بسم الله الرحمن الرحيم
बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह
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अक़ाईद का बयान पोस्ट(4)
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सवाल- क़ादयानी किसे कहते हैं और उनका अक़ीदा क्या है?
जवाब- क़ादयानी एक शैतानी और मुर्तद फ़िरका है जो मिर्ज़ा गुलाम अहमद कादयानी की पैरवी करता है उसने अपने नबी और रसूल होने का दावा किया अपने कलाम को खुदा का कलाम बताया खातिमुन्नबिय्यीन(आख़री नबी)में इस्तिसना की पच्चर लगाई नबियों की शान में निहायत बेबाकी के साथ गुस्ताखियाँ की खासतौर से हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम और आपकी माँ हज़रत मरयम के बारे में बकवास व खूराफ़ात और गन्दी बातें कहीं जिनके जिक्र से मुसलमान का दिल दहल जाता है उनका अक़ीदा यह है कि(1)मैं वही अहमद हूँ जिसकी खुशखबरी कुरान पाक में दी गई है(माज अल्लाह),(2)मैं हदीस बयान करने वाला मुहद्दिस हूँ और मुहद्दिस भी एक मअना से नबी होता है,(माज अल्लाह),(3)सच्चा खुदा वही है जिसने क़ादयान में अपना रसूल भेजा,(4)बराहीने अहमदया में इस आज़िज़ का नाम उम्मती भी रखा है और नबी भी,(5)मैं कुछ नबियों से अफ़ज़ल हूँ,(6)अपने बारे में लिखा"इब्ने मरयम के ज़िक्र को छोड़ो उससे बेहतर गुलाम अहमद है वगैरह(इब्ने मरयम से मुराद हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम हैं)(माज अल्लाह/असतग्फिरूल्लाह)।
(अस्सूउ वल एक़ाब अल्लमसीहिल कज़्ज़ाब सफ़्हा 26से37/बहारे शरीअत जिल्द 1 सफ़्हा 57)
सवाल- राफ़ज़ी किसे कहते हैं और उनका अक़ीदा क्या है?
जवाब- राफ़ज़ी एक गुमराह फिरका है जो तीनों खालिफा यानी हज़रत अबु बक़र,हजरत उमर,हजरत उसमाने ग़नी रदियल्लाहु अन्हुम की खिलाफ़ते राशिदा को छीनी हुई खिलाफ़त कहते हैं और हज़रत अबु बक़र व हज़रत उमर और दूसरे सहाबऐ किराम को गालियाँ देते हैं और हज़रत मौला अली को तमाम सहाबा किराम से बेहतर बताते हैं उनका अक़ीदा यह है कि(1)मौजूदा कुरान ना मुकम्मल है(अल्लाहुअकबर)इसमें से कुछ सूरतें हजरत उसमान ग़नी या दूसरे सहाबऐ किराम ने घटा दी कोई कहता है कुछ आयतें कम कर दी कोई कहता है कुछ लफ़्ज़ बदल दिये वगैरह,(2)हजरत अली और दूसरे इमाम हजरात पहले नबियों से अफ़ज़ल हैं,(3)नेकियों का पैदा करने वाला अल्लाह है और बुराईयों का पैदा करने वाला खुद इन्सान है,(4)12 इमाम मासूम हैं(जिनमें कोई गुनाह नहीं हो सकता उन्हें मासूम कहते हैं)(5)अल्लाह तआला पर असलह वाजिब है यानी जो जो काम बन्दे के लिए फायदेमंद है अल्लाह पर करना वाजिब है वगैरह।
(फ़तावा रिज़विया जिल्द 9 सफ़्हा 99व401/फ़तावा अज़ी ज़िया जिल्द 1 सफ़्हा 188/बहारे शरीअत जिल्द 1 सफ़्हा 61)
नोट=अल्लाह तआला पर कोई शह वाजिब नहीं हा अगर अल्लाह रब्बूल इज्ज़त अपने ऊपर खुद वाजिब नही करले।
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हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह
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अक़ाईद का बयान पोस्ट(4)
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सवाल- क़ादयानी किसे कहते हैं और उनका अक़ीदा क्या है?
