लौहे महफ़ूज और कलम का बयान

بسم الله الرحمن الرحيم‎
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

सवाल- लौहे महफ़ूज किस चीज़ का है?
जवाब- सफ़ेद मोती का है उसके दोनों किनारे मोती और याकूत के है और दोनों तरफ़ सुर्ख याकूत के हैं।
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 7 सफ़्हा 183)

सवाल- लौहे महफ़ूज कहाँ है?
जवाब- अर्शे आज़म का दाहनी तरफ, ऊपर का हिस्सा अर्शे आज़म से मिला हुआ है और नीचे का हिस्सा एक फ़रिश्ते की गोद में है।
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 7 सफ़्हा 193)

सवाल- लौहे महफ़ूज कितना बड़ा है?
जवाब- इतना बड़ा है जितना ज़मीन व आसमान के दरमियान फ़ासला है यानी पाँच सौ बरस की दूरी के बराबर और उसका अर्ज़ इस कद़र है जितना मश़्रिक व मग़रिब के दरमियान फ़ासला है।
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 7 सफ़्हा 193)

सवाल- लौहे महफ़ूज को लौहे महफ़ूज क्यों कहा जाता है?
जवाब- इसलिये कहते है कि ज़्यादती व नुक़सान और शैतानी तसर्रुफ़ात(दख़ल)से पाक है।
(ख़ाज़िन व मआलिम  जिल्द 7 सफ़्हा 193)

सवाल- लौहे महफ़ूज में क्या लिखा है?
जवाब- उसके शुरू में लिखा है "लाइला-ह-इल्लल्लाहु वहदहु दीनुहुल इस्लाम व मुहम्मदुन अब्दुहु वरसूलुहु फ़मन आम-न-बिल्लाहि अज़्ज व जल-ल व सद्दक बि-वअदिही व इत्तब-अ रसूलुहू अदख़लहुल जन्नता अल्लाह " तर्जुमा " वहदहु के सिवा कोई मआबूद नहीं अल्लाह का दीन इस्लाम है और मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम उसके ख़ास बन्दें और रसूल हैं तो जो अल्लाह अज़्ज़ व जल्ल पर ईमान लाऐगा और उसके वअदे की तसदीक़ और उसके रसूलों की पैरवी करेगा तो अल्लाह तआला उसको जन्नत में दाख़िल फ़रमाऐगा।
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 7 सफ़्हा 193/तफ़सीर अज़ीज़ी पारा 30 सफ़्हा 133)

सवाल- इसके इलावा और उसमें क्या लिखा है?
जवाब- उसमें सारी मख़लूकात का हाल है हर शै की तफ़सील है हर छोटी बड़ी चीज़ लिखी हुई है पैदाइश की शुरूआत से लेकर क़यामत तक जो कुछ हो गया और जो कुछ हो रहा है और जो कुछ होने वाला है सब ज़मीन और आसमान के पैदा होने से पहले लिख दिया गया है।
(ख़ाज़िन जिल्द 2 सफ़्हा 195'व'जिल्द 3 सफ़्हा 73/जुमल जिल्द 2 सफ़्हा 39)

सवाल- क्या लौहे महफ़ूज की लिखी हुई बातों में तग़य्यर और रद्दो बदल मुमकिन है?
जवाब- सही यह है कि लौहे महफ़ूज तग़य्युर से महफ़ूज है तग़य्यूर सिर्फ दफ़तैन और सुहुफ़े मलाइका में है।
(अहकामे शरीअत जिल्द 3 सफ़्हा 254)

सवाल- क्या लौहे महफ़ूज का इल्म खुदा के सिवा और किसी को भी हासिल है?
जवाब- हाँ अल्लाह तआला की तालीम और इत्तेलाअ से ग़ैरे खुदा को भी हासिल है जैसे नबी-ए-करीम सल्ललाहो तआला अलैह वसल्लम और दुसरे अम्बियाऐ किराम और मलाइका मुकर्रबीन को हासिल है बल्कि लौहे व क़लम के तमाम इल्म माकान वमा यकून हुजूरे अनवर सल्ललाहो तआला अलैह वसल्लम के उलूमे बे मिसाल कायम एक क़तरा है।
(अलमलफूज जिल्द 1 सफ़्हा 66)

सवाल- क्या लौहे महफ़ूज का इल्म औलियाए किराम को भी हासिल है?
जवाब- हाँ औलियाए किराम को भी अता किया जाता है हज़रत ग़ौसे आज़म फ़रमाते है (ऐनी फ़िल्लौहिल महफ़ूज) मेरी आँख लौहे महफ़ूज में लगी रहती है मौलाना रूम फ़रमाते है लौहे महफ़ूज अस्त पेशे औलिया हरचे महफ़ूज अस्त महफ़ूज अज़ ख़ता।
(बहजतुल असरार सफ़्हा 22)

सवाल- क़लम किस चीज़ का है?
जवाब- नूर का है।
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 7 सफ़्हा 107)

सवाल- कलम की लम्बाई कितनी है?
जवाब- जितना जमीन व आसमान के दरमियान फ़ासला है।
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 7 सफ़्हा 107)

सवाल- क़लम ने सबसे पहले क्या लिखा?
जवाब- बिस्मिल्लाह शरीफ।
(रूहुल बयान जिल्द 1 सफ़्हा 5)

सवाल- किस चीज़ पर लिखा?
जवाब- लौहे महफ़ूज पर।
(अलइत्तेहाक़ सफ़्हा 105)

सवाल- फिर क़लम ने क्या लिखा?
जवाब- अल्लाह तआला का जिक्र और उसकी तौहीद को लिखा और क़यामत तक जो कुछ होने वाला है सब कुछ तफ़सील के साथ लिख दिया हदीस शरीफ में है कि जब अल्लाह तआला ने क़लम को पैदा किया तो उसको हुक्म दिया लिख क़लम इस ख़िताब की हैबत से हज़ार बरस तक कांपता रहा(अल्लाहुअकबर) फिर अर्ज़ किया कि ऐ परवरदिगार में क्या लिखूं रब ने फरमाया कि मेरी तौहीद लिख क़लम ने लौहे महफ़ूज पे "लाइला-ह-इल्लल्लाह" लिखा फिर इरशाद हुआ कि क़यामत तक जो कुछ होने वाला है हर एक की मिक़दार लिख दे।
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 7 सफ़्हा 107/मवाहिब लदुन्निया जिल्द 2 सफ़्हा 28/अलकलामुल औज़ह सफ़्हा 77/अलइत्तेहाफ़ सफ़्हा 106)

सवाल- क्या दुनिया की तरह लौह व क़लम और अर्शे आज़म व कुर्शी सब फ़ना हो जाऐंगे?
जवाब- नहीं सात चीज़ें है जिन्हें फना नहीं होना है अर्शे आज़म,कुर्शी,लौहे,महफ़ूज,क़लम,रूह,जन्नत और उसमें रहने वाले,दोज़ख और उसमें रहने वाले यह सब चीज़े कुल्लु शैइन हालिकुन से अगल है।
(शरह फ़िक़हे अकबर बहरूउलूम सफ़्हा 76/शरहुस्सुदूर सफ़्हा 133)

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