بسم الله الرحمن الرحيم
बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह वसल्लम
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अक़ीदा का बयान पोस्ट(3)
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सवाल- मौदूदी किसे कहते हैं और उनका अक़ीदा क्या है?
जवाब- अबुलओला मौदूदी के मानने वालों को मौदूदी कहते हैं इसी का दूसरा नाम जमाअते इस्लामी भी है उनका दावा तो इस्लाम की तबलीग़ का है मगर हक़ीक़त में उनकी तहरीक इस्लाम में फितना डालना और मुसलमानों के दरमीयान फर्क पैदा करना और काफ़िर बनाना है वह इस्लाम के मअना ही अलग बताते है आम मुसलमानों को मुसलमान नहीं समझते बल्कि जिहालत के साथ मुसलमान होना ही ना मुम्किन बताते हैं उनका अक़ीदा यह है कि नबी अपनी कोशिश से खुदा को पहचानते हैं नबियों के नफ़्स़ भी शरारत करने वाले होते हैं हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से बहुत बड़ा गुनाह सरज़द हो गया था वगैरह।
(मौदूदी मज़हब"इकवाल अहमद नूरी"सफ़्हा 126/मौदूदी मज़हब"काज़ी मज़हर हुसैन"सफ़्हा 20से22)
सवाल- एहले कुरान किसे कहते हैं और उनका अक़ीदा क्या है?
जवाब- एहले कुरान एक मुर्तद व गुमराह फ़िराक़ है जो हुजूरे-अनवर-सल्लल्लाहो-तआला-अलैह-वसल्लम की पैरवी का इन्कार करता है तमाम हदीसों को साफ-साफ झुठ ग़लत और अमल करने के काबिल नहीं बताता है सिर्फ कुरान मजीद की पैरवी का दावा करता है इस फिरके का बानी अब्दुल्लाह चकड़ालवी है जिसने जिसने अपनी जमाअत के लिए एक नई नमाज़ गढ़ी जो मुसलमानों की नमाज़ से बिलकुल अलग है रात और दिन में सिर्फ तीन वक़्त की नमाज़ रखी और हर वक़्त में फकत दो भी रकअते रखी उनका यह अक़ीदा है कि मुसलमानों की मौजूदा नमाज़े कुरान के मुताबिक नहीं हैं सिर्फ कुरान की सिखाई हुई नमाज़ पढ़ना फ़र्ज़ है इसके इलावा कोई और नमाज़ पढ़ना कुफ्र व शिर्क है एक अक़ीदा यह भी है कि हुजूरे-अनवर-सल्लल्लाहो-तआला-अलैह-वसल्लम किसी रसूल या नबी से अफ़ज़ल नहीं वगैरह।
(फ़तावा रिज़विया जिल्द 1 सफ़्हा 191/मजाहेबुल इस्लाम सफ़्हा 680)
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हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह वसल्लम
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अक़ीदा का बयान पोस्ट(3)
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सवाल- मौदूदी किसे कहते हैं और उनका अक़ीदा क्या है?
जवाब- अबुलओला मौदूदी के मानने वालों को मौदूदी कहते हैं इसी का दूसरा नाम जमाअते इस्लामी भी है उनका दावा तो इस्लाम की तबलीग़ का है मगर हक़ीक़त में उनकी तहरीक इस्लाम में फितना डालना और मुसलमानों के दरमीयान फर्क पैदा करना और काफ़िर बनाना है वह इस्लाम के मअना ही अलग बताते है आम मुसलमानों को मुसलमान नहीं समझते बल्कि जिहालत के साथ मुसलमान होना ही ना मुम्किन बताते हैं उनका अक़ीदा यह है कि नबी अपनी कोशिश से खुदा को पहचानते हैं नबियों के नफ़्स़ भी शरारत करने वाले होते हैं हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से बहुत बड़ा गुनाह सरज़द हो गया था वगैरह।
(मौदूदी मज़हब"इकवाल अहमद नूरी"सफ़्हा 126/मौदूदी मज़हब"काज़ी मज़हर हुसैन"सफ़्हा 20से22)
सवाल- एहले कुरान किसे कहते हैं और उनका अक़ीदा क्या है?
जवाब- एहले कुरान एक मुर्तद व गुमराह फ़िराक़ है जो हुजूरे-अनवर-सल्लल्लाहो-तआला-अलैह-वसल्लम की पैरवी का इन्कार करता है तमाम हदीसों को साफ-साफ झुठ ग़लत और अमल करने के काबिल नहीं बताता है सिर्फ कुरान मजीद की पैरवी का दावा करता है इस फिरके का बानी अब्दुल्लाह चकड़ालवी है जिसने जिसने अपनी जमाअत के लिए एक नई नमाज़ गढ़ी जो मुसलमानों की नमाज़ से बिलकुल अलग है रात और दिन में सिर्फ तीन वक़्त की नमाज़ रखी और हर वक़्त में फकत दो भी रकअते रखी उनका यह अक़ीदा है कि मुसलमानों की मौजूदा नमाज़े कुरान के मुताबिक नहीं हैं सिर्फ कुरान की सिखाई हुई नमाज़ पढ़ना फ़र्ज़ है इसके इलावा कोई और नमाज़ पढ़ना कुफ्र व शिर्क है एक अक़ीदा यह भी है कि हुजूरे-अनवर-सल्लल्लाहो-तआला-अलैह-वसल्लम किसी रसूल या नबी से अफ़ज़ल नहीं वगैरह।
(फ़तावा रिज़विया जिल्द 1 सफ़्हा 191/मजाहेबुल इस्लाम सफ़्हा 680)
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हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
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