Part 5

بسم الله الرحمن الرحيم‎
बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम

الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ
अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह वसल्लम
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अक़ाईद का बयान पोस्ट(5)
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सवाल- खरिजी किसे कहते हैं और उनका अक़ीदा क्या है?
जवाब- खरिजी एक गुमराह फ़िरका है जो जंग सफ़फ़ैन के मौके पर ज़ाहिर हुआ वजह यह हुई कि यह लोग हज़रत अली मुश्किल कुशा के साथ मिलकर हज़रते अमीरे मआविया से जंग कर रहे थे दौराने जंग ही हज़रत अमीर मआविया से जंग कर रहे थे दौराने जंग ही हज़रत अमीर मआविया और हजरत अली के दरमीयान सुलह की बात चीत होने लगी तो यह लोग यह"ला हुक-म-इल्लल्लाह"यानी(अल्लाह के सिवा किसी का हुक्म नहीं)हजरत अली मुश्किल कुशा से जुदा हो गऐ और आप पर तबर्रा करने लगे और बग़ावत पर उतर आऐ यहाँ तक कि अब यह लोग उन सहाबियों की जिन्होंने आपस में लड़ाईयाँ लडीं जैसे हजरत तलहा,हजरत जुबैर,हजरत उसमान,हजरत अली,हजरत अमीर मआविया,हजरत उमर बिन आस को काफ़िर कहते हैं उनका अक़ीदा यह भी है कि गुनाहे कबीरा का करने वाला काफिर है,(2)क्यास और इजमाअ कोई दलील नहीं बल्कि इन दोनों का इन्कार करते हैं,(3)इमामे वक़्त पर खुरूज व किताल जाइज़ है,(4)इमाम का करशी होना जरूरी नहीं इन्सान करने वाला होना काफ़ी है वगैरह।
(रददुल मुहतार जिल्द 3 सफ़्हा 319/फ़तावा अज़ी ज़िया जिल्द 1 सफ़्हा 107/मजाहेबुल इस्लाम सफ़्हा 456से470)

सवाल- तफ़जीली किसे कहते हैं और उनका अक़ीदा क्या है?
जवाब- हज़रत अली मुश्किल कुशा से मुहब्बत करने वालों में से उन लोगों को कहते हैं जो हज़रत मौला अली को हज़रत अबु बक़र और हज़रत उमर पर फज़ीलत देते हैं और हज़रत अली मुश्किल कुशा को उनसे अफ़ज़ल मानते हैं बाक़ी तमाम बातों में एहले सुन्नत वल जमाअत के साथ है एहले सुन्नत वल जमाअत के नजदीक ऐसा अक़ीदा रखने वाला बिदअत व गुमराह है।
(फ़तावा अज़ी ज़िया जिल्द 1 सफ़्हा 183/इजहारूल हक़ सफ़्हा 180)
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हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)

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