बिस्मिल्लाह शरीफ़ का बयान

‎ بسم الله الرحمن الرحيم‎
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

सवाल- बिस्मिल्लाह पढ़ना कब फ़र्ज है?
जवाब- जानवर ज़िबह करते वक़्त बिस्मिल्लाह पढ़ना फ़र्ज है अगरचे लफ्ज़"अर्रहमानिर्रहीम" पढ़ना फ़र्ज़ नहीं।
(ताहतावी सफ़्हा 2)

सवाल- बिस्मिल्लाह पढ़ना कब सुन्नत है?
जवाब- वुजु के शुरू में और नमाज़ के बाहर किसी सूरत की तिलावत शुरू करते वक़्त और हर अहम काम करते वक़्त जैसे खाने-पीने और बीवी से हम बिस्तरी करते वक़्त शुरू में बिस्मिल्लाह पढ़ना सुन्नत है इसी तरह नमाज़ की हर रकअत के शुरू में बिस्मिल्लाह पढ़ना सुन्नत है।
(ताहतावी सफ़्हा 3/बहारे शरीअत जिल्द 3 सफ़्हा 101)

सवाल- बिस्मिल्लाह पढ़ना कब मुस्तहब है?
जवाब- नमाज़ के बाहर दरम्यान सूरत से तिलावत की इब्तिदा के वक़्त बिस्मिल्लाह पढ़ना मुस्तहब है।
(बहारे शरीअत जिल्द 3 सफ़्हा 101)

सवाल- बिस्मिल्लाह पढ़ना कब कुफ्र है?
जवाब- शराब पीने,ज़िना करने,चोरी करने,जुआ खेलने,के वक़्त बिस्मिल्लाह पढ़ना कुफ्र है जब कि पढ़ने को हलाल समझे।
(आलमगीरी जिल्द 2 सफ़्हा 286/शरह फ़िक़हे अकबर लिअली क़ारी सफ़्हा 169)

सवाल- बिस्मिल्लाह पढ़ना कब हराम है?
जवाब- हराम कतई को करते और चोरी वगैरह का नाजायज़ माल इस्तेमाल करने के वक़्त बिस्मिल्लाह पढ़ना हराम है इसी तरह ज़िना करते वक़्त और शराब पीने और हैज़ वाली औरत से हम बिस्तरी करते वक़्त बिस्मिल्लाह पढ़ना हराम है जब कि पढ़ने को हलाल न समझे वरना काफ़िर हो जाऐगा।
(ताहतावी सफ़्हा 3)

सवाल- बिस्मिल्लाह पढ़ना कब मकरूह है?
जवाब- सूरऐ बरात के शुरू में बिस्मिल्लाह पढ़ना मकरूह है जबकि सूरत अनफ़ाल से मिलाकर पढ़े इसी तरह हुक्का बीड़ी सिग्रेट पीने और लहसुन व प्याज जैसी चीज़े खाने के वक़्त नापाकी की जगहों में और शर्म गाह खोलते वक़्त बिस्मिल्लाह पढ़ना मकरूह है।
(ताहतावी सफ़्हा 3 रददुल मुहतार जिल्द 1 सफ़्हा 7)

सवाल- बिस्मिल्लाह पढ़ना कब जाइज़ व मुस्तहसन है?
जवाब- उठते बैठते और नमाज़ में सूरऐ फ़ातिहा और सूरत के दरमियान बिस्मिल्लाह पढ़ना जाइज़ व मुस्तहसन है।
(ताहतावी सफ़्हा 3)

सवाल- बिस्मिल्लाह शरीफ़ सबसे पहले किस नबी पर नाज़िल हुई?
जवाब- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम पर नाज़िल हुई।
(कन्जुल उम्माल जिल्द 1 सफ़्हा 493)

सवाल- क्या हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम के इलावा और किसी नबी पर नाज़िल नहीं हुई?
जवाब- हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम के इलावा किसी नबी पर नाज़िल नहीं हुई फिर बाद में हमारे आका हुजूरे अनवर सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम पर नाज़िल हुई।
(कन्जुल उम्माल जिल्द 1 सफ़्हा 556)

सवाल- इस्लाम में " बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम" लिखने का दस्तूर कब से शुरू हुआ?
जवाब- इस्लाम के शुरू ज़माने में हमारे आका हुजूरे अनवर सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम कुरैश के मुताबिक "बिइस्रमिक अल्लाहुम-म" लिखते थे जब कुरान की आयत(وَقَالَ ٱرْكَبُوا۟ فِيهَا بِسْمِ ٱللَّهِ مَجْر۪ىٰهَا وَمُرْسَىٰهَآ ۚ إِنَّ رَبِّى لَغَفُورٌ رَّحِيمٌ
اور بولا اس میں سوار ہو اللہ کے نام پر اس کا چلنا اور اس کا ٹھہرنا بیشک میرا رب ضرور بخشنے والا مہربان ہے،
11-हुद: 41)नाज़िल हुई तो आपने "बिस्मिल्लाह लिखना शुरू कर दिया" फिर जब आयत (قُلِ ٱدْعُوا۟ ٱللَّهَ أَوِ ٱدْعُوا۟ ٱلرَّحْمَٰنَ ۖ أَيًّا مَّا تَدْعُوا۟ فَلَهُ ٱلْأَسْمَآءُ ٱلْحُسْنَىٰ ۚ وَلَا تَجْهَرْ بِصَلَاتِكَ وَلَا تُخَافِتْ بِهَا وَٱبْتَغِ بَيْنَ ذَٰلِكَ سَبِيلًا
تم فرماؤ اللہ کہہ کر پکارو رحمان کہہ کر، جو کہہ کر پکارو سب اسی کے اچھے نام ہیں اور اپنی نماز نہ بہت آواز سے پڑھو نہ بالکل آہستہ اور ان دنوں کے بیچ میں راستہ چاہو
17-Al-Isra : 110) नाज़िल हुई तो आपने "बिस्मिल्लाहहिर्रहमान" लिखना शुरू किया फिर जब आयत(إِنَّهُۥ مِن سُلَيْمَٰنَ وَإِنَّهُۥ بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ
بیشک وہ سلیمان کی طرف سے ہے اور بیشک وہ اللہ کے نام سے ہے نہایت مہربان رحم والا،
27-An-Naml : 30)नाज़िल हुई तो आपने "बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम" लिखना शुरू किया।
(तबक़ात इब्ने सअद जिल्द 2 सफ़्हा 28)

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