بسم الله الرحمن الرحيم
बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह वसल्लम
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अक़ाईद का बयान पोस्ट(2)
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सवाल- ग़ैरे मुक़ल्लिद किसे कहते हैं और उनका अक़ीदा क्या है?
जवाब- ग़ैर मुक़ल्लिद जिसे एहले हदीस भी कहते हैं एक गुमराह और बदर मज़हब फिरक़ा है जो इमामों की पैरवी और इजमाअ(सरकार की उम्मत के इमामों और नेक हज़रात का किसी दीनी हुक्म या मसअले पर इत्तेफाक कर लेना)और क़्याम(कुरान हदीस को आईना बनाकर दूसरे मसअले निकालना)का इन्कार करते हैं पैरवी को हराम और बिदअत बताते हैं और दीनके इमामों को गाली और बुराई से याद करते हैं और इमामों की पैरवी करने वालों को मश़्रिक बताते है इस फिरके ने अपना नाम"आमिल बिल हदीस " रखा इसके पेशवा इस्माईल देहलवी और सिद्दीक हसन खाँ भोपाली और नज़ीर हुसैन देहलवी हैं इस्माईल देहलवी ने यह नया मजहब निकाला और हिन्दुस्तान में फैलाया उनका अक़ीदा वही है जो वहाबी देवबन्दी का हे बल्कि उनसे भी एक दर्जा आगे और इनके मजहब में यह भी है कि राम चन्द्र लक्ष्मण कृष्णा जो हिन्दुओं के पेशवा हैं नबी हैं काफिर का ज़िबह किया हुआ जानवर हलाल उसका उसका खाना जाइज़ है,मर्द एक वक़्त में जितनी औरतों से चाहे निकाह कर सकता है उसकी हद नहीं कि चार ही हों,मनी पाक है मुता(कुछ वक़्त के लिए निकाह करना) जाइज़ है वगैरह।
(इज़हारूलहक़ सफ़्हा 4से18/फ़तावा रिज़विया जिल्द 9 सफ़्हा 41/ग़ैर मुक़ल्लिद के फरेब सफ़्हा 59से64)
सवाल- तबलीग़ी जमाअत किसे कहते हैं और उनका अक़ीदा क्या है?
जवाब- तबलीग़ी जमाअत वहाबी देवबन्दी ही की एक शाख़ है उसके बानी मौलवी इलयास कांधुलवी हैं उनकी जमाअत का मक़सद सिर्फ अशरफ़ अली थानवी और रशीद अहमद गंगोही वग़ैरा की काफ़िर बनाने वाली तालीम फैलाना और राइज करना है और सुन्नी मुसलमानों को वहाबी बनाना है लेकिन इस जमाअत के प्रचार करने वाले सीधे-सादे लोगों को धोका देने के लिये यह कहा करते हैं कि तबलीग़ी जमाअत का यह तरीक़ा नबियों और सहाबियों का तरीका है यह उनका साफ़ झूठ और निहायत शर्मनाक धोका है उनके अक़ीदे वही हैं जो अशरफ अली थानवी के थे।
(फ़तावा फैजुर्रसूल जिल्द 1 सफ़्हा 43/तबलीग़ी जमाअत सफ़्हा 12)
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हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
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