ल में हाज़िर होकर कलाम पेश करते(5)हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम अपनी मलकुती(यानी फरिश्तों वाली शक्ल) शक़्ल में हाज़िर हो कर कलामें रब्बी पेश करते(6)हज़रत इसराफिल अलैहिस्सलाम वही लेकर हाज़िर हों(7)बिना फ़रिशतों के वास्ते से अल्लाह के मुबारक कदिम कलाम को सुन्ना जैसा मैराज शरीफ़ की रात में हमारे हुज़ूर सलल्ललाहु तआला अलैहि वसल्लम पर और तुर पहाड़ पर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने सुना।*
(उम्दातुल क़ारी जिल्द1 सफ़्हा47/जादुल मआद ज़िल्द1 सफ़्हा18)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
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