जवाब- क़ादयानी एक शैतानी और मुर्तद फ़िरका है जो मिर्ज़ा गुलाम अहमद कादयानी की पैरवी करता है उसने अपने नबी और रसूल होने का दावा किया अपने कलाम को खुदा का कलाम बताया खातिमुन्नबिय्यीन(आख़री नबी)में इस्तिसना की पच्चर लगाई नबियों की शान में निहायत बेबाकी के साथ गुस्ताखियाँ की खासतौर से हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम और आपकी माँ हज़रत मरयम के बारे में बकवास व खूराफ़ात और गन्दी बातें कहीं जिनके जिक्र से मुसलमान का दिल दहल जाता है उनका अक़ीदा यह है कि(1)मैं वही अहमद हूँ जिसकी खुशखबरी कुरान पाक में दी गई है(माज अल्लाह),(2)मैं हदीस बयान करने वाला मुहद्दिस हूँ और मुहद्दिस भी एक मअना से नबी होता है,(माज अल्लाह),(3)सच्चा खुदा वही है जिसने क़ादयान में अपना रसूल भेजा,(4)बराहीने अहमदया में इस आज़िज़ का नाम उम्मती भी रखा है और नबी भी,(5)मैं कुछ नबियों से अफ़ज़ल हूँ,(6)अपने बारे में लिखा"इब्ने मरयम के ज़िक्र को छोड़ो उससे बेहतर गुलाम अहमद है वगैरह(इब्ने मरयम से मुराद हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम हैं)(माज अल्लाह/असतग्फिरूल्लाह)।
(अस्सूउ वल एक़ाब अल्लमसीहिल कज़्ज़ाब सफ़्हा 26से37/बहारे शरीअत जिल्द 1 सफ़्हा 57)
सवाल- राफ़ज़ी किसे कहते हैं और उनका अक़ीदा क्या है?
जवाब- राफ़ज़ी एक गुमराह फिरका है जो तीनों खालिफा यानी हज़रत अबु बक़र,हजरत उमर,हजरत उसमाने ग़नी रदियल्लाहु अन्हुम की खिलाफ़ते राशिदा को छीनी हुई खिलाफ़त कहते हैं और हज़रत अबु बक़र व हज़रत उमर और दूसरे सहाबऐ किराम को गालियाँ देते हैं और हज़रत मौला अली को तमाम सहाबा किराम से बेहतर बताते हैं उनका अक़ीदा यह है कि(1)मौजूदा कुरान ना मुकम्मल है(अल्लाहुअकबर)इसमें से कुछ सूरतें हजरत उसमान ग़नी या दूसरे सहाबऐ किराम ने घटा दी कोई कहता है कुछ आयतें कम कर दी कोई कहता है कुछ लफ़्ज़ बदल दिये वगैरह,(2)हजरत अली और दूसरे इमाम हजरात पहले नबियों से अफ़ज़ल हैं,(3)नेकियों का पैदा करने वाला अल्लाह है और बुराईयों का पैदा करने वाला खुद इन्सान है,(4)12 इमाम मासूम हैं(जिनमें कोई गुनाह नहीं हो सकता उन्हें मासूम कहते हैं)(5)अल्लाह तआला पर असलह वाजिब है यानी जो जो काम बन्दे के लिए फायदेमंद है अल्लाह पर करना वाजिब है वगैरह।
(फ़तावा रिज़विया जिल्द 9 सफ़्हा 99व401/फ़तावा अज़ी ज़िया जिल्द 1 सफ़्हा 188/बहारे शरीअत जिल्द 1 सफ़्हा 61)
नोट=अल्लाह तआला पर कोई शह वाजिब नहीं हा अगर अल्लाह रब्बूल इज्ज़त अपने ऊपर खुद वाजिब नही करले।
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हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
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