सिदरतुल मन्तहा और वैतेमामूर का बयान

‎ بسم الله الرحمن الرحيم‎
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

सवाल- सिदरतुल मन्तहा क्या चीज है?   
जवाब- एक दरख़्त है जिनकी जड़ छटे आसमान में और उसकी शाखें सातवे आसमान में फैली हुई है ओर बुलन्दी सातवें आसमान से भी ज्यादा है उसके फल मटके की तरह और पत्ते हाथी के कान की तरह है उसमें रंग बिरंगे फल हैं उस पर निहायत खूबसूरत सजावट है उसका एक पत्ता अगर जमीन पर रख दिया जाऐ तो पूरे एहले जमीन को रौशन कर दे और उसके हर पत्ते पर एक फ़रिश्ता है। 
(ख़ाज़िन व मालिम जिल्द 6 सफ़्हा 215/अशिअअतुल लमआत जिल्द 4 सफ़्हा 418) 

सवाल- सिदरतुल मुन्तहा कितना बढा दरख़्त है? 
जवाब- इतना बड़ा दरख़्त है कि सवार उसकी टहनी के साए में सौ बरस तक चले या उसका साया एक लाख सवारों को किफायत करें । 
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 6 पेज 215)   

सवाल- उसको सिदरतुल मन्तहा क्यो कहते है?   
जवाब- इसलिए कहते है कि बन्दो के अमल और मख़लूक के इल्म वहाँ तक मुन्तहा(आखिरी मन्जिल)हो जाते है जो चीज ऊपर से उतरती है उसकी भी मुन्तहा (आखिरी हद)है और फरिश्ते भी यहीं ठहर जाते है इसलिये सिदरतुल मन्तहा कहते है । 
(मवाहिब लदिन्नया 2 सफ़्हा 25/ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 6 सफ़्हा 215) 

सवाल- क्या इससे ऊपर कोई जा सकता है? 
जवाब- हमारे हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम के इलावा कोई न जा सका
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफ़्हा 25)

सवाल- ज़मीन से सिदरतुल मुन्तहा तक कितनी दूरी है 
जवाब-  पच्चीस हजार बरस की राह ।
(अलमलफूज जिल्द 4 सफ़्हा 9)

सवाल-  बैते मामूर कहाँ है ?   
जवाब- सातवें आसमान में अर्श आज़म के सामना काबा शरीफ के ठीक ऊपर फरिशतो की मख्सूस इबादत गाह और उनका किबला है हर रोज उसमें ऐसे सत्तर हजार फ़रिश्ते तवाफ व नमाज के लिए हाजिर होते है कि फिर उन्हें दोबारा नमाज व तवाफ का मौका नही मिलता ।   
(उम्दतुल क़ारी जिल्द 2 सफ़्हा 201/ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 6 सफ़्हा 206)     

सवाल- क्या फरिश्ते उसमे अजान व जमाअत के साथ नमाज पढ़ते हैं ?     
जवाब- हाँ हजरत इसराफील अलैहिस्सलाम अजान देते है जिनकी आवाज सातों आसमान और सातों जमीन के फ़रिश्ते सुन लेते हैं और हजरत मीकाईल अलैहिस्सलाम सबके इमाम होते हैं । 
(तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 310)   

सवाल- क्या बेते मामूर में फरिशतो के इलावा भी किसी ने नमाज पढ़ी है?     
जवाब- हाँ शबे मेराज में  तमाम नबियों और उम्मते मरहूमा ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम के पीछे नमाज पढ़ी और आपने सबकी इमारत फरमाई।
(अलमलफूज जिल्द 4 सफ़्हा 47)

